
भारत में तकरीबन सभी है जो ट्रैन से सफर करते है और ऐसे में अब एक और अच्छी खबर सामने आयी है जहां रेल हैरिटेज हाइड्रोजन के तहत 35 हाइड्रोजन ट्रेनें चलायी जाने वाली है। जो ईंधन के रूप में हाइड्रोजन का उपयोग ग्रीन ग्रोथ की ओर एक बड़ा कदम है। जानिए पूरी खबर
बता दें कि रेलवे मिनिस्टर अश्विनी वैष्णव द्वारा राज्यसभा में इसकी जानकारी दी गयी जिसमे भारतीय रेलवे ने विभिन्न हेरिटेज रूट्स पर प्रति ट्रेन 80 करोड़ रुपए की अनुमानित लागत और प्रति रूट 70 करोड़ रुपए की ग्राउंड इंफ्रास्ट्रक्चर पर हैरिटेज फॉर हाइड्रोजन के चलते 35 हाइड्रोजन ट्रेनें चलाने की योजना बनाई जा चुकी है। ऐसे में भारतीय रेलवे साल 2030 से पहले ही शून्य कार्बन उत्सर्जन करने की दिशा में आगे बढ़ रही है।
इन रूटों पर भी किया जाएगा विस्तार
भारतीय रेल द्वारा 111.83 करोड़ रुपए की लागत से ही ग्राउंड इंफ्रास्ट्रक्चर के साथ मौजूदा डीजल इलेक्ट्रिक मल्टीपल यूनिट (DMU) रेक पर हाइड्रोजन फ्यूल सेल के रेट्रो फिटमेंट के लिए एक पायलट प्रोजेक्ट तैयार किया जा रहा है और इसको उत्तरी रेलवे के जींद-सोनीपत सेक्शन पर चलाने की योजना बनाई गयी है। इसके बाद इसका विस्तार कर अन्य रूटों पर भी किया जायेगा।
हालाँकि, भारतीय रेल के लैंडस्केप में हाइड्रोजन ईंधन आधारित ट्रेन की परिचालन लागत अभी स्थापित नहीं की गई है और साथ ही यह भी अनुमान लगाया गया है कि हाइड्रोजन ईंधन ट्रेन-सेट की प्रारंभिक संचालन लागत अधिक होगी जो बाद में ट्रेनों की संख्या में वृद्धि के साथ धीरे धीरे कम हो जाएगी। वही ईंधन के रूप में हाइड्रोजन का उपयोग स्वच्छ ऊर्जा स्रोत के रूप में शून्य कार्बन उत्सर्जन लक्ष्यों का समर्थन करने के लिए हरित परिवहन प्रौद्योगिकी की दिशा में बड़ा लाभ प्रदान करता है।
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