भारत में दीपावली के बाद बढ़ सकते हैं पेट्रोल के दाम, जानिए वजह
विशेषज्ञों के अनुसार ओपेक के उत्पादन में बदलाव और उसके असर में सामान्यतया 3 महीने का वक्त है और इसके साथ ही कीमतों की चाल में सरकार का...

तेल निर्यातक देशों का संगठन (ओपेक) अपने हर रोज दिन के क्रूड ऑयल के उत्पादन में करीब 2 मिलियन (20 लाख) बैरल की कटौती करने पर विचार कर रहा है। यह समूह बोहोत जल्दी ही इस कटौती पर चर्चा करने जा रहा है। अगर ऐसा होता है तो भारत सहित दुनिया के और देशों में पेट्रोल और डीजल की कीमतों में तेजी आ सकती है।
लेकिन विशेषज्ञों के मुताबिक़ कई देश अपनी क्षमता से कम ईंधन का इस्तेमाल कर रहे हैं और इसलिए इस फैसले का असर उतना व्यापक नहीं होगा। लेकिन भारत मार्किट में इसका प्रभाव देखने को मिलेगा। क्योंकि भारत अपनी जरूरत का करीब 70 फीसदी कच्चा तेल ओपेक देशों से ही मंगाता है। इस वजह से त्योहार के बाद भारत में ईंधन की कीमतों में एक बार फिर से बढ़ोतरी देखने को मिल सकती है। विशेषज्ञों के मुताबिक़ उत्पादन में कटौती से नवंबर महीने से तेल की वैश्विक आपूर्ति दो प्रतिशत कम हो जाएगी।
इसकी वजह से आगे चलकर तेल की कीमतें और बढ़ सकती हैं। सरकार ने पिछले कुछ वक्त से ईंधन के खुदरा दाम में बढ़ोतरी नहीं की है। खासकर उस वक्त जब भारत देश में खुदरा दाम अंतरराष्ट्रीय मूल्य की तुलना में 12 से लेकर 14 फीसदी कम थे। इस कारन से वित्त साल 2023 की पहली तिमाही में ज्यातर तेल विपणन कंपनियों (ओएमसी) को राजस्व का नुकसान हुआ है।
ओएमसी अब आगे कीमतें कम करने के पहले अपने नुकसान की भरपाई करेंगी। अगस्त महीने से महंगाई दर के आधार का विपरीत असर शुरू हुआ है और इसकी वजह से भी सरकार कीमत बढ़ा सकती है पेट्रोलियम और प्राकृतिक गैस मंत्री हरदीप सिंह पुरी समेत भारत सरकार ने कई बार जोर देकर कहा है कि ओएमसी को नुकसान की भरपाई के लिए और समय की जरूरत है, जो नुकसान वैश्विक दाम बढ़ोतरी रहने पर उन्होंने उठाया है। ऐसे में हम उम्मीद करते हैं कि पेट्रोल पंप पर कीमतों पर बढ़ोतरी होगी।
पूर्व महीने हरदीप सिंह पुरी ने कहा था कि ज्यादातर विकसित देशों में तेल की कीमत बढ़ गयी है। बहरहाल भारत में सरकार के समर्थन की वजह से इसमें दो फीसदी की कमी आई। उन्होंने आगे कहा है कि वैश्विक में लगातार तेजी से बड़ रही कीमत से सरकार के हाथ भी बंधेंगे। 2018 तक के आंकड़ों के मुताबिक मिले तेल भंडारों में 81.5 फीसदी इनके पास हैं। सितंबर में इस समूह ने कच्चे तेल के उत्पादन में अक्तूबर से 1,00,000 बैरल प्रति दिन की कटौती करने की घोषणा की थी।
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