
गुरूवार को प्रधानमंत्री द्वारा लाल किले में सिख गुरु तेग बहादुर के 400वें प्रकाश पर्व समारोह में भाग लिया गया । साथ ही इस समारोह में उन्होंने एक स्मारक सिक्का तथा डाक टिकट भी जारी किया। इस 2 दिवसीय कार्यक्रम का आयोजन भारत सरकार द्वारा दिल्ली सिख गुरुद्वारा प्रबंधक कमेटी के साथ मिलकर आयोजित किया गया।
बता दे कि इसके दौरान देश के विभिन्न हिस्सों से रागी और बच्चों ने ‘शबद कीर्तन’ प्रस्तुत किया, जिसे प्रधानमंत्री बड़े गौर से सुनते रहे।
इतना ही नहीं प्रधानमंत्री ने लाल किले से लोगों को सम्भोदित किया और कहा ‘भारत को अपनी पहचान बचाने के लिए एक बड़ी उम्मीद गुरु तेगबहादुर जी के रूप में दिखी थी। औरंगजेब की आततायी सोच के सामने उस समय गुरु तेगबहादुर जी, ‘हिन्द दी चादर’ बनकर, एक चट्टान बनकर खड़े हो गए थे। उस समय देश में मजहबी कट्टरता की आंधी आई थी। धर्म को दर्शन, विज्ञान और आत्मशोध का विषय मानने वाले हमारे हिंदुस्तान के सामने ऐसे लोग थे जिन्होंने धर्म के नाम पर हिंसा और अत्याचार की पराकाष्ठा कर दी थी। गुरु तेग बहादुर जी के बलिदान ने, भारत की अनेकों पीढ़ियों को अपनी संस्कृति की मर्यादा की रक्षा के लिए, उसके मान-सम्मान के लिए जीने और मर-मिट जाने की प्रेरणा दी है।’
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