मेयर को मिलेगा CM जैसा अधिकार? MCD चुनाव 2022
केंद्र सरकार तीनों निगमों के एकीकरण के अलावा दिल्ली नगर निगम अधिनियम (डीएमसी एक्ट) में कई बदलाव करने में जुटी है

केंद्र सरकार तीनों निगमों के एकीकरण के अलावा दिल्ली नगर निगम अधिनियम (डीएमसी एक्ट) में कई बदलाव करने में जुटी है। इसी के साथ नगर निगम में स्थायी समिति खत्म करने और पार्षदों को वेतन देने का भी प्रावधान करने की सोच रही है।
आपको बता दें कि दिल्ली राज्य निर्वाचन आयोग ने दिल्ली नगर निगम अधिनियम में परिवर्तन करने के लिए ड्राफ्ट तैयार किये गए है और प्रदेश भाजपा के नेता केंद्र सरकार से उस ड्राफ्ट के अधिकतर प्रवधानों को लागु करने की मांग कर रही है। आपको बता दें राकेश मेहता ने वर्ष 2014 में दिल्ली नगर नियम अधिनियम में परिवर्तन करने की तैयारी शुरू की थी।
जानकारी के मुताबिक ड्राफ्ट में पांच साल के दौरान तीन महापौर बनाने और प्रत्येक महापौर का 20 माह का कार्यकाल का सुझाव है। इसमें पहला महापौर महिला, दूसरा अनुसूचित जाति का और तीसरा किसी भी पार्षद बनाने का सुझाव दिया गया है। इसी के साथ ड्राफ्ट में महापौर को शक्तिशाली बनाने के लिए भी कई सुझाव हैं।
इनमें महापौर को नगर निगम का सर्वेसर्वा बनाने की बात की गई है और ड्राफ्ट में महापौर को फाइनेंसियल ऑफिसर और अधिकारियों का तबादला करने और उनकी कार्य रिपोर्ट लिखने का अधिकार देने का भी सुझाव है।
जानकारी के अनुसार इस ड्राफ्ट में पार्षदों को वेतन देने की भी बात की गई है हर एक पार्षद को हर महीने 10 हजार देने का सुझाव दिया गया है लेकिन अभी पार्षदों को बैठक में भत्ते के तौर पर 300 रुपए मिलते है और इन्हे एक महीने में भत्ते के तौर पर 3000 से अधिक नहीं मिल सकते।
केंद्र सरकार तीनों नगर निगमों का विलय करने के साथ- साथ उनके वार्डों का नए सीए से गठन करने का भी विचार कर रही है केंद्र सरकार चाहती है कि नगर निगम में बड़े नेता पार्षद बनकर आए और वार्डों की संख्या कम करके उनकी आबादी एवं क्षेत्रफल बढ़ाया जाए।
दरअसल केंद्र सरकार विधानसभा सीमाओं के भीतर 80 हजार से सवा लाख की आबादी का एक वार्ड बनाना चाह रही है। ऐेसी स्थिति में जिन विधानसभा क्षेत्र में तीन एवं चार वार्ड है उनमें दो वार्ड बनेंगे, जबकि जिन विधानसभा क्षेत्र में पांच एवं छह वार्ड है उनमें तीन वार्ड होंगे।
इसके अलावा मटियाला विधानसभा क्षेत्र में चार वार्ड होंगे। इस विधानसभा क्षेत्र में वर्तमान में सात वार्ड हैं। इसके अलावा भाजपा के कुछ नेता चाहते है कि नए सिरे से वार्ड बनाने के दौरान विधानसभा क्षेत्र की सीमा का प्रावधान खत्म किया जाए और एक लाख की आबादी पर एक वार्ड बनाया जाए।
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