Air Pollution से जंग जीतने के लिए दिल्ली ले सकती है इन 3 शहरों से सीख
भारत में वायु प्रदूषण को लेकर सबसे गंभीर हालत अभी दिल्ली में है.देश की राजधानी दिल्ली सबसे ज्यादा प्रदूषित मानी जा रही है.

भारत में वायु प्रदूषण को लेकर सबसे गंभीर हालत अभी दिल्ली में है.देश की राजधानी दिल्ली सबसे ज्यादा प्रदूषित मानी जा रही है. दिल्ली वालो के लिए सांस लेने भी सबसे ज्यादा खतरा है. Air Quality Index में कोई सुधर नहीं रहा, अस्पतालों में लोगों को सांस लेने में तकलीफ, लंग्स और स्किन से जुड़ी बीमारियों के मरीजों की संख्या भी काफी मात्रा में बढ़ने लग गई है.
हालात को देखते हुए स्कूल-कॉलेज फिर से बंद कर दिए जा चुके है. कंस्ट्रक्शन के काम पर भी रोक लगा दी गई है. गैस आधारित उद्योगों के इलावा बाकि सभी इंडस्ट्री को बंद कर दिया गया है.
इस संकट से निपटने का उपाय क्या है?
वायु प्रदूषण से बचने के लिए लोगों के पास कोई उपायें नहीं बचा. सरकार को इससे बचने के लिए कोई ठोस कदम उठाना होगा और उसे बोलने की बजाए जमीन पर लागू करना होगा. ऐसे में उन शहरों का अनुभव काफी काम आ सकते है, जो इससे जंग जीत चुके है, इसलिए देखिए उन शहरों ने क्या उपाय अपनाए और इसका क्या असर हुआ.
धुआं-धुआं हुआ करता था चीन का बीजिंग शहर
1990 के दशक में ही चीन की राजधानी बीजिंग की हवा अहम लेवल तक प्रदूषित हो चुकी थी. एक बार तो हवा में प्रदूषण का लेवल इतना बढ़ चूका था की लोगों के घर से बाहर निकलने तक पर रोक लगाई गई थी. बीजिंग के साथ-साथ और भी काफी सेहर इसकी चपेट में आये थे. 1998 में चीन ने इस जंग का एलान किया था. कोयले का इस्तेमाल कम किया, कार्बन उत्सर्जन बढ़ाने वाली गाड़ियों की मात्रा कम करवाई. इन सब उपाए को अपनाते हुए चीन का 15 साल बाद प्रदूषण का स्तर पर आ गया. कम समय में इतना बदलाव कैसे लाया जा सकता है, यह बीजिंग शहर से देखने को मिला.
भीड़-भाड़ वाले मैक्सिको सिटी में कैसे बदले हालात?
1990 की शुरुआत में मेक्सिको शहर दुनिया में सबसे प्रदूषित शहरों में गिना जाता था. 90 लाख से ज्यादा पॉपुलेशन वाले शहर में प्रदुषण की समस्या काफी बढ़ गई थी. इस भीड़ वाले शहर ने प्रदुषण से बचने के लिए कुछ तकनीक अपनायी. जैसे की- गैसोलीन वाले ईंधन में शीशे की मात्रा को कम किया, कार्बन उत्सर्जन करने वाले स्रोतों का प्रयोग घटाने सहित कई कदम उठाए गए.
पेरिस जैसे यूरोपीय शहरों ने अपनाया अलग रास्ता
उद्योगों के तेज विकास के कारण यूरोप के शहर में प्रदुषण का खतरा आया तो, उन्होंने भी कुछ तकनीक अपनाई. उन्होंने कई ऐतिहासिक जिलों में वीकेंड पर कार को बैन कर दिया और पब्लिक ट्रांसपोर्ट को मुफ्त कर दिया. प्रदुषण को कंट्रोल करने के लिए वह कार की जगह साइकिल को बढ़ावा दे रहे है.
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