Hindu Succession Act, 1956: भाई-बहन को प्रॉपर्टी में बराबर हक, फिर क्यों ये भेदभाव
Hindu Succession Act, 1956 हिंदू कोड बिल में शामिल एक कानून है। यह हिंदू परिवारों में उत्तराधिकार का कानून है।

Hindu Succession Act, 1956 हिंदू कोड बिल में शामिल एक कानून है। यह हिंदू परिवारों में उत्तराधिकार का कानून है। इस कानून में यह बताया गया है कि अगर किसी हिंदू व्यक्ति की मृत्यु हो जाती है और उसकी वसीयत नहीं बनी होती। तब इस कानून के तहत कैसे उसकी प्रॉपर्टी सगे और रिश्तेदारों में बाटी जाएंगी।
बता दें कि Hindu Succession Act 1956, के अंतगत धारा 15 और 16 पर कोर्ट में याचिका दायर हुई है। सुप्रीम कोर्ट में यह याचिका दायर करके कहा गया है कि यह दोनों सेक्शन महिलाओं के विरुद्ध है और इसमें भेदभाव हो रहा है। भेदभाव यह कि अगर कोई महिला बिना वसीयत के मर जाती है तो उसको मिली हुई प्रॉपर्टी पहले बच्चों के पास, फिर पति के पास, फिर पति के माता-पिता को और बाद में उसके माता-पिता को हक दिया जाता है।
लेकिन क्या आप जानते है कि इस एक्ट के अंतगत कई बड़े भेदभाव है? आज आपको इस आर्टिकल में बताएंगे कि पिता की प्रॉपर्टी में बराबर हक मिलने के बाद भी क्या भेदभाव किए जाते है। इस पूरे भेदभाव को समजने के लिए उदहारण का इस्तेमाल करते है।
बता दें कि 1956 में आए कानून के मुताबिक राम और प्रिया को अपने माता-पिता की प्रॉपर्टी में बराबर हक मिलेगा। वही 2004 में 1956 के कानून में दो बड़े बदलाव का प्रस्ताव रखा गया।
पहला प्रपोसल यह था कि धारा 6 को बदलना चाहिए। धारा 6 के तहत राम और प्रिया को प्रॉपर्टी में बराबर हक मिलेगा। लेकिन पिता की मौत के बाद प्रिया से हक छीन लिया जाएगा। 2005 में इसमें संशोधन किया गया। इसमें पिता की मृत्यु के बाद भी राम और प्रिया को प्रॉपर्टी में बराबर हक मिलेगा।
दूसरी धारा 23 , धारा 23 के तहत अगर राम और प्रिया जॉइंट फॅमिली में रहते है और कुछ समय बाद प्रिया अलग होने का विचार करती है तो प्रॉपर्टी में उसका हक छीन लिया जाएगा। 2005 में इस धारा में संशोधन किया गया।
बता दें कि धारा 15 और 16 के खिलाफ पेटिशन लगाई गई हैं। पेटिशन की वकील मृणाल दत्तात्रेय ने कहा कि अगर कोई महिला बिना वसीयत के मर जाती हैं, तो उसका पति बिना उसके मां-बाप के लिए कुछ हिंसा छोड़े सारा हिस्सा ले सकता है। लेकिन अगर कोई हिंदू पुरुष बिना वसीयत के मर जाता हैं, तो उसकी प्रॉपर्टी उसके बीवी, बच्चों और मां-बाप को मिलेगी। इसमें पत्नी के रिश्तेदारों का कोई लेना-देना नहीं होता।
इससे एक उदहारण से समझते है। अब मान लीजिए प्रिया की शादी प्रतीक से होती है। वही प्रिया की मौत बिना वसीयत के हो जाती हैं, तो प्रॉपर्टी ऐसे बटेगी-पहले बच्चों और पति का हक होगा। फिर प्रिया के सास-ससुर का होगा। सास ससुर के बाद प्रिया के मां-बाप का हक होगा। लेकिन अगर प्रतिक की मौत बिना वसीयत के होती हैं, तो प्रॉपर्टी ऐसे बटेगी- पहले पत्नी और बच्चों को हक मिलेगा। उसके बाद प्रतीक के मां-बाप को।
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