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अमर्त्य: साहित्य-कला-संवाद के भाग-1 का सफल आयोजन, मुख्य अतिथि प्रो. कुमुद शर्मा

रविवार 20 अगस्त, 2023 को संस्कार भारती (नई दिल्ली) के कला संकुल ने "अमर्त्य: साहित्य-कला-संवाद" के भाग-1 का आयोजन किया। इस सारस्वत आयोजन की मुख्य अतिथि साहित्य जगत की सुप्रसिद्ध व्यक्तित्व, साहित्य अकादमी की उपाध्यक्ष और हिन्दी विभाग, दिल्ली विश्वविद्यालय की विभागाध्यक्ष प्रो. कुमुद शर्मा रहीं।

रविवार 20 अगस्त, 2023 को संस्कार भारती (नई दिल्ली) के कला संकुल ने “अमर्त्य: साहित्य-कला-संवाद” के भाग-1 का आयोजन किया। इस सारस्वत आयोजन की मुख्य अतिथि साहित्य जगत की सुप्रसिद्ध व्यक्तित्व, साहित्य अकादमी की उपाध्यक्ष और हिन्दी विभाग, दिल्ली विश्वविद्यालय की विभागाध्यक्ष प्रो. कुमुद शर्मा रहीं।

उन्होंने जलज कुमार अनुपम के साथ हुए संवाद में स्वतंत्र-संग्राम में हिंदी की भूमिका और स्वतंत्र प्राप्ति के बाद हिंदी की स्थिति पर अपना विचार रखते हुए, कहा कि स्वतंत्रता आंदोलन की लड़ाई हिन्दी में लड़ी गयी है। हमारे महापुरुषों ने स्वतंत्रता आंदोलन में जो भी नारा दिया, वे हिंदी में ही हैं लेकिन स्वतंत्रता प्राप्ति के बाद जब राष्ट्रभाषा बनने की बारी आयी तो विवाद शुरू हो गया। हालाँकि हिंदी राजभाषा जरूर बन गयी है लेकिन आज भी हिंदी की स्थिति बहुत बेहतर नहीं हो सकी है। इस अमृत महोत्सव के माध्यम से हिंदी को फलक देने की कोशिश की जा रही है। वहीं नयी राष्ट्रीय शिक्षा नीति भारतीय भाषाओं को समझने और जानने में सहायक सिद्ध होगी।

हिन्दी भाषी समाज में अपनी भाषा को लेकर हीनता बोध के प्रश्न पर, उन्होंने दुःख जताते हुए कहा कि अन्य भाषा के लोगों के वनिस्पत हिंदी भाषी लोग अपनी भाषा को लेकर अधिक हीन महसूस करते है, जिससे उनके व्यक्तित्व का पूर्ण विकास नहीं हो पाता। उन्होंने सभी भषाओं का सम्मान करते हुए, सलाह दिया कि लोग अपनी भाषा पर गर्व भी करना सीखें। साथ ही विश्वास जताया कि नयी राष्ट्रीय शिक्षा नीति मातृभाषाओं के प्रति अनुराग को बढ़ाने में सहायक सिद्ध होगी।

साहित्य और राजनीती के अन्तःसंबंध पर चर्चा करते हुए, उन्होंने कहा कि साहित्य कभी राजनैतिक पार्टियों का मेनिफेस्टो नहीं हो सकता। आज साहित्य में हर प्रकार के विषय पर लिखे जा रहे है। आज कविताओं और कहानियों में बदलते हुए गाँव का जिक्र होता है। एजेंडा के नाम पर कुछ भी नहीं परोसा जाना चाहिए। साहित्य में यथार्थ के साथ साथ नैतिकता का होना भी आवश्यक है। साहित्य को बाजार तक सीमित नहीं किया जा सकता।

इस कार्यक्रम में अपनी बात रखते हुए संस्कार भारती के अखिल भारतीय संगठन मंत्री अभिजीत गोखले ने कहा कि आज इस संवाद श्रृंखला की शुरुआत की गई है। साहित्य और कला का मनुष्य और समाज के निर्माण में‌ महत्वपूर्ण भूमिका है। यह संवाद श्रृंखला उसे और बल प्रदान करेगी।

संस्कार भारती के राष्ट्रीय कार्यकारिणी के सदस्य अशोक तिवारी ने कहा कि आज के युवाओं को साहित्य और कला के पक्ष में मार्गदर्शन के लिए ऐसे कार्यक्रमों की जरुरत है। इस कार्यक्रम के संयोजक जलज कुमार अनुपम ने कहा कि हमारा उद्देश्यइस कार्यक्रम के माध्यम से युवाओं तक जाना है और उनके अंदर अपनी सभ्यता और संस्कृति के प्रति गौरवबोध को जागृत करना है। आगे आने वाले दिनों में इस कार्यक्रम के माध्यम से साहित्य-कला और संस्कृति पर काम करने वाले दिग्गजों से संवाद स्थापित करने का प्रयास रहेगा।

इस कार्यक्रम का सह संयोजन और मंच संचालन शोधार्थी भूपेन्द्र कुमार भगत ने किया और धन्यवाद ज्ञापन हर्षित कुमार ने किया। इस अवसर पर दिल्ली विश्वविद्यालय, जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय समेत कई विश्वविद्यालयों से अनेक युवा साथी औरबौद्धिक प्रबुद्धजनों की उपस्थिति रही।

(प्रस्तुति – हर्षित तिवारी और भूपेन्द्र कुमार भगत)

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