
देश में ट्रेफिक पुलिस द्वारा नए नियम लाये जा रहे है जिसके चलते लोग सतर्कता बरते और रोड पर कम एक्सीडेंट हो। वही भारत में सबसे ज्यादा दोपहिया वाहनों का चालन देखा जाता है और इसी के लिए बनाये गए नियमों के लिए भी हमेशा खबरे सुनते रहते होंगे।
ऐसे में बहुत से लोगों द्वारा देखा जाता है कि वो अपनी बाइक या स्कूटर के रियरव्यू मिरर को हटाकर वाहन चलाने में ज्यादा रूचि रखते है और साथ ही उनका मानना होता है कि मिरर हटाने से उनका वाहन ज्यादा आकर्षित दिखे लेकिन ये चीज़ गलत है।
हालांकि, नियम के अनुसार चले तो शीशे हटाना गैरकानूनी है और अधिकांश पुलिस कर्मी इसे नजरअंदाज कर भी देते है। लेकिन कोर्ट ने इसे बिलकुल नजरअंदाज नहीं किया है। जहां हाल ही में मद्रास हाई कोर्ट न्यायालय नया फैसला लेकर आया है। जिसमें तमिलनाडु परिवहन आयुक्त को दोपहिया और कारों के निर्माताओं और डीलरों से वारंटी पर एक नई शर्त शामिल करने का अनुरोध करने का निर्देश दिया है। अदालत का कहना है कि वाहन निर्माता एक शर्त रखेंगे जिसमे अगर कोई दोपहिया या चार पहिया वाहन रियरव्यू मिरर को हटाता है तो उनकी वारंटी उसी समय शून्य कर दिया जाना है।
याचिका में पुलिस से यातायात अनुशासन सुनिश्चित करने और सड़क दुर्घटनाओं को कम करने के लिए कदम उठाने को कहा गया है। चूँकि पुलिस शीशे हटाने के उल्लंघन को नज़रअंदाज कर देती है, अधिकांश सवारों को इस बात की जानकारी नहीं होती है कि ऐसा कोई नियम मौजूद भी है।
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