फांसी से पहले पूरी होती है कैदी की आखिरी इच्छा? पूर्व जेलर ने बताया राज
आपने ज्यादातर फिल्मों में देखा होगा कि फांसी देते वक्त खूंखार से खूंखार अपराधी की भी आखिरी इच्छा पूछी जाती है. पर ऐसा सच में होता है? क्या

आपने ज्यादातर फिल्मों में देखा होगा कि फांसी देते वक्त खूंखार से खूंखार अपराधी की भी आखिरी इच्छा पूछी जाती है. पर ऐसा सच में होता है? क्या फांसी देते वक्त अपराधी से पहले उसकी आखिरी इच्छा पूरी करनी जाती है और यदि हां तो ऐसी कौन-कौन सी इच्छाएं पूरी होती हैं? एक इंटरव्यू में तिहाड़ जेल के जेलर सुनील गुप्ता ने जेल के अंदर के सभी सच बताए. पहले जेलर रहे सुनील गुप्ता ने बताया कि फिल्म में दिखाई देने वाली ये चीजें मनगढ़ंत हैं. उनका सच्चाई से कुछ मतलब नहीं है. इसलिए जानते हैं कि तिहाड़ के पूर्व जेलर ने क्या बताया?
आखिरी इच्छा वाली बात कितनी सच्ची?
जेलर सुनील गुप्ता ने बताया कि आखिरी इच्छा पूछने वाली बात में बिलकुल भी सच नहीं है अगर कोई अपराधी यही बोल दे कि मेरी आखिरी इच्छा है कि मुझे फांसी न दो तो ऐसा नहीं हो सकता है. आखिरी इच्छा में यह नहीं पूछा जाता कि आपको क्या खाना है? क्योंकि जिसको फांसी दी जानी है थोड़ी देर में, उसे भी पता होता है की वह इस दुनिया से जाने वाला है तो वह क्या ही खाएगा क्योंकि उसका खुद का भी ये मन नहीं करेगा.
ये आखिरी इच्छाएं की जाती हैं पूरी
तिहाड़ के जेलर सुनील गुप्ता ने बताया कि अंतिम इच्छा का मतलब यह है कि अगर वह कैदी अपनी कोई प्रॉपर्टी किसी के नाम तो नहीं करना चाहता. आखिरी इच्छा इस तरह की होती है. फिर वो मजिस्ट्रेट को बताता है कि वह प्रॉपर्टी किसके नाम करना चाहता हूं या पैसा किसी के नाम करना चाहता हूं और ये सोना मैं किसे देना चाहता हूं. आखिरी इच्छा इस तरह की होती है. बाकी जो आखिरी इच्छा के बारे में फिम्लो के अंदर दिखाया जाता है वो सब मनगढ़ंत है.