दिल्ली में लोगों की सुविधा के लिए बहुत से निर्माण किये जा रहे है। ऐसे में अब दिल्ली विकास प्राधिकरण (DDA) ने मेट्रो फेज-4 के नरेला-रिठाला-बवाना कॉरिडोर के लिए 230 करोड़ का फंड जारी कर दिया गया है और इससे अब नरेला तक मेट्रो दौड़ाने की राह आसान हो जाएगी।
बता दें की इसका सीधा फायदा बाहरी उत्तरी दिल्ली में रहने वाले लाखों लोगो को मिलने वाला है और इस कॉरिडोर पर मेट्रो सेवाएं शुरू होने से DDA के रिहायशी क्षेत्रों के विकास की रफ्तार भी इससे तेज हो जाएगी। साथ ही डीडीए अधिकारियों का कहना है कि कॉरिडोर पर केंद्र सरकार की इजाजत मिलते इस काम को शुरू कर दिया जाएगा।
दरअसल, देखा जाए तो मेट्रो फेज-4 के तीन कॉरिडोर पर निर्माण चल रहा है, जबकि इंद्रप्रस्थ-इंद्रलोक (12.37 कि.मी), लाजपत नगर-साकेत जी ब्लॉक (8.38 किमी) व रिठाला-बवाना-नरेला (22.91) के बीच मेट्रो नेटवर्क का विस्तार भी किया जाना है जिसके लिए सभी तैयारियां पूरी हो चुकी हैं।
साथ ही क्षेत्र में यात्रियों की संख्या और सभी जमीन की उपलब्धता सहित दूसरे पहलुओं को भी देखते हुए मेट्रोलाइट चलाने का प्रस्ताव भी है। इस मेट्रोलाइट का परिचालन शुरू होगा तो मुकरबा चौक से आगे GT करनाल रोड और आसपास के इलाकों में रहने वाले लोगों के लिए दिल्ली के किसी भी कोने में पहुंचने में आसानी हो जाएगी।
ऐसे में मेट्रोलाइट का विकल्प इसलिए चुना गया है ताकि कम खर्च में यात्रियों की जरूरत के मुताबिक नेटवर्क को अच्छे से बढ़ा दिया जाये। वही बात कर तो यह दिल्ली की पहली मेट्रोलाइट होगी और इस पर खर्च सामान्य मेट्रो की तुलना में करीब 40 फीसदी कम भी लगने वाला है।
ऐसी होती है मेट्रोलाइट
हालाँकि, मेट्रोलाइट के बारे में जाने तो इसमें कम कोच होते हैं और कम आबादी वाले क्षेत्रों के लिए इसे फीडर के तौर पर इस्तेमाल किया जाता है। ऐसे में बाहरी दिल्ली और आसपास के ग्रामीण इलाकों से फिलहाल मेट्रो कनेक्टिविटी नहीं होने से यात्रियों को अपने स्थानों पर पहुंचने में फिलहाल अधिक वक्त और खर्च होता है।
इसके बारे में बात करे तो इसके लिए सड़क से कुछ दूरी पर ट्रैक बिछाए जाते हैं, ताकि निर्बाध रूप में वाहनों की भी आवाजाही हो सके और मेट्रोलाइट की अधिकतम रफ्तार 60 किमी प्रति घंटे होगी। साथ ही मेट्रो के जानकारों के अनुसार अगर जरूरत हुई तो मेट्रोलाइट से बदलकर इसे कॉरिडोर पर सामान्य मेट्रो भी चल सकती है।
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