
सोमवार को दक्षिण एमसीडी आयुक्त को लिखे एक पत्र में, महापौर मुक्केश सूर्यन ने “2 अप्रैल से 11 अप्रैल तक चलने वाले नवरात्रि उत्सव की नौ दिनों के दौरान मांस की दुकानों को बंद करने” की मांग की थी।
उन्होंने लिखा कि इस दौरान लोग प्याज और लहसुन का इस्तेमाल भी छोड़ देते हैं और खुले में या मंदिरों के पास मांस बिकते देख उन्हें परेशानी होती है।
पश्चिमी दिल्ली लोकसभा सीट का प्रतिनिधित्व करने वाले वर्मा ने कहा कि मुसलमानों को नेताओं द्वारा दिए गए “भड़काऊ” बयानों से प्रभावित नहीं होना चाहिए और हिंदू त्यौहार का सम्मान करना चाहिए।
उन्होंने कहा कि जब उनके त्योहार आएंगे तो और धर्म के लोग भी उनकी भावनाओं का सम्मान करेंगे। MCD के अधिकार क्षेत्र में लगभग 1,500 रजिस्टर्ड मांस की दुकानें हैं।
हालांकि यह पहली बार है जब दिल्ली में किसी ने नवरात्रि के दौरान मांस की दुकानों को बंद करने की मांग की है। जानकारी के अनुसार, कुछ समय पहले MCD ने दुकानदारों को यह दिखाने के लिए कहा है कि बेचा गया मांस झटका है या हलाल, और खुले में प्रदर्शित होने वाले मांस पर भी शिकंजा कसने की कोशिश की है।
बता दें कि कांग्रेस ने इस कदम को सस्ता पब्लिसिटी स्टंट बताया है। पार्टी के अधिकारियों का कहना है कि मेयर के पास इसे थोपने की शक्ति नहीं है।
दिल्ली कांग्रेस के उपाध्यक्ष अभिषेक दत्त ने कहा, “आयुक्त के पास इस तरह के प्रतिबंध लगाने की शक्ति है और महापौर के ये बयान केवल खबरों में रहने और अपने नेताओं को खुश करने के लिए हैं।”
आम आदमी पार्टी के एमसीडी प्रभारी दुर्गेश पाठक ने कहा कि भाजपा को उत्तर प्रदेश और हरियाणा में इस प्रतिबंध को लगाना चाहिए, अगर उन्हें दिल्ली में इसे लागू करने में सफलता की उम्मीद है।
इसी को लेकर अब्दुल्ला ने ट्वीट किया: “रमजान के दौरान हम सूर्योदय और सूर्यास्त के बीच भोजन नहीं करते हैं। मुझे लगता है कि यह ठीक है अगर हम हर गैर-मुस्लिम निवासी या पर्यटक को सार्वजनिक रूप से खाने से प्रतिबंधित करते हैं, खासकर मुस्लिम इलाकों में। अगर दक्षिण दिल्ली के लिए बहुसंख्यकवाद सही है, तो इसे जम्मू-कश्मीर के लिए भी सही होना चाहिए।
During Ramzan we don’t eat between sunrise & sunset. I suppose it’s OK if we ban every non-Muslim resident or tourist from eating in public, especially in the Muslim dominated areas. If majoritarianism is right for South Delhi, it has to be right for J&K. https://t.co/G5VQylmMvB
— Omar Abdullah (@OmarAbdullah) April 5, 2022
ऐसें में मीट कि दुकान चलाने वाले दुकानदारों का कहना है कि “अगर हमें पहले से बताया जाता, तो हम मांस का स्टॉक नहीं करते। मेरे पास करीब 2 लाख रुपये का स्टॉक है।
मांस काटने या सफाई में मदद करने वाले श्रमिकों को बाजार बंद होने पर कम से कम 500 रुपये प्रति दिन की दैनिक मजदूरी का नुकसान होगा। बहराल, कई ऐसे दुकानदार है जिन्हें मीट शॉप बंद होने से काफी दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है।
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