24 August Hindu Panchang: जानें विघ्नों और मुसीबतों को दूर करने के उपाए
आज का हिन्दू पंचांग: राहुकाल, सूर्योदय और सूर्यास्त के समय के साथ जानें चतुर्थी तिथि विशेष के बारे में भी।

आज का हिन्दू पंचांग
दिनांक- 24 अगस्त 2021
दिन – मंगलवार
विक्रम संवत – 2078
शक संवत – 1943
अयन – दक्षिणायन
ऋतु – शरद
मास – भाद्रपद
पक्ष – कृष्ण
तिथि – द्वितीया शाम 04:04 तक तत्पश्चात तृतीया
नक्षत्र – पूर्व भाद्रपद रात्रि 07:48 तक तत्पश्चात उत्तर भाद्रपद
योग – सुकर्मा सुबह 07:00 तक तत्पश्चात धृती
राहुकाल – शाम 03:51 से शाम 05:26 तक
सूर्योदय – 06:21
सूर्यास्त – 19:00
दिशाशूल – उत्तर दिशा में
व्रत पर्व विवरण – मंगलागौरी पूजन
विशेष – द्वितीया को बृहती (छोटा बैंगन या कटेहरी) खाना निषिद्ध है।
कजरी तीज
भाद्रपद मास के तीसरे दिन यानी भाद्रपद कृष्ण तृतीया तिथि (गुजरात एवं महाराष्ट्र के अनुसार श्रावण मास तृतीया तिथि) इस बार (25 अगस्त, बुधवार) विशेष फलदायी होती है, क्योंकि यह तिथि माता पार्वती को समर्पित है। इस दिन भगवान शंकर तथा माता पार्वती के मंदिर में जाकर उन्हें भोग लगाने तथा विधि-विधान पूर्वक पूजा करने से सभी सुखों की प्राप्ति होती है। इस दिन कजरी तीज का उत्सव भी मनाया जाता है। कजरी तीज को सतवा तीज भी कहते हैं। इस दिन भगवान श्रीकृष्ण को फूल-पत्तों से सजे झूले में झुलाया जाता है। चारों तरफ लोक गीतों की गूंज सुनाई देती है।
कई जगह झूले बांधे जाते हैं और मेले लगाए जाते हैं। नवविवाहिताएं जब विवाह के बाद पहली बार पिता के घर आती हैं तो तीन बातों के तजने (त्यागने) का प्रण लेती है- पति से छल कपट, झूठ और दुर्व्यवहार और दूसरे की निंदा। मान्यता है कि विरहाग्नि में तप कर गौरी इसी दिन शिव से मिली थी। इस दिन पार्वती की सवारी निकालने की भी परम्परा है। व्रत में 16 सूत का धागा बना कर उसमें 16 गांठ लगा कर उसके बीच मिट्टी से गौरी की प्रतिमा बना कर स्थापित की जाती है तथा विधि-विधान से पूजा की जाती है।
विघ्नों और मुसीबतों को दूर करने के लिए
25 अगस्त 2021 बुधवार को संकष्ट चतुर्थी है
शिव पुराण में आता हैं कि हर महिने के कृष्ण पक्ष की चतुर्थी ( पूनम के बाद की ) के दिन सुबह में गणपतिजी का पूजन करें और रात को चन्द्रमा में गणपतिजी की भावना करके अर्घ्य दें और ये मंत्र बोलें :
ॐ गं गणपते नमः ।
ॐ सोमाय नमः ।
चतुर्थी तिथि विशेष
चतुर्थी तिथि के स्वामी भगवान गणेश जी हैं।
हिन्दू कैलेण्डर में प्रत्येक मास में दो चतुर्थी होती हैं।
पूर्णिमा के बाद आने वाली कृष्ण पक्ष की चतुर्थी को संकष्ट चतुर्थी कहते हैं।अमावस्या के बाद आने वाली शुक्ल पक्ष की चतुर्थी को विनायक चतुर्थी कहते हैं।
शिवपुराण के अनुसार “महागणपतेः पूजा चतुर्थ्यां कृष्णपक्षके। पक्षपापक्षयकरी पक्षभोगफलप्रदा ॥
➡ “ अर्थात प्रत्येक मास के कृष्णपक्ष की चतुर्थी तिथि को की हुई महागणपति की पूजा एक पक्ष के पापों का नाश करनेवाली और एक पक्षतक उ त्तम भोगरूपी फल देनेवाली होती है।
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