
देश की राजधानी दिल्ली की जनता रविवार को दिल्ली के नगर निगम को वोट डाल रही है। जिसको लेकर अब दिल्ली के मतदाताओं को यह फैसला करना है कि वह नगर निगम में किस राजनीतिक पार्टी को देखना चाहती है। ।
दिल्ली नगर निगम के चुनाव की हमेशा से ही एक खास जगह रही है। ऐसे में इन चुनाव का नतीजा जो भी आए, इसका प्रभाव पड़ना तय है। जो ना सिर्फ दिल्ली की राजनीति पर पड़ेगा बल्कि देश की राजनीति पर भी पड़ेगा।
जिसके चलते दिल्ली की राजनीति के दोनों मुख्य पार्टी आम आदमी पार्टी और भारतिय जनता पार्टी ने इन चुनावों में पूरी ताकत झोंक दी है। अगर बात बीजेपी की करें तो दिल्ली विधान सभा के चुनाव में लगातार हार का सामना करने के बाद भी नगर निगम में 15 सालों से बीजेपी अपना दमखम दिखा रही है।
वर्ष 2007 से ही एमसीडी में बीजेपी की मजबूत पकड़ बनी हुई है। साल 2007 में केंद्र में मनमोहन सिंह की कांग्रेस गठबंधन की सरकार थी और दिल्ली में कांग्रेस की मुख्यमंत्री शीला दीक्षित थी।
लेकिन इसके बाद भी नगर निगम में दिल्ली की जनता ने बीजेपी को ही वोट दिया था। जानकारी के अनुसार, नगर निगम में अपनी पकड़ कमजोर करने के लिए शीला दीक्षित ने एमसीडी को तीन भागों में बांट दिया था।
लेकिन फिर भी 2012 में हुए नगर निगम के चुनाव में इन तीनों नगर निगमों में कांग्रेस को हराते हुए बीजेपी फिर सत्ता में आई। तो वहीं बात करें 2017 के चुनाव की तो केंद्र और दिल्ली की सत्ता में बड़ा बदलाव आ चुका था।
केंद्र में बीजेपी और दिल्ली में आम आदमी पार्टी आ चुकी थी। 2017 में अरविंद केजरीवाल लोकप्रियता के टॉप पर थे। इसके बाद भी नगर निगम के चुनावों में बीजेपी को कोई नहीं हटा पाया।
2022 में बीजीपे ते पास चौका लगाने का मौका है। इस बार की जीत बीजेपी कैडर में जोश भर देगी और इसका असर 2024 के लोक सभा चुनाव पर पड़ना तय है। फिलहाल दिल्ली की सातों लोकसभा सीटों पर बीजेपी का ही कब्जा है।
वहीं अगर आम आदमी पार्टी की बात की जाए तो दिल्ली नगर निगम के यह चुनाव उनके लिए भी कई मायनों में बहुत खास हो गया है।
अगर इस बार आप बीजेपी को हरा देती है तो तो उन्हें यह कहने का मौका मिल जाएगा कि बीजेपी को एमसीडी में हराने की क्षमता सिर्फ आप में है। तो वहीं कांग्रेस के लिए यह चुनाव दिल्ली की राजनीति में अपने आप को वापस लाने का चुनाव है।
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