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सोने से भी ज्यादा महंगा है ये कीड़ा, लेकिन क्यो?

कीड़े अमूमन पक्षियों का पसंदीदा खाना होते है। लेकिन अगर ये दावा किया जाए कि किसी कीड़े को खाने से कैंसर और अस्थमा का खतरा कम होता है

कीड़े अमूमन पक्षियों का पसंदीदा खाना होते है। लेकिन अगर ये दावा किया जाए कि किसी कीड़े को खाने से कैंसर और अस्थमा का खतरा कम होता है, साथ ही मर्दाना कमजोरी तक दूर हो जाती है, तो उस कीड़े को इंसान अपनी खुराक बनाने में एक पल के लिए भी नहीं सोचेगा।

दरअसल, माना जाता है कि हिमालय की ऊंची पहाड़ियो पर पाया जाने वाला भूरे रंग का एक कीड़ा कई खतरनाक बीमारियों का इलाज करता है। इस कीड़ा का नाम है यारसागुंबा। आपकों बता दे कि यारसागुबां एक तरह की जंगली फंगस है, जो एक ख़ास कीड़े की कैटरपिलर्स को मारकर उनके ऊपर पनपता है।

इस कीड़े का वैज्ञानिक नाम है- कॉर्डिसेप्स साइनेसिस (Ophiocordyceps sinensis)। जिस कीड़े के कैटरपिलर्स पर ये उगता है, उसे हेपिलस फैब्रिकस कहते है। भारत में इसे कीड़ाजड़ी के रूप में जाना जाता है, क्योंकि यह आधा कीड़ा है और आधा जड़ी।

जानकारी के अनुसार, यारसागुंबा की खोज लगभग 15 सौ साल पहले हुई थी। सबसे पहले इसका पता तिब्बत के लोगों को चला था। उस समय वो लोग औषधीय जड़ी-बूटियों की खोज में हिलमालय के बेहद ठंडे हिस्सों में जाते थे।

वहीं ज़मीन से तकरीबन 4 हज़ार मीटर की ऊंचाई पर उन्हें यारसागुंबा मिला। पहले तिब्बत और नेपाल के लोग यारसागुंबा को सिगरेट और नूडल्स जैसी चीज़ों के बदले बेच देते थे।

उन्हें इसके औषधीय फायदों के बारे में जानकारी तो थी, लेकिन वो ये नहीं जानते थे कि वैश्विक बाज़ार में ये कितने ऊंचे दामों पर बिकता है। जैसे जैसे इस जड़ीबूटि को लेकर उनकी जानकारी बढ़ी, वे अपने उत्पाद का सही दाम वसूलने लगे।

आज के समय में यारसागुंबा अमेरिका, चीन और सिंगापुर जैसे देशों में अरबों डॉलर का शानदार बिजनेस बन गया है। यारसागुंबा बीमारियों का इलाज तो करता ही है, साथ ही यौन शक्ति को भी बढ़ाता है।

इसमें विटामिन बी-12, मेनोटाल, कार्डोसेपिन और डीपॉक्सीनेपिन जैसे तत्व होते हैं। पहले ये सिर्फ सांस से जुड़े मर्ज की दवा थी। धीरे- धीरे इसे कई जानलेवा बीमारियों का भी इलाज किया जाने लगा।

जब चीनियों ने यारसागुंबा की करीब से पड़ताल की, उन्हें पता चला कि यह कीड़ाजड़ी कई रोगों का रामबाण इलाज है। इस रहस्य के खुलने के बाद चीन और थाईलैंड जैसे देशों में इसकी डिमांड तेज़ी से बढ़ गई।

कीड़ाजड़ी का कारोबार करने वाले किसान रातोरात अमीर हो गए। 2008 में तो यारसागुंबा 60 लाख रूपये प्रति किलो तक का बिकता था, यानी की सोने से भी ज्यागा महंगा। आज भी खरीदार एक किलो कीड़ाजड़ी के लिए 15 से 20 लाख रूपये आराम से चुका देते हैं। 

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Aanchal Mittal

आँचल तेज़ तर्रार न्यूज़ में रिपोर्टर व कंटेंट राइटर है। इन्होने दिल्ली के सोशल व प्रमुख घटनाओ पर जाकर रिपोर्टिंग की है व अपनी कवरेज में शामिल किया है। आम आदमी की समस्याओ को इन्होने अपने सवालो द्वारा पूछताछ करके चैनल तक पहुँचाया है।

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