लाइफस्टाइलशिक्षा

अलग-अलग रंगों के साबुन लेकिन झाग हमेशा सफेद क्यों?

साबुन का इस्तेमाल करने के साथ साथ क्या आपने कभी सोचा है कि अलग रंग का होने के बाद भी साबुन का झाग हमेशा सफेद ही क्यों बनता है?

साबुन, जिसका इस्तेमाल आप रोजाना करते ही होंगे। वही इसका इस्तेमाल करने के साथ साथ क्या आपने कभी सोचा है कि अलग रंग का होने के बाद भी साबुन का झाग हमेशा सफेद ही क्यों बनता है?

क्या आप जानते है कि साबुन को लगाते ही उसका रंग कहा उड़ जाता है? अब इसका जवाब जानने के लिए आपकों अपनी स्कूल की साइंस क्लास के बारे में सोचना होगा।

दरअसल, साइंस के अनुसार किसी भी वस्तू का अपना कोई रंग नहीं होता। लेकिन जब वस्तु पर प्रकाश की किरणें पड़ती है तो बाकी रंगो को एब्जॉर्ब कर जिस रंग को रिफलेक्ट करती है तो वही उस चीज़ का रंग माना जाता है।

साथ ही नियम ये कहता है कि जब कोई वस्तु सभी रंगो को एब्सॉर्ब कर ले तो वो काली दिखाई देती है। तो वही कोई वस्तु सभी रंगो को रिफलेक्ट करें तो वो सफेद दिखाई देती है।

ये नियम साबुन के झाग पर भी लागू होता है। आपको बता दे कि साबुन का झाग कोई ठोस पदार्थ नहीं है। ये पानी, साबुन और हवा से बनी एक पतली फिल्म होती है।

अगर ये पतली फिल्म गोल आकार ले ले तो वह बुलबुला कहलाती है। जानकारी के मुताबिक, साबुन का झाग छोटे- छोटे बुलबुलों का समुह होता है।

साबुन के एक बुलबुले में सूर्य की किरणें जाते ही अलग- अलग दिशा में रिफलेक्ट होने लगती है। यानी सूर्य की किरणे एक दिशा में जाने के बजाए अलग अलग बिखर जाती है।

जिसके कारण साबुल का बुलबुला पारदर्शी सतरंगी जैसा दिखाई देता है।  लेकिन वो रंग इतने पतले होते है कि हमे दिखाई नहीं देते। वहीं दूसरी ओर रोशनी इतनी तेज़ी से घूमती है कि वो सभी रंगो को परिवर्तित करती रहती है।

इसका मतलब अगर किसी भी वस्तु का रंग परिवर्तित हो जाए तो उसका रंग सफेद ही होगा। यही कारण है कि साबुन का रंग भी सफेद आता है।   

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Aanchal Mittal

आँचल तेज़ तर्रार न्यूज़ में रिपोर्टर व कंटेंट राइटर है। इन्होने दिल्ली के सोशल व प्रमुख घटनाओ पर जाकर रिपोर्टिंग की है व अपनी कवरेज में शामिल किया है। आम आदमी की समस्याओ को इन्होने अपने सवालो द्वारा पूछताछ करके चैनल तक पहुँचाया है।

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