Rabies के इलाज में जरा भी देरी सुला सकती है मौत की नींद

भारत की बात की जाए तो यहा रेबीज के लगभग 30-60% मामले और मौतों में 15 साल से कम उम्र के बच्चे शामिल है, लगभग मामलों के लिए कुत्ते जिम्मेदार हैं

दिल्ली से सटे यूपी गाजियाबाद में रेबिज से 14 साल के बच्चे की जान जाने की खबर चौका देने वाली हैं। दरअसल, एक महीने पहले बच्चे को कुत्ते ने काट खाया था। उसका समय पर इलाज नहीं हुआ और रेबीज का इन्फेक्शन धीरे धीरे बढ़ता चला गया। जब बच्चे को कुत्ते ने काट लिया तो उसके कुछ दिनों बाद ही बच्चे में अजीबो- गरीब लक्षण भी नजर आने लगें।

वो बच्चा हवा और पानी तक से डर रहा था। लेकिन दुखद ये है कि जब तक उसके घरवालें उसे डॉक्टर के पास लेकर गए बहुत देर हो चुकी थी। इस घटना से पता चलता है कि रेबिज का अगर समय से इलाज ना हो तो यह खतरनाक रूप ले लेती हैं। 

रिपोर्टस की मानें तो हर साल रेबीज की वजह से 18 से 20 हजार लोगों की मौत हो जाती है। वहीं अगर भारत की बात की जाए तो यहा रेबीज के लगभग 30-60% मामले और मौतों में 15 साल से कम उम्र के बच्चे शामिल हैं, क्योकिं बच्चों में काटने के निशान को अक्सर पहचाना नहीं जाता और रिपोर्ट भी नहीं किया जाता। भारत में रेबीज के लगभग 97% मामलों के लिए कुत्ते जिम्मेदार हैं, इसके बाद बिल्लियां, फिर गीदड़, नेवले और अन्य जानवर। 

अब आपकों बताते है कि आखिर रेबीज है क्या? 

रेबीज एक बीमारी है जो कि रेबीज नामक विषाणु से होती हैं। ये मुख्य रूप से पशुओं की बीमारी है लेकिन संक्रमित पशुओं से इंसानों में भी हो जाती है। ये वायरस संक्रमित पशुओं के लार में रहता हैष जब कोई जानवर किसी इंसान को काट लेता है तो ये वायरस शरीर में प्रवेश कर जाता है। यह भी बहुत मुमकिन होता है कि संक्रमित लार से किसी की आंख, मुहं या खुले घाव से संक्रमण होता हैष इस बीमारी के लक्षण मनुष्यों में कई महीनों से लेकर कई वर्षों तक दिखाई देते हैं। हालांकि, ज्यादातर ये लक्षण 1 से 3 महीनों में दिखाई देते हैं। 

अब बात करेंगे इस बीमारी के लक्ष्णों की, रेबीज के लक्षण संक्रमित पशुओं के काटने के बाद या कुछ दिनों में आने लगते हैं। तो वहीं कुछ मामलों में रोग के लक्षण दिखने में कई दिनों से लेकर कई वर्ष तक लग जाते हैं। रेबीज का एक खास लक्षण ये है कि जहां पशु काटते हैं उस जगह की मांसपेशियों में सनसनाहट होती है। 

वायरस के रोगों के शरीर में पहुंचने के बाद नसों से सिर तक पहुंच जाते हैं और कई लक्षण दिखना शुरू हो जाते है। इन लक्षणों में दर्द होना, थकावट महसूस करना, सिरदर्द होना, बुखार आना, मांसपेशियों में जकड़न होना, चिड़चिड़ापन, उग्र स्वाभाव, व्याकुल होना, अजोबो गरीबो विचार आना, कमजोरी होना तथा लकवा, लार व आंसुओं का ज्यादा बनना, तेज रौशनी व आवाज से चिड़न होना, बोलने में तकलीफ होना, अचानक आक्रमण का धावा बोलना जैसे लक्षण शामिल हैं। 

 इन सभी बातों के बाद सवाल यही हैं कि क्या इस बीमारी का कोई इलाज है? एक बाद संक्रमण पकड़ में आने के बाद रेबीज का कोई इलाज नहीं है। हालांकि, कई लोग इस बीमारी से जीत पा चुके हैं, लेकिन कहीं ना कहीं खतरा बना ही रहता है। ऐसे में अगर आपकों लगता है कि आप रेबीज के संपर्क में आ गए हैं, तो आपको इसे बढ़ने से रोकने के लिए कई तरह के विशेष टीके लगवाने चाहिए। 

कई लोगों के घर में पालतू जानवर के तौर पर कुत्ते है, तो वो क्या उनकों इससे कोई सावधानी बरतने की जरूरत है? इसे पहले सबसे ज्यादा जरूरी है कि खानपान और उसको दिया जाने वाला माहौल। ताकि आपका पालतू जानवर किसी को अपना शिकार ना बनाए। 

इसके लिए किसी भी जानवर को पालने के बाद पहला और सबसे जरूरी काम है वैक्सीनेशन, ताकि घर में रहने वाले किसी सदस्य या बाहर से आने वाले किसी इंसान के साथ खेलते हुए गलती से या जानबूझकर काटने से कोई गंभीर समस्या ना हो। ऐसे में अगर आपके पालतू जानवर का वैक्सीनेशन प्रॉपर समय से होता है तो आप रैबीज जैसी बीमारी से आराम से बच सकते हैं।

देखिए अगर कुत्ता काट भी लें तो उस जगह पर ठीक से First Aid कर लें। फिर 24 घंटे के अंदर आपको रैबीज का वैक्सीन और इसकी 4-5 डोज का पूरा कोर्स करना चाहिए। आमतौर पर कुत्ते के काटने के बाद 5 इंजेक्शन लगाने की जरूरत पड़ती है। इसके लिए पहला शॉट 24 घंटे के अंदर लगना चाहिए। इसके बाद तीसरे तीन, सातवें दिन, 14वें दिन और 28वें दिन लगता है। साथ ही 48 घंटे के अंदर काटे हुए शरीर के भाग पर immunoglobulin देना चाहिए। 

 कुछ चीज़े ऐसी भी होती है जिन्हें कुत्ते के काटने पर बिल्कुल नहीं करना चाहिए, ध्यान रखें कि कुत्ते के बाद काटने के बाद घाव पर पट्टी नहीं बांधनी चाहिए।

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