आज का पंचांग: जानें रक्षाबंधन के त्यौहार पर 10 प्रकार के स्नान
20 अगस्त का हिन्दू पंचांग: जानें रक्षाबंधन के त्यौहार पर 10 प्रकार के स्नान के साथ, आज का विशेष उपाए और राहुकाल का समय भी

आज का हिन्दू पंचांग
दिनांक- 20 अगस्त 2021
दिन – शुक्रवार
विक्रम संवत – 2078
शक संवत – 1943
अयन – दक्षिणायन
ऋतु – वर्षा
मास – श्रावण
पक्ष – शुक्ल
तिथि – त्रयोदशी रात्रि 08:50 तक तत्पश्चात चतुर्दशी
नक्षत्र – उत्तराषाढा रात्रि 09:25 तक तत्पश्चात श्रवण
योग – आयुष्मान् शाम 03:32 तक तत्पश्चात सौभाग्य
राहुकाल – सुबह 11:06 से दोपहर 12:42 तक
सूर्योदय – 06:19
सूर्यास्त – 19:03
दिशाशूल – पश्चिम दिशा में
व्रत पर्व विवरण – प्रदोष व्रत, वरद लक्ष्मी व्रत, शिव पवित्रारोपण
विशेष – त्रयोदशी को बैंगन खाने से पुत्र का नाश होता है।
रक्षाबंधन के पर्व पर दस प्रकार के स्नान
श्रावण महिने में रक्षाबंधन की पूर्णिमा 22 अगस्त 2021 रविवार वाले दिन वेदों में दस प्रकार का स्नान बताया गया है|
भस्म स्नान
उसके लिए यज्ञ की भस्म थोडीसी लेकर वो ललाट पर थोड़ी शरीर पर लगाकर स्नान किया जाता है| यज्ञ की भस्म अपने यहाँ तो है आश्रम में, पर समझो आप अपने घर पर किसी को बताना चाहें की यज्ञ की भस्म थोड़ी लगाकर श्रावणी पूर्णिमा को दसविद स्नान में पहले ये बताया है| तो वहाँ यज्ञ की भस्म कहाँ से आयेगी तो गौचंदन धूपबत्ती घरों में जलाते हैं साधक| शाम को गौचंदन धूपबत्ती जलाकर जप करें अपने इष्टमंत्र, गुरुमंत्र का तो वो जलते जलते उसकी भस्म तो बचेगी ना | तो जप भी एक यज्ञ है| तो गौचंदन की भस्म होगी यज्ञ की भस्म पवित्र मानी जाती है| वैसे गौचंदन है वो, देशी गाय के गोबर, जड़ीबूटी और देशी घी से बनती है| तो पहला भस्म स्नान बताया है|
मृत्तिका स्नान
गोमय स्नान
गोमय स्नान माना गौ गोबर उसमे थोडा गोझरण ये मिक्स हो उसका स्नान (उसका मतलब थोडा ले लिया और शरीर को लगा दिया ) क्यों वेद ने कहा इसलिए गौमाता के गोबर में (देशी गाय के) लक्ष्मी का वास माना गया है| गोमय वसते लक्ष्मी पवित्रा सर्व मंगला| स्नानार्थम सम संस्कृता देवी पापं हर्गो मय || तो हमारे भीतर भक्तिरूपी लक्ष्मी बढ़ती जाय, बढ़ती जाय जैसे गौ के गोबर में लक्ष्मी का वास वो हमने थोडा लगाकर स्नान किया, हमारे भीतर भक्तिरूपी संपदा बढती जाय| गीता में जो दैवी लक्षणों के २६ लक्षण बतायें हैं वो मेरे भीतर बढ़ते जायें| ये तीसरा गोमय स्नान|
पंचगव्य स्नान
गौ का गोबर, गोमूत्र, गाय के दूध के दही, गाय का दूध और घी ये पंचगव्य| कई बार आपको पता है पंचगव्य पीते हैं| तो पंचगव्य स्नान थोड़ा सा ही बन जाये तो बहुत बढियाँ नहीं बने तो गौ का गोबरवाला तो है| माने पाँच तत्व से हमारा शरीर बना हुआ है वो स्वस्थ रहें, पुष्ट रहें, बलवान रहें ताकी सेवा और साधना करते रहे, भक्ति करते रहें|
गोरज स्नान
गायों के पैरों की मिट्टी थोड़ी ले ली, और वो लगा ली| गवां ख़ुरेंम ये वेद में आता है इसका नाम है दशविद स्नान| रक्षाबंधन के दिन किया जाता है| गवां ख़ुरेंम निर्धुतं यद रेनू गग्नेगतं | सिरसा तेल सम्येते महापातक नाशनं || अपने सिर पर वो गाय की खुर की मिट्टी लगा दी तो महापातक नाशनं | ये वेद भगवान कहते हैं |
धान्यस्नान
जो हमारे गुरुदेव सप्तधान्य स्नान की बात बताते हैं| वो सब आश्रमों में मिलता है| गेंहूँ, चावल, जौ, चना, तिल, उड़द और मुंग ये सात चीजे| ये धान्यस्नान बताया| धान्योषौधि मनुष्याणां जीवनं परमं स्मरतं तेन स्नानेन देवेश मम पापं व्यपोहतु| सप्तधान स्नान ये भी पूनम के दिन लगाने का विधान है|
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