देश में तकरीबन सभी लोग है जो ट्रैन से सफर करते है। ऐसे मे अब उत्तर भारत के रेल यात्रियों के लिए अच्छी खबर सामने आयी है क्योकि अक्सर देखा जाता है कि ट्रैन से बहुत से हादसों कि खबर सामने अति है जिसके चलते अब दिल्ली से पंडित दीनदयाल उपाध्याय रेलवे स्टेशन के सिंगल व डबल लाइन पर भी ज्यादा से ज्यादा ट्रेनें सुरक्षित करने वाले है। इतना ही नहीं, मुंबई से दिल्ली और फिर इससे आगे दीन दयाल उपाध्याय स्टेशन तक पूरी रफ्तार से ट्रेनें सुरक्षित चलाई जाएगी।
बता दें कि रेलवे ने गाजियाबाद से दीनदयाल स्टेशन के पूरे ट्रैक (762 किलोमीटर) पर मैकेनिकल इंटरलॉकिंग की जगह इलेक्ट्रॉनिक इंटरलॉकिंग का काम पूरा हो गया है। साथ ही दिल्ली-अंबाला के बीच भी ट्रैक इलेक्ट्रॉनिक इंटरलॉकिंग से लैस है और रेलवे दिल्ली-मुंबई और दिल्ली-हावड़ा के बीच भी 160 किलोमीटर प्रतिघंटे की रफ्तार से ट्रेन चलाने के लिए रेलवे ट्रैक, ट्रैक के किनारे फेंसिंग और कंस्ट्रक्शन जैसा सारा काम तेजी से चल रहा है।
ये सारी चीज़े इसलिए कि जा रही है क्योकि मुंबई से हावड़ा तक के ट्रैक पर पूरी रफ्तार से ट्रेनों का सुरक्षित संचालन संभव हो सकेगा और रेलवे मौजूदा उच्च घनत्व वाले मार्गों पर और अधिक ट्रेन चलाने के लिए लाइन क्षमता को बढ़ाया जा रहा है। जिसके तहत स्वचालित ब्लॉक सिग्नलिंग (ABS) के लिए मिशन मोड पर काम चलता देखा जा रहा है। अभी तक 3,706 रूट Km तक एबीएस की सुविधा है और 2,888 स्टेशनों को अभी तक मैकेनिकल इंटरलॉकिंग की जगह इलेक्ट्रॉनिक इंटरलॉकिंग से लैस हो गए है। हालाँकि, ये रेलवे का यह सबसे लंबा ऑटोमेटिक ब्लाक सिग्नलिंग खंड भी बन चूका है।
क्या होगा फायदा
वही इस सिग्नलिंग सिस्टम के तहत अब स्टेशन मास्टर ही सभी ट्रेनों के रूट को सेट करेंगे और वहीं से ये सब कंट्रोल रहेगा। लेकिन डबल लाइन है और इलेक्ट्रॉनिक सिग्नलिंग सिस्टम से लैस है तो अनलिमिटेड ट्रेन और सुरक्षित तरीके से चल पायेगी और ट्रेनों का संचालन भी सुरक्षित हो जाएगा। जिससे मानव संसाधन में भी कमी आएगी और गलतियां भी कम होंगी। वही ट्रेनों की रफ्तार में भी बढ़ोतरी आएगी तो ट्रैक पर ज्यादा ट्रेनें दौड़ सकेंगी।