
दूसरे दिन जंतर-मंतर पर 200 किसान प्रतिनिधियों की संसद में जमकर हंगामा हुआ। सरकार के पैरोकार के रूप में बतौर कृषि मंत्री के पद पर चुने गए किसान नेता रवनीत सिंह बराड़ किसानों के सवालों से घिरे हुए पाए गए।कृषि मंत्री ने जवाब देने में असफल होने के कारण और किसानों के सवालों से परेशान होने की वजह से आखिर में अपने पद से इस्तीफा दे दिया। जबकि दूसरे दिन भी किसान संसद में मंडी कानून पर विचार-विमर्श जारी रहा।
इस सब के दौरान किसान प्रतिनिधियों ने केंद्र सरकार के कानून से असहमति जताते हुए उसे ख़ारिज कर दिया। केंद्रीय मंत्री मीनाक्षी लेखी के बयानों की आलोचना भी किसान दल ने बखूबी की है। जानकारी के मुताबिक, किसान संसद का सत्र सोमवार सुबह तक के लिए रद्द कर दिया गया है। सोमवार को किसान संसद में सिर्फ महिलाएं ही भाग लेंगी। सत्र के संचालन से लेकर हर चीज़ की देखरेख महिला किसान प्रतिनिधियों पर होगी। किसान संसद में सोमवार को कुल 200 महिलाएं भाग लेंगी।
सिंघु बॉर्डर से जंतर-मंतर आए किसानों की संसद लगभग 11:20 के आस-पास लगी। सत्र के आरंभ में अध्यक्ष व उपाध्यक्ष के साथ कृषि कानूनों पर अपना पक्ष रखने के लिए अपने बीच से कृषि मंत्री का भी चुनाव आयोजित किया गया। किसानों ने जैसे ही न्यूनतम समर्थन, मंडी कानूनों और मूल्य दोगुनी आय पर सवाल उठाए, कृषि मंत्री इन सब सवालों का जवाब देने में असफल रहे। सूत्रों के अनुसार, पूरे सत्र में किसानों ने अपने सवालों से कृषि मंत्री को घेर रखा था। इस मामले से नाराज़गी जताते हुए किसानों ने नारेबाज़ी की। संसद का पहला सत्र इन्ही सब चीज़ो के इर्द – गिर्द घूमता रहा।
जानकारी के मुताबिक, लंच के बाद दूसरा सत्र करीब 2:30 बजे के आस-पास आरंभ हुआ। दूसरे सत्र में भी हालात वैसे ही रहे। अपने सवालों का जवाब ना मिलने की वजह से किसान प्रतिनिधि हंगामा करते दिखे। अध्यक्ष और उपाध्यक्ष ने किसानों को समझने की कोशिश की परन्तु किसानों ने उनकी एक ना सुनी। इस सबके दौरान रवनीत सिंह बराड़ किसानों के सवालों का जवाब नहीं दे पा रहे थे जिसके चलते उन्होंने अपने पद से इस्तीफा दे दिया। उन्होंने कहा कि वह किसानों के सामने उनके सवालों का उत्तर देने में असमर्थ रहे। इसके बाद सभी सदस्यों ने मिलकर तालियां बजाते हुए अपनी जीत की खुशि का जमकर जशन बनाया। इन सब चीज़ो के ख़त्म होने के बाद ही किसानों की संसद की कार्यवाही हो सकी। किसान संसद के तीसरे और अंतिम सत्र में भी मंडी कानून पर विचार-विमर्श रुका नहीं। शाम को करीब 5 बजे के आस -पास किसान संसद का सत्र सोमवार तक के लिए रद्द कर दिया गया।
एक दिन भी नहीं टिक पाए रवनीत सिंह बराड़
जानकारी के मुताबिक, रवनीत सिंह बराड़ जो पंजाब यूनिवर्सिटी के पूर्व छात्र रह चुके हैं उन्होनेँ अपने बयान में यह कहा है कि एक दिन के लिए किसान संसद में मंत्री बनने पर बहुत ख़ुशी हुई, लेकिन किसानों के सवालों का जवाब देने में लगातार असफल होने के कारण और किसानों के सवालों से परेशान होकर मैंने इस्तीफा दे दिया। सदस्य बार-बार एक ही बात दोहरा रहे थे कि ना तो उनकी आय दोगुना हुई है और ना ही सरकार ने न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) के लिए कोई कानून बनाया है। मंडी कानूनों पर भी सदस्यों ने लगातार असहमती जताते हुए मंत्री के इस्तीफा देने की मांग पर अड़ गए।
90 फीसदी सदस्य करते रहे कानून का विरोध
सूत्रों के अनुसार, हरदेव सिंह जो सत्र के अध्यक्ष थे उन्होंने बताया कि मंडी कानूनों पर बिल लाए जाएंगे। सदस्यों की तरफ से इसका विरोध लगातार जारी रहा। सत्र का आरंभ प्रश्नकाल से हुआ, लेकिन मंडी कानून पर झड़प होते ही सदस्यों ने शोरशराबा करना शुरू कर दिया। इस सब के चलते किसान संसद की कार्यवाही में भी काफी परेशानी आई। सत्र के दौरान 90 फीसदी सदस्यों ने कानून से असहमत होकर उसपर ऐतराज़ जताया। इसी के साथ तीन अलग-अलग सत्रों में अध्यक्ष व उपाध्यक्ष पद की कमान भी छह सदस्यों को दी गई थी।
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