आवारा कुत्तों के काटने की घटनाएं लगातार सामने आती रहती हैं। अगर दिल्ली के 4 प्रमुख अस्पतालों की बात की जाए तो 850 से 900 लोग रोजाना डॉग बाइट का शिकार होकर वैक्सीनेशन के लिए पहुंच रहे है।
सफदरजंग अस्पताल में रोज 350 मामले आ रहे हैं तो जीटीबी अस्पताल में यह संख्या 300 से 400 के बीच है। LNJP में रोजाना 120 से 130 लोग वैक्सीन लेने पहुंचते हैं। राजा हरिश्च्रंद अस्पताल में औसतन 100 लोग रोज आ रहे है।
पिछले पांच सालों के दौरान दिल्ली में डॉग बाइट के कुल 1 लाख 14 हजार 951 मामलें MCD द्वारा रेकॉर्ड किए गए। डॉग बाइट के मामलों में साउथ दिल्ली पहले नंबर पर औऱ ईस्ट दिल्ली दूसके नबंर पर है।
वहीं अगर कुत्तों द्वारा काटे जाने से हुई मौत के आकड़ों की बात की जाए तो दिल्ली में 37 लोगों की मौत हुई है। आपकों बता दे कि कुत्तों के काटने से दो भाइयोें के मौत के आरोप के बाद एलजी वीके सक्सेना ने एमसीडी अधिकारियों को कुत्तों की नसबंदी का काम तेजी से करने का आदेश दिया है।
इन्हीं सब बातों के बीच अगर कुत्तों द्वारा कुछ किया जाता है तो आइए जानते है कि कब एंटी रेबीज़ वैक्सीन लगवाने की जरूरत है
अगर कुत्ते ने बस चाट लिया है और कहीं पर कोई नाखून या दांत से काटने के निशान नहीं आया तो ऐसें में वैक्सीनेशन की जरूरत नहीं होती।
अगर कुत्ते ने पहले से हुए जख्म पर चाट लिया है या फिर हल्का बाइट या नाखून मारने का निशान बने हैं, जिसमें खून नहीं निकला है तो वैक्सीनेशन की जरूरत होती है।
वहीं, जब दांत काटने या नाखून मारने से खून निकल जाए तो एसी स्थिति में वैक्सीनेशन की पूरी डोज लेनी होती है। इसमें ARV के चार डोज के अलावा ARS दी जाती है।
वैक्सीनेशन: जीरो, 3 दिन, 7 दिन और 28 दिन पर डॉक्टर की सलाह पर ही मरीज को एंटी रेबीज की डोज दी जाती है।
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