
दिल्ली के पर्यावरण मंत्री गोपाल राय ने मंगलवार यानी आज कहा कि पूसा बायो-डीकंपोजर, जिससे फसल के बाद धान की पराली को सड़ने में मदद मिलने की उम्मीद है।
आपकों बता दे कि इस साल उसी डीकंपोजर का प्रयोग दिल्ली में लगभग 5,000 एकड़ जमीन पर छिड़काव करके किया जाएगा। पर्यावरण मंत्री के अनुसार, माइक्रोबियल घोल का छिड़काव अक्टूबर के पहले सप्ताह से शुरू हो जाएगा।
आपकों बता दे कि दिल्ली सरकार पराली जलाने के विकल्प के रूप में भारतीय कृषि अनुसंधान संस्थान द्वारा विकसित जैव-अपघटक के उपयोग पर जोर दे रही है।
इसी के साथ, उन्होंने कहा कि 2020 में पेश किए गए बायो-डीकंपोजर को उस साल 3,000 एकड़ धान के खेतों में और 2021 में लगभग 4,000 एकड़ में छिड़काव किया गया था।
फिलहाल, डीकंपोजर का छिड़काव कराने के लिए किसानों से आवेदन मांगे गए हैं। इस साल भी हर वर्ष की तरह छिड़काव नि:शुल्क किया जाएगा।
पिछले दो वर्षों में, दिल्ली सरकार ने भारतीय कृषि अनुसंधान संस्थान से कैप्सूल खरीदे थे जिन्हें बाद में बेसन और गुड़ के साथ मिलाकर एक घोल बनाया जाता था, जिसे खेतों में छिड़का जाता था।
राय ने कहा कि इस साल प्रक्रिया में लगने वाले समय को कम करने के लिए पूरा तैयार किया गया घोल खरीदा जा रहा है। तैयार घोल के अलावा संस्थान द्वारा एक पाउडर भी विकसित किया गया है।
अधिकारियों ने कहा कि परिवहन की सुविधा के लिए पाउडर को सैंपल के आधार पर पेश किया जा रहा है क्योंकि समाधान का परिवहन करना मुश्किल हो सकता है।
पंजाब में डीकंपोजर के छिड़काव पर राय ने कहा कि, ‘पंजाब में पहली बार इसका छिड़काव किया जा रहा है। फसल और बुवाई के बीच का समय छोटा है, और वैज्ञानिक कह रहे हैं कि जब तक डीकंपोजर को काम करने में लगने वाला समय कम नहीं हो जाता, तब तक किसान इसका बड़े पैमाने पर उपयोग नहीं कर सकते हैं।
अब डीकंपोजर को काम करने में इसमें लगभग 15 से 20 दिन लग सकते हैं। वैज्ञानिक इस समय को कम करने पर काम कर रहे हैं। पंजाब में ये प्रोजेक्ट उन इलाकों में होगा जहां ज्यादा समय है।
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