
जैसा की आप को पता है मेट्रो के कई मामलें हमारे सामने आते है आये दिन कोई न कोई यात्री की दुर्घटना हो ही जाती है इसी को देखते हुए प्लेटफॉर्म और मेट्रो के बीच सुरक्षा के तौर पर सभी 45 स्टेशनों पर प्लेटफॉर्म स्क्रीन डोर (PASD) लगाए जाएंगे। बता दें मेट्रो और प्लेटफॉर्म के बीच में पीएसडी (PASD) बैरिकेड के तौर अब काम शुरू करेंगे। अच्छी बात ये है कि मेट्रो के पहुंचने के बाद ही गेट खुलेंगे और बंद होंगे।
मेट्रो फेज-4 के सभी स्टेशनों पर यात्रियों की सुरक्षा के लिए और अधिक इंतजाम किए जाएंगे। मेट्रो को आने और जाने के दौरान संतुलन बिगड़ने से ट्रैक पर गिरने का खतरा अब नहीं होगा। और साथ ही आत्महत्या की आशंका भी नहीं रहेगी, क्योंकि अब ट्रैक पर छलांग लगाने की गुंजाइश नहीं होगी।
बता दें मेट्रो फेज-4 के तीन कॉरिडोर पर तेजी से कार्य चल रहा है। एयरोसिटी से तुगलकाबाद, मजलिस पार्क से मौजपुर और जनकपुरी पश्चिम से आरके आश्रम के बीच तीन कॉरिडोर का काम शुरू किया जा रहा है। साथ ही तीनों कॉरिडोर को तैयार होने के बाद मेट्रो के नेटवर्क विस्तार के साथ सफर में सुरक्षा के भी इंतजाम भी होंगे।
फेज-4 के तीनों कॉरिडोर के स्टेशनों पर पीएसडी (PASD) लगाने के लिए टेंडर जारी कर दिए गए है। भूमिगत मेट्रो स्टेशनों पर प्लेटफॉर्म और सुरंगों से होकर आने वाली तेज़ हवा को भी रोकना संभव होगा। जिससे की अचानक तापमान में गिरावट या वृद्धि नहीं होगी।इसके साथ ही ऊर्जा की भी बचत होगी। और इसके अलावा शेष 27 एलिवेटेड स्टेशनों पर लगने वाले पीएसडी (PASD) की ऊंचाई एयरपोर्ट एक्सप्रेस लाइन की तुलना में लगभग 50 फीसदी होगी।
एयरपोर्ट एक्सप्रेस लाइन की तर्ज पर भूमिगत स्टेशनों पर पूरी ऊंचाई के स्क्रीन डोर भी लगेंगे। बाकी स्टेशनों पर कम ऊंचाई के पीएसडी (PASD) लगाए जाएंगे। साथ ही यात्रियों की सुरक्षा, हवा की आवाजाही को पीएसडी से नियंत्रित करने में मदद मिलेगी। इससे ऊर्जा भी कम लगेगी और साथ ही परिचालन की लागत भी कम होगी। दिल्ली मेट्रो रेल कॉरपोरेशन (डीएमआरसी) ने इसके लिए टेंडर जारी कर दिया है।
आप को बता दें पीएसडी (PASD) दो तरह के होते हैं। प्लेटफॉर्म स्क्रीन के दरवाजे पूर्ण ऊंचाई और आधी ऊंचाई के होते हैं। जो मेट्रो और प्लेटफॉर्म के बीच अवरोधक के तौर पर काम करते हैं। मेट्रो के प्लेटफॉर्म पर रुकने के बाद ही पीएसडी खुलते हैं। जिससे की मेट्रो परिचालन के दौरान न तो कोई गलती से ट्रैक पर गिर सकता है और न ही कोई छलांग लगा पाएगा।
बता दें पूर्ण ऊंचाई वाले प्लेटफॉर्म स्क्रीन डोर को स्वचालित प्लेटफॉर्म गेट के तौर पर इस्तेमाल किया जाता है। इससे मेट्रो यात्रियों की सुरक्षा होती है। आधी ऊंचाई के पीएसडी से भी यात्रियों को ट्रैक पर गिरने से रोका जा सकता है। बात दें की दुनिया के कई देशों की मेट्रो में पीएसडी (PASD) का इस्तेमाल किया जा रहा है।
कई बार आपने देखा होगा की गलती से ट्रैक पर अचानक गिरने का खतरा भी रहता है। पीएसडी लगने से ट्रैक पर गिरने का जोखिम नहीं रहेगा। और साथ ही ट्रैक पर छलांग लगाकर आत्महत्या करने वालो की भी घटनाएं कम होंगी।
मेट्रो की तेज रफ्तार से गुजरने के कारण हवा के तेज झोंके से तापमान में अचानक बदलाव भी नहीं होगा। इससे एसी (AC )के इस्तेमाल में कम बिजली की भी जरूरत होगी। वेंटिलेशन को भी बराबर किया जा सकेगा। और साथ ही अंडरग्राउंड स्टेशनों पर मेट्रो के पहुंचने पर तेज़ हवा का प्रभाव भी कम होगा।
ट्रेन संचालन से मोटरमैन या कंडक्टर की भी जरूरत नहीं पड़ेगी पीएसडी से ध्वनि प्रदूषण को भी कम किया जा सकेगा इससे यात्रियों को प्लेटफॉर्म पर होने वाली घोषणाएं सुनने में भी आसानी होगी।
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