दिल्ली में सूने रहे 400 से ज़्यादा बार, पब और रेस्ट्रॉन्ट, खुलने के लिए नोटिफिकेशन का है इंतजार
नई आबकारी नीति का प्रभाव तकरीबन सभी शराब पीने वालो और साथ ही बेचने वालो पर बराबर से पड़ा है क्योकि न तो बार खुले और ना ही शराब बिक्री केंद्र

देश की राजधानी दिल्ली में लोगो द्वारा फ्री डिस्काउंट शराब का हद से ज्यादा फायदा उठाया गया। लेकिन फ्री की स्कीम ज्यादा दिनों तक नहीं चल पायी और सरकार अब इस सोच में है कि इसको कैसे रोका जाए। लोगो द्वारा सुनी गयी नई आबकारी नीति के बाद सब वयापार थप होने कि तादात पर आ गए है। जहां ठेको के साथ क्लब, बार और रेस्टोरेंट पर भी बहुत दबाव आया है।
बता दें कि विवादों में आई नई आबकारी नीति का प्रभाव तकरीबन सभी शराब पीने वालो और साथ ही बेचने वालो पर बराबर से पड़ा है। इसका असर ऐसे दिखाई दिया कि न तो बार खुले और ना ही शराब बिक्री केंद्र जिसकी वजह से शराब के शौकीन लोगों को निराश होना पड़ा। इसी के साथ खबर यह आ गयी थी कि Excise Policy को बड़ा दिया गया है लेकिन दिल्ली आबकारी विभाग की वेबसाइट पर इसका कोई अपडेट नहीं किया गया था।
हालाँकि, नीति को बढ़ाने कि रिपोर्ट सामने आ गयी थी जहां इसे अब सितम्बर तक कर दिया है लेकिन अधिकारिक तौर पर दिल्ली सरकार के निर्णय नहीं आने की वजह से दिल्ली में शराब की दुकानों पर ताला लगा रहा। इतना ही नहीं दुकानदार देर शाम तक इंतजार करते रहे कि नोटिफिकेशन आ जाए तो वह अपनी दुकान का शटर खोलें। लेकिन ऐसा नहीं हुआ और अधिकारिक जानकारी लाइसेंसधारियों को नहीं मिली।
बता दें कि कनाट प्लेस, खान मार्केट, हौजखास, ग्रीन पार्क, साउथ एक्स, बसंत कुंज, कालकाजी व ग्रेटर कैलाश जैसे बार के लिए लोकप्रिय ठिकाने भी पहले के मुकाबले खामोश रहे। बार के बाहर ड्राई डे या बार बंद हैं जैसे पोस्टर लगे हुए थे।
दिल्ली लीकर ट्रेडर्स एसोसिएशन के अध्यक्ष नरेश गोयल ने बताया कि ‘नई आबकारी नीति कामयाब नहीं रही। पुरानी नीति की अपेक्षा नई नीति में कई खामिया है। सबसे बड़ी खामी तो यही है कि सैकड़ों लोग बेरोजगार हो गए। एसोसिएशन का अध्यक्ष होने के नाते दावे से कह सकता है कि सरकार पुरानी आबकारी नीति को लागू करती है। सोमवार को इस व्यवसाय से जुड़े लोग उलझन की स्थित में रहे। एक अनुमान के अनुसार 40 करोड़ रुपये का नुकसान एक दिन के बंद में उठाना पड़ा। 25 करोड़ रुपया रेवेन्यू का नुकसान हुआ। शराब के शौकीनों की परेशानी भी बढ़ी।’
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