हिंदी दिवस के अवसर पर 14 सितंबर, 2023 को नागरी लिपि परिषद, नई दिल्ली में आयोजित कार्यक्रम में विशिष्ट अतिथि के रूप में काशी हिंदू विश्वविद्यालय, वाराणसी के हिंदी विभाग के सहायक आचार्य डाॅ. अशोक कुमार ज्योति ने अपना वक्तव्य दिया। उन्होंने कहा कि भारत की जिन-जिन भाषाओं की लिपि देवनागरी है, उन्हें परस्पर समझने में विशेष कठिनाई नहीं होती है।
उन्होंने कहा कि सभी भारतीय भाषाओं में तत्सम शब्दों की विद्यमानता इस बात की द्योतक है कि हम भाषायी स्तर पर भिन्न होते हुए भी एक सूत्र में जुड़े हुए हैं। इसलिए हम सभी भाषा-भाषियों के प्रति सम्मान का भाव रखें और उन्हें सीखने का प्रयास करें। इस अवसर पर ‘नागरी संगम’ पत्रिका के नवीन अंक का लोकार्पण भी किया गया।
नागरी लिपि परिषद के महासचिव डाॅ. हरिसिंह पाल ने स्वागत वक्तव्य देते हुए हिंदी के विकास में नागरी लिपि के महत्त्व पर प्रकाश डाला। इस अवसर पर किसान आंदोलन के पृष्ठभूमि पर आधारित चर्चित उपन्यास ‘एका’ के लेखक राजीव कुमार पाल ने भी अपने विचार व्यक्त किए और दिल्ली विश्वविद्यालय की हिंदी शोधार्थी श्रीमती मोनिका जायसवाल ने धन्यवाद ज्ञापन किया।