बता दें प्रदूषण की सभी चुनौतियों से निपटने के लिए अब सरकार ई-वाहनों को काफी बढ़ावा दे रही है। देश की राजधानी में फिलहाल अभी 300 ई-बसें है और इस साल के अंत तक यह संख्या बढ़कर लगभग 1800 तक भी हो जाएगी। मान लो अगर औसतन एक बस 200 किलोमीटर तक की दूरी तय करती है तो कुल 1800 बसों से निकले वाला यह कार्बन डायऑक्साइड के उत्सर्जन में लगभग 91 हजार टन की भी कमी आएगी।
बता दें दिल्ली की जीवनरेखा बन चुकी अब मेट्रो भी बिजली से चलती है और इससे भी सालाना लाखों की टन कार्बन उत्सर्जन में काफी कमी दर्ज की जा रही है। साथ ही सार्वजनिक परिवहन के तौर पर अब ई-वाहनों के सभी विकल्प को अपनाने से न केवल सहूलियतें बढ़ेंगी, बल्कि पर्यावरण को भी बेहतर बनाने में काफी अहम भूमिका भी होगी।
बता दें परिवहन विभाग के एक अधिकारी के मुताबिक कुल 1500 नई ई-बसें अब नवंबर तक बेड़े में भी शामिल होने की पूरी उम्मीद है। और फिलहाल अभी 300 ई-बसें अभी दिल्ली में चल रही है। अगर 1500 बसें रोजाना 200 किलोमीटर तक चलें तो सालाना कुल 76000 टन कार्बन डाइऑक्साइड का उत्सर्जन भी कम होगा। और इनकी संख्या 1800 तक होने पर यह आंकड़ा कुल 91 हजार टन तक भी होगा।
साथ ही मेट्रो में स्वच्छ ऊर्जा स्रोत का भी इस्तेमाल किए जाने से अभी ग्रीन हाउस गैसों के उत्सर्जन में भी कमी दर्ज की जा रही है। साथ ही मेट्रो में चलने से अब रोजाना सड़कों से भी लाखों की संख्या में वाहन काफी कम होने से प्रदूषण कम होने से अब पर्यावरण में काफी सुधार हो रहा है।