देशभर के लोगों को बंद पड़ी इंश्योरेंस पॉलिसी को मैच्योर कराने के नाम पर ठगने वाले गिरोह के कुल चार जालसाजों को दिल्ली पुलिस स्पेशल सेल की इंटेलिजेंस फ्यूजन एंड स्ट्रैटेजिक ऑपरेशंस यूनिट ने गिरफ्तार किया है। पकडे गए आरोपियों की पहचान गिरोह सरगना 33 वर्ष का मेहताब आलम, सरताज खान (31), मोहम्मद जुनैद (29) और 27 वर्ष के दीन मोहम्मद के रूप में हुई है।
आरोपी पीड़ितों का विश्वास जीतने के लिए वित्तमंत्री निर्मला सीतारमण सहित आरबीआई, आईआरडीए, बीमा लोकपाल के बड़े बड़े अधिकारियों के नाम से हस्ताक्षर किए हुए लेटर पीड़ितों को भेजते थे और फिर इसके बाद मैच्योर पॉलिसी की रकम दिलाने की बात कर लोगों से पैसे ऐंठ लेते थे। पुलिस को आरोपियों के पास से सात मोबाइल, लैपटॉप और तीन हजार बीमाधारकों की सूची, आरोपियों के बैंक खाते और पीड़ितों के बीच हुई चैट मिली है। लगभग डेढ़ वर्ष के दौरान आरोपियों ने सैकड़ों लोगों से लगभग करोड़ों रुपये ठगे हैं।
आईएफएसओ यूनिट के पुलिस उपायुक्त प्रशांत गौतम के अनुसार पिछले दिनों वित्त मंत्रालय की तरफ से दिल्ली पुलिस आयुक्त को शिकायत दी गई थी। शिकायत में बताया गया था कि कुछ लोग मंत्रालय का नाम इस्तेमाल कर ठगी कर रहे हैं। यहां तक वित्त मंत्री के नाम और हस्ताक्षर का भी इस्तेमाल किया जा रहा है।
इसी तरह आईबीआई जैसी दूसरी कई संस्थाओं के नाम पर भी फर्जीवाड़ा किया जा रहा था। इसके अलावा कुछ और शिकायतें पुलिस आयुक्त को मिली थीं इसके साथ ही वाराणसी के एक कारोबारी से भी बंद पड़ी इंश्योरेंस पॉलिसी को मैच्योर कराने के नाम पर कुल 1.27 लाख रुपये ठगे गए थे। पीड़ित को पहले तो कॉल कर बंद पॉलिसी की सुचना दी गई। फिर इसके बाद ईमेल आईडी पर आरबीआई की सरकारी वेबसाइट से मिलती-जुलती एक साइट से एक ईमेल भेजा गया फिर पीड़ित से कहा गया कि उसकी पॉलिसी पर कुल 12.46 लाख रुपये की अनुमति मिली है। अगर रुपये लेने हैं तो प्रोसेसिंग फीस के नाम पर लगभग 44 हजार रुपये देने होंगे।
इस बात पर पीड़ित ने तुरंत रुपये दे दिए। फिर इसके बाद उससे एनओसी के नाम पर कुल 27 हजार लिए गए। इसके बाद में पीड़ित को एक फर्जी चेक भेज दिया गया, लेकिन आरोपियों ने पीड़ित शख्स से कहा कि चेक तब कैश होगा जब वह फाइनल फंड रिलीज के नाम पर कुल 52 हजार रुपये और देगा। फिर पीड़ित ने ये रुपये भी दे दिए। ठगी का अहसास होने पर पीड़ित के शिकायत देने पर आईएफएसओ यूनिट ने मामला दज कर लिया।
एसआई सुनील, सुशील कुमार और अन्यों की टीम ने टेक्निकल सर्विलांस और बैंक डिटेल के आधार पर आरोपियों की लोकेशन का पता किया। पुलिस ने अलग-अलग जगह पर छापे मारकर सरगना मेहताब आलम सहित चार आरोपियों को उत्तर-पूर्वी दिल्ली के मुस्तफाबाद और सोनिया विहार से आरोपियों को दबोच लिया। आरोपियों में सरताज और जुनैद दोनों सगे भाई हैं।
ऐसे ठगते थे आरोपी लोगों को
आरोपी मेहताब ने बताया कि वह चांदपुर, बिजनौर, यूपी का रहने वाला है। यूपी से ग्रेजुएशन करने के बाद फिर वह दिल्ली आ गया। यहां उसने पहले इंश्योरेंस सेक्टर में नौकरी की। यहीं से उसे ठगी के बारे में पता चला। उसने बाकी तीनों आरोपियों को ठगी के लिए तैयार किया। आरोपी मेहताब ने सरकारी वेबसाइट से मिलती जुलती एक वेबसाइट बनाई।
बाकी लोगों ने भी इंश्योरेंस कंपनियों में नौकरी की हुई है। तीनों आरोपियों ने बीमाधारकों का डाटा इकट्ठा किया। फिर बाद में उन लोगों को कॉल की जिनकी पॉलिसी किसी न किसी कारण से बंद थी। सभी को मोटा लालच देकर और फर्जी कागजात के जरिये विश्वास जीता गया। फिर इसके बाद पैसे देने के बदले रुपये ऐंठ लिए।
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