अक्सर देखा जाता है कि दिल्ली सरकार के अस्पतालों में दूसरे राज्य के लोगों के साथ सही से नहीं व्यवहार किया जाता है जिसके चलते अब दिल्ली हाईकोर्ट ने मंगलवार को बताया कि राष्ट्रीय राजधानी में सरकारी अस्पतालों को रोगी के निवास स्थान की परवाह किए बिना नागरिकों को मेडिकल ट्रीटमेंट प्रदान करना जरूरी है और कोई भी उनकी अस्पताल वोटर आईडी पर जोर नहीं दे सकते हैं। जानिए पूरी खबर
बता दें कि दिल्ली के अस्पतालों को लेकर न्यायमूर्ति प्रतिभा एम सिंह ने बताया कि एक बिहार के निवासी की याचिका पर सुनवाई कि है जहां अस्पताल बाहर से आने वालों को इलाज से इनकार नहीं कर सकते। ऐसे में इस याचिका में आरोप लगाया गया है कि शहर के सरकारी लोक नायक अस्पताल केवल दिल्ली निवासियों को ही मुफ्त MRI परीक्षण की सुविधा प्रदान करते है।
वही दूसरी तरफ दिल्ली सरकार ने कोर्ट को आश्वासन दिया कि अस्पताल की ओर से रोगी के निवास स्थान के आधार पर कोई भेदभाव नहीं किया जाता है। साथ ही दिल्ली सरकार के एडवोकेट ने बताया कि याचिकाकर्ता को अपना मतदाता पहचान पत्र प्रस्तुत करने के लिए कहा गया था लेकिन यह सिद्ध करने के लिए अभी कोई रिकॉर्ड मौजूद नहीं है और उपलब्धता को देखते हुए MRI की तारीखें दी गई थीं।
MRI के लिए दी 2024 की तारीख
हलांकि, याचिकाकर्ता के एडवोकेट अशोक अग्रवाल ने साथ ही कहा कि अस्पताल ने बाहरी लोगों के प्रति भेदभावपूर्ण रुख देखा जाता है क्योकि अस्पताल द्वारा याचिकाकर्ता के घुटने के एमआरआई स्कैन के लिए जुलाई 2024 तारीख दी है। ऐसे में उन्होंने दावा किया कि दिल्ली के मतदाता पहचान पत्र रखने वाले लोगों को जल्दी ट्रीटमेंट दिया गया और बाहरी लोगों को लंबी तारीखें प्रदान कि गयी।