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भारत के ‘टॉयलेट मैन’ कहे जाने वाले समाजशास्त्री डॉ. बिंदेश्वर पाठक का निधन, श्रद्धांजलि

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने डॉ. बिंदेश्वर पाठक के निधन पर शोक व्यक्त करते हुए, कहा कि डॉ. बिंदेश्वर पाठक जी का निधन हमारे देश के लिए एक गहरी क्षति है। वह एक दूरदर्शी व्यक्ति थे, जिन्होंने सामाजिक प्रगति और वंचितों को सशक्त बनाने के लिए बड़े पैमाने पर काम किया।

सुलभ इंटरनेशनल के संस्थापक और समाजशास्त्री डॉ. बिंदेश्वर पाठक का मंगलवार, 15 अगस्त को दिल का दौरा पड़ने से निधन हो गया।

बिहार में जन्मे डॉ. बिंदेश्वर पाठक 80 वर्ष के थे। उन्होंने 1970 में सुलभ इन्टरनेशनल की स्थापना की, जो मुख्य रूप से मानव अधिकार, पर्यावरणीय स्वच्छता, ऊर्जा के गैर पारंपरिक स्रोतों और शिक्षा द्वारा सामाजिक परिवर्तन आदि क्षेत्रों में कार्य करने के लिए विश्व प्रसिद्ध हैं। यह संस्था शिक्षा के माध्यम से मानव अधिकारों और सुधारों को बढ़ावा देने के लिए कार्य करता है।

परिजनों से मिली जानकारी के अनुसार, डॉ. बिंदेश्वर पाठक ने स्वतंत्रता दिवस के अवसर पर सुबह राष्ट्रीय ध्वज फहराया और उसके तुरंत बाद दिल का दौरा पड़ने पर दिल्ली एम्स लाया गया। अस्पताल के सूत्रों के मुताबिक दोपहर 1:42 बजे डॉक्टर की टीम ने हृदय गति रुकने के कारण उन्हें मृत घोषित कर दिया। जिसके पश्चात, बुधवार, 16 अगस्त को लोधी रोड स्थित दयानंद मुक्ति धाम में उनका अंतिम संस्कार किया गया।

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने डॉ. बिंदेश्वर पाठक के निधन पर शोक व्यक्त करते हुए, कहा कि डॉ. बिंदेश्वर पाठक जी का निधन हमारे देश के लिए एक गहरी क्षति है। वह एक दूरदर्शी व्यक्ति थे, जिन्होंने सामाजिक प्रगति और वंचितों को सशक्त बनाने के लिए बड़े पैमाने पर काम किया।

Sulabh International Founder Bindeshwar Pathak Dies Aged 80; PM Modi Calls  It A Profound Loss | India News | Zee News

मोदी ने एक्स (ट्विटर) पर एक पोस्ट में कहा कि बिंदेश्वर जी ने स्वच्छ भारत के निर्माण को अपना मिशन बना लिया। उन्होंने स्वच्छ भारत मिशन को जबरदस्त समर्थन दिया। हमारी विभिन्न बातचीत के दौरान, स्वच्छता के प्रति उनका जुनून हमेशा दिखाई देता था। उनका काम कई लोगों को प्रेरित करता रहेगा। इस कठिन समय में उनके परिवार और प्रियजनों के प्रति मेरी गहरी संवेदनाएं। ओम शांति।

सुलभ इंटरनेशनल सोशल सर्विस ऑर्गनाइजेशन की वेबसाइट (sulabhinternational.org) के अनुसार, बिंदेश्वर पाठक ने एक दिन दर्दनाक घटना देखी। उन्होंने देखा कि एक सांड लाल शर्ट पहने एक लड़के पर हमला कर रहा है। जब लोग उसे बचाने के लिए दौड़े तो किसी ने चिल्लाकर कहा कि वह ‘अछूत’ है। भीड़ ने तुरंत अपना कदम पीछे खींच लिया और उसे मरने के लिए छोड़ दिया। इस दुखद और अन्यायपूर्ण घटना ने डॉ पाठक के अंतरात्मा को अंदर तक झकझोर दिया था। उनके अनुसार, उन्होंने उस दिन महात्मा गांधी के सपनों को पूरा करने की शपथ ली, जो अछूतों के अधिकारों के लिए लड़ने के साथ-साथ अपने देश और दुनिया भर में मानवीय गरिमा और समानता के मुद्दे का समर्थन करना, उनका मिशन बन गया।

Awards and honours conferred on Dr. Bindeshwar Pathak – Sulabh International

1970 में शुरू सुलभ इंटरनेशनल संस्था के साथ वर्तमान में 50,000 से अधिक समर्पित स्वयंसेवक हैं।

सामाजिक क्षेत्र में डॉ पाठक के योगदान को राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय स्तर पर पहचान मिली। 2003 में उन्हें विश्व के 500 उत्कृष्ट सामाजिक कार्य करने वाले व्यक्तियों की सूची में शामिल किया गया। वे पद्म भूषण (1991), एनर्जी ग्लोब पुरस्कार, इंदिरा गांधी पुरस्कार, स्टाकहोम वाटर पुरस्कार, प्रियदर्शिनी पुरस्कार, दुबई अंतरराष्ट्रीय पुरस्कार, अक्षय उर्जा पुरस्कार इत्यादि समेत अनेक पुरस्कार से सम्मानित किया गया हैं। उनके महत्वपूर्ण सामाजिक कार्य के लिए न्यूयॉर्क शहर के मेयर बिल डी ब्लासियो ने 14 अप्रैल 2016 को ‘बिंदेश्वर पाठक दिवस’ के रूप में घोषित किया था।

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