हाईकोर्ट ने किया स्पष्ट, घरेलू हिंसा के बाद महिला ससुराल में रहने की है हकदार
यह अधिकार हिंदू विवाह कानून के तहत होने वाले किसी भी अधिकार से अलग है जो कि वैवाहिक अधिकारों की बहाली से संबंधित है।

उच्च न्यायालय ने स्पष्ट किया कि घरेलू हिंसा के कानून के तहत महिला अपने ससुराल में रहने की हकदार है। आपकों बता दे कि यह अधिकार हिंदू विवाह कानून के तहत होने वाले किसी भी अधिकार से अलग है जो कि वैवाहिक अधिकारों की बहाली से संबंधित है।
दरअसल, अदालत ने यह टिप्पणी महिला को घर में रहने के अधिकार संबंधी निचली अदालत के आदेश को उचित ठहराते हुए दिया है।
जानकारी के अनुसार, न्यायमूर्ति चंद्रधारी सिंह ने एक दंपती की ओर से दायर एक याचिका को खारिज कर दिया है। दरअसल, इस याचिका में अतिरिक्त सत्र न्यायाधीश के आदेश को चुनौती दी गई थी।
याचिका में कहा गया था कि शुरू में उनकी पुत्रवधू के ससुराल वालों के साथ सौहार्दपूर्ण संबंध थे। हालांकि, समय के साथ यह बिगड़ना शुरू हो गया।
बता दें कि, हुआ यह था कि महिला ने 16 सितंबर 2011 को अपना ससुराल छोड़ दिया था। याचीका में कहा गया कि दोनों पक्षों के बीच एक-दूसरे के खिलाफ 60 से अधिक दीवानी और आपराधिक मामले दायर किए गए।
इनमें से एक मामला पत्नी द्वारा घरेलू हिंसा से महिलाओं का संरक्षण अधिनियम, 2005 के तहत था और कार्रवाही के दौरान प्रतिवादी ने संबंधित संपत्ति में निवास के अधिकार का दावा किया था।
इसी के चलते मेट्रोपॉलिटन मजिस्ट्रेट ने महिला की याचिका स्वीकार कर कहा कि पत्नी संपत्ति की पहली मंजिल पर निवास के अधिकार की हकदार है।
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