दिल्ली

जानें दिल्ली के सबसे बड़े गांव में कैसे बना कूड़े का पहाड़, सिमट गया गांव का क्षेत्रफल

दिल्ली के सबसे बड़े और प्राचीन गावों में से एक घड़ौली का क्षेत्रफल सिमट कर 10 गुना कम रह गया है, जाने गांव में कैसे बना कूड़े का पहाड़

दिल्ली के सबसे बड़े गांव में से एक घड़ौली गांव का क्षेत्रफल  सिमटकर 10 गुना कम हो रह गया है। इस गांव की ज़मीन पर बिल्डिंग बनती रही और गांव का रकबा कम होता गया। घड़ौली गांव जो कभी 5000 बीघे में फैला हुआ करता था, वो आज सिर्फ 500 बीघे में सीमित होकर रह गया है। घड़ौली के लोगों के अनुसार सरकार ने उनके गांव में गड्डा बंद करने के नाम पर कूड़ा डालना शुरू कर दिया और घड़ौली वासियों के लगातार विरोध करने के बावजूद भी यहां गाज़ीपुर लैंडफिल साइट के नाम से एक कूड़े का पहाड़ खड़ा हो गया। 

जानकारी के मुताबिक, यह गांव लगभग 516 वर्ष पुराना है। गांव के बुज़ुर्ग चौधरी जय नारायण के अनुसार, यह गांव चौहानों का खेड़ा था और फिर बाद में यहां गूजर आकर बस गए। आज यहाँ पर सबसे ज़्यादा आबादी गूजरों की है। इसी के साथ ही यहां पर प्रजापति, जोगी, बाल्मीकि, ब्राह्मण और मुस्लिम समाज के लोग भी रहते है। घड़ौली गांव के लोगों से गाज़ीपुर लैंडफिल साइट लगभग 400 मीटर की दूरी पर है। घड़ौली गांव और गाज़ीपुर लैंडफिल साइट के बीच से एक हिंडन-यमुना  नहर भी गुज़रती है। नहर का हाल भी नाले जैसा हो गया है। लगभग पिछले 35 साल से इस गांव के लोग कचरे की बुरी गंध और श्वास  रोग, चर्म रोग और अन्य गंभीर बिमारियों से जूझ  रहे है। जब गांव में पश्चिमी हवा चलती है तो घड़ौली गांव के सदस्यों का मन करता है कि गांव छोड़कर कही और जाकर रहने लगे। दिन में कूड़े की गन्दी बदबू  तो रात में मच्छर गांववासियों को जीने नहीं देते।

5000 बीघा से 500 बीघे का सफर 

सूत्रों के अनुसार, चौधरी जय नारायण ने ज़मीनी कागज़ात दिखाते हुए अपने बयान में कहा कि 19 अगस्त 1976 में इमरजेंसी के समय सरकार ने गांव की 2250 बीघा ज़मीन 1.5 रुपया प्रति गज़ के हिसाब से घड़ौली गांव के लोगों से ली। जिनमें से 500 बीघा ज़मीन में हिंडन-यमुना नहर निकल गई और 16 बीघा ज़मीन सपेरा नामक बस्ती को दे दी गई। घड़ौली गांव की ज़मीन पर 1984 -85 के समय  मुल्ला कॉलोनी नाम की एक कॉलोनी बसी। गांव की 25 बीघा ज़मीन मुल्ला कॉलोनी के कब्रिस्तान के लिए सरकार द्वारा उपार्जित कर ली गई।

Radhey Krishna Auto

एमसीडी कमिश्नर को नहीं भूले गांव वासी

तत्कालीन कमिश्नर बहादुर राम टमटा की कट्टरता को नहीं भूले है घड़ौली गांव के बुज़ुर्ग। चौधरी रामफल जो 95 वर्ष के हैं, बताते हैं कि कमिश्नर ने उनकी ज़मीने हड़पने के लिए खड़ी फसलों को कटवा दिया था। 

घड़ौली गांव में स्थित शिव मंदिर 

घड़ौली गांव की ज़मीन पर गूजरों ने भगवान शिव का प्राचीन मंदिर बनाया था। गांव के चौक पर आज भी प्राचीन शिव मंदिर उपस्थित है, मंदिर की चौपाल में बुज़ुर्ग शाम को एकत्र होते हैं। विभिन्न प्रकार के जातियों के लोग गांव में शांतिपूर्ण तरीके से रहते हैं। 

ये भी पढ़े:- दिल्ली के अशोक विहार में डबल मर्डर से सनसनी

Rahil Sayed

राहिल सय्यद तेज़ तर्रार न्यूज़ चैनल में बतौर कंटेंट राइटर कार्य कर रहे हैं। इन्होंने दिल्ली से सम्बंधित बहुत सी महत्वपूर्ण घटनाओं और समाचारों को अपने लेखन में प्रकाशित किया है।

Related Articles

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Back to top button