8 वर्षों में किसने बनाए सबसे ज्यादा स्कूल, मोदी सरकार या मनमोहन सिंह? देखे लिस्ट
शिक्षा और रोजगार के मुद्दे पर मोदी सरकार को कई बार घेरा जाता है बता दें विपक्ष शुरवात से ही सरकार पर ऊँगली उठता रहा है

शिक्षा और रोजगार के मुद्दे पर मोदी सरकार को कई बार घेरा जाता है बता दें विपक्ष शुरवात से ही सरकार पर ऊँगली उठता रहा है लेकिन सरकार ने भी कई मोको पर अपने आंकड़े गिनाये और बताया की लगातार नए स्कूल, सोल्लगे और यूनिवर्सिटी खोले जा रहे है जिससे हर बच्चे को शिक्षा मिल सके.
इन किये गए दावों और जवाबों की की सचाई को आंकड़ों से समझने के लिए RTI दायर के सरकार ने जानकारी मांगी और सवाल किया कि नरेंद्र मोदी के कार्याकाल के 8 वर्षों में कितने केंद्रीय विद्यालय खोले गए और मनमोहन सिंह के 8 वर्षों के कार्येकाल में कितने केंद्रीय विद्यालय खोले गए थे.
जानकारी के मुताबिक प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के 8 वर्षों के कार्येकाल में 159 केंद्रीय विधालय खोले गए और मनमोहन सिंह के 8 वर्षों के कार्येकाल में 202 स्कूलों की शुरवात हुई थी.
आपको बता दें कि 01 अप्रैल 2022 तक, काठमांडू, मॉस्को और तेहरान में तीन केंद्रीय विद्यालयों सहित कुल 1249 केंद्रीय विद्यालय हैं. और 1,249केंद्रीय विद्यालयों में लगभग 14,35,562 छात्र इनरोल हैं.
राज्य | मोदी सरकार के 8 वर्ष | मनमोहन सरकार के 8 वर्ष |
आंध्र प्रदेश | 7 | 6 |
अरुणाचल प्रदेश | 5 | 4 |
असम | 3 | 6 |
बिहार | 4 | 16 |
छत्तीसगढ़ | 10 | 6 |
नई दिल्ली | 3 | 3 |
गुजरात | 1 | 3 |
हरियाणा | 8 | 1 |
हिमाचल प्रदेश | 2 | 2 |
जम्मू-कश्मीर | 2 | 3 |
झारखंड | 9 | 9 |
कर्नाटक | 13 | 8 |
केरल | 3 | 9 |
मध्य प्रदेश | 20 | 20 |
महाराष्ट्र | 3 | 5 |
मणिपुर | 2 | 2 |
मिजोरम | 0 | 2 |
नागालैंड | 1 | 0 |
ओडिशा | 10 | 24 |
पांडिचेरी | 0 | 2 |
पंजाब | 2 | 10 |
राजस्थान | 14 | 11 |
सिक्किम | 0 | 0 |
तमिलनाडु | 4 | 10 |
तेलंगाना | 9 | 6 |
त्रिपुरा | 1 | 4 |
जानकारी के मुताबिक भारत सरकार ने नवंबर 1962 में केंद्र विद्यालय की योजना को मंजूरी दी थी ताकि सरकार रक्षा कर्मचारियों के बच्चों के लिए शैक्षिक सुविधाएँ प्रदान कर सके. बता दें कि 1963-64 के दौरान डिफेन्स स्टेशन में 20 रेजिमेंटल स्कूलों को केंद्रीय स्कूलों में लिया गया था.बता दें कि केंद्र सरकार ने KV में एडमिशन सांसद कोटा खत्म कर दिया है इस कोटे के जरिये केंद्र विद्यालयों में एडमिशन के लिए 10 नामों की सिफारिश कर सकते थे. और संसद को इस के तहत एडमिशन के लिए बहुत दबाव झेलना पडता था.
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