
दिल्ली सरकार द्वारा डीटीसी के लिए 1000 लो – फ्लोर बसों की खरीदी पर गृह मंत्रालय ने CBI (सीबीआई) जांच का आदेश दिया है, इस बात को लेकर पार्टियों के बीच में काफी गरमा- गर्मी चल रही है।
दिल्ली सरकार द्वारा खरीदी गई लो – फ्लोर बसों के मामले में राजनीतिक तापमान बढ़ गया है, पार्टियां एक दूसरे पर आरोप- प्रत्यारोप लगा रही हैं। दिल्ली सरकार ने अपना निशाना केंद्र को बना रखा है तो दूसरी ओर बीजेपी ओर कांग्रेस ने मामले की सम्पूर्ण रूप से जांच करने की मांग की है।
दिल्ली सरकार ने बीजेपी पर आरोप लगते हुए कहा है कि बीजेपी दिल्ली के लोगों को नई लो – फ्लोर बसों की सुविधा का आनंद लेने से रोकना चाहती है, इससे पहले भी केंद्र सरकार ने सीबीआई (CBI) का सहारा लेकर दिल्ली सरकार को परेशान करने का प्रयास किया था परन्तु लगाए गए आरोपों में सच्चाई ना होने के कारण केंद्र सरकार को सफलता नहीं मिल पाई ऐसा दिल्ली सरकार का कहना है।
बता दें कि भारतीय जनता पार्टी के विधायक विजेंद्र गुप्ता ने यह मामला विधान सभा में भी उठाया ओर उसके बाद कहा कि जबसे मुद्दा विधान सभा में उठाया गया है तब से दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने इस मुद्दे पर कुछ नहीं कहा है ।
इसके अलावा उन्होंने कहा कि यह मुद्दा सबसे पहले मार्च के महीने में उठाया गया था और इस मामले की शिकायत भ्रष्टाचार निरोधक ब्यूरो में दर्ज कराई गई थी लेकिन दिल्ली सरकार ने इस मुद्दे पर जवाब देने के बजाये मुद्दे को दबाने के लिए हर एक तरकीब आज़माई।
विजेंद्र गुप्ता ने आगे कहा कि गृह मंत्रालय ने एलजी द्वारा इस मुद्दे पर बनाई गई समिति की रिपोर्ट पर संज्ञान लिया ,जिसमें CBI (सीबीआई) द्वारा जांच को निर्देश देने के लिए कहा है।
विजेंद्र गुप्ता ने मांग की है कि ट्रांसपोर्ट मिनिस्टर और दिल्ली परिवहन निगम (डीटीसी) अध्यक्ष कैलाश गेहलोत के सहित और साज़िश के पीछे जितने अधिकारी है उन सब को तत्काल प्रभाव के ज़रिए उनको पद से हटा देना चाहिए।
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