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अमर्त्य : साहित्य कला संवाद के भाग-2 का आयोजन, मुख्य अतिथि प्रख्यात चित्रकार धर्मेंद्र राठौर

कार्यक्रम के दौरान धर्मेन्द्र राठौर ने राजनीति और कला के अन्तः सम्बन्ध पर अपनी बात रखते हुए कहा कि "राजनीति में कला की जरूरत है, कला में राजनीति की नहीं।"

17 सितम्बर : कला संकुल, संस्कार भारती के अमर्त्य : साहित्य कला संवाद के भाग-2 का आयोजन संस्कार भारती केन्द्रीय कार्यालय के सभागार में रविवार को सफलतापूर्वक संपन्न हुआ । इसके आमंत्रित अतिथि प्रख्यात चित्रकार धर्मेन्द्र राठौर थे।

कार्यक्रम की विधिवत् शुरुआत धर्मेन्द्र राठौर, संस्कार भारती के अखिल भारतीय कार्यकारणी के सदस्य अशोक कुमार तिवारी और प्रसिद्ध लेखक, अभिनेता अरुण शेखर जी आदि गणमान्यों ने दीप प्रज्वलन के साथ किया ।

अमर्त्य साहित्य-कला संवाद के भाग-2 में जलज कुमार अनुपम से वार्ता के क्रम में धर्मेन्द्र राठौर जी ने कहा कि भारतीय कलाकारों ने केवल पाश्चात्य कला का अनुसरण नहीं किया है, अपितु उन लोगों ने भारतीय कला चिंतन पर जोर देते हुए अपनी मौलिकता पर भी जोर दिया है।

वहीं धर्मेन्द्र राठौर ने वर्तमान समय में कला जगत में आलोचकों की कमी को इंगित करते हुए उनके ‘आलोचक कम प्रशंसक अधिक’ होने पर गंभीर चिंता व्यक्त की। साथ ही इस क्षेत्र में कलाकारों को सकारात्मक आलोचना के माध्यम से सही दिशा निर्देश देने वाली संस्था की आवश्यकता पर जोर दिया।

उन्होंने समकालीनता पर बात करते हुए कहा की डिजिटल इंडिया के बढ़ने से कलाकार स्वावलंबी हो रहे हैं। उनमें आपसी प्रेम व सहयोग भावना कम न हो इसका संदेश दिया। आपसी सहयोग भाव से ही कलाकार कला को एक वैश्विक पहचान दे सकते हैं। इसी भाव के साथ हमें प्राचीन व समकालीन कला को जोड़ने का कार्य भी करना चाहिए।

हालांकि मुख्य वक्ता ने आर्ट फेयर के बढ़ते बाजारू रवैये पर भी चिंता व्यक्त की और कहा कि हमें अपने नैतिक जिम्मेदारियों और अपने मूल्यों पर जोर देना चाहिए। राजनीति और कला के संबंध पर महत्वपूर्ण टिप्पणी करते हुए उन्होंने कहा की राजनीति में कला की जरूरत है, कला में राजनीति की नहीं।

इस मौके पर कार्यक्रम संयोजक जलज कुमार अनुपम‌ ने कहा कि अमर्त्य: साहित्य-कला संवाद का मुख्य उदेश्य साहित्य और ललित कला के सभी अंगों से जुड़े कलाकारों, साहित्यकारों और समीकक्षों से साथ युवाओं को जोड़ना और सेतु स्थापित करना है।

इस मौके पर प्रसिद्ध लेखक, कवि सह अभिनेता अरुण शेखर की नयी कृति कविता संग्रह ‘कहना शेष है’ का लोकार्पण भी किया गया।

इस सारस्वत अनुष्ठान को संपन्न करने में सह संयोजक भूपेन्द्र कुमार भगत, अनामिका और साथियों ने अपनी महत्वपूर्ण भूमिकाएं निभाईं। मंच संचालन हर्षित तिवारी, शांति पाठ उमेश गुप्ता ने तथा धन्यवाद ज्ञापन सिमरन ने किया। कार्यक्रम में अनेक छात्र, शोधार्थी, विद्वान व अनेक कला प्रेमियों का जमावड़ा रहा।।
(रिपोर्ट – आकाश मिश्रा और विश्वदीप)

Accherishteyये भी पढ़े: अमर्त्य: साहित्य-कला-संवाद के भाग-1 का सफल आयोजन, मुख्य अतिथि प्रो. कुमुद शर्मा

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