Aaj Ka Panchang: जानें गणेश चतुर्थी पर चंद्र दर्शन कलंक निवारण के उपाय
Aaj Ka Hindu Panchang: गणेश चतुर्थी पर चंद्र दर्शन कलंक निवारण के उपाय के साथ जानें आज का विशेष उपाय और राहुकाल का समय

आज का हिन्दू पंचांग
दिनांक –07 सितंबर 2021
दिन – मंगलवार
विक्रम संवत – 2078 (गुजरात – 2077)
शक संवत – 1943
अयन – दक्षिणायन
ऋतु – शरद
मास- भाद्रपद
पक्ष – शुक्ल
तिथि – प्रतिपदा 08 सितम्बर प्रातः 04:37 तक तत्पश्चात द्वितीया
नक्षत्र – पूर्वाफाल्गुनी शाम 05:05 तक तत्पश्चात उत्तराफाल्गुनी
योग – साध्य 08 सितम्बर रात्रि 02:21 तक तत्पश्चात शुभ
राहुकाल – शाम 03:43 से शाम 05:16 तक
सूर्योदय – 06:24
सूर्यास्त – 18:48
दिशाशूल – उत्तर दिशा में
व्रत पर्व विवरण – मौन व्रत आरंभ श्री रामदेव पीर नवरात्रि प्रारंभ
विशेष – प्रतिपदा को कूष्माण्ड(कुम्हड़ा, पेठा) न खाये, क्योंकि यह धन का नाश करने वाला है।
सौ गुना फलदायी “शिवा चतुर्थी”
➡ 10 सितंबर, शुक्रवार को भाद्रपद मास के शुक्ल पक्ष की चतुर्थी है ।
भविष्य पुराण के अनुसार ‘भाद्रपद मास के शुक्ल पक्ष की चतुर्थी का नाम ‘शिवा’ है | इस दिन किये गये स्नान, दान, उपवास, जप आदि सत्कर्म सौ गुना हो जाते हैं |
इस दिन जो स्री अपने सास-ससुर को गुड़ के तथा नमकीन पुए खिलाती है वह सौभाग्यवती होती है | पति की कामना करनेवाली कन्या को विशेषरूप से यह व्रत करना चाहिए |’
ऋषिप्रसाद – अगस्त 2018 से
गणेश- कलंक चतुर्थी
स्त्रोत : ऋषि प्रसाद – अगस्त 2016 से
गणेश चतुर्थी पर चंद्र दर्शन कलंक निवारण के उपाय
➡ इस वर्ष 10 सितम्बर, शुक्रवार को (चन्द्रास्त : रात्रि 09:20)
भारतीय शास्त्रों में गणेश चतुर्थी के दिन चंद्र दर्शन निषेध माना गया है इस दिन चंद्र दर्शन करने से व्यक्ति को एक साल में मिथ्याकलंक लगता है। भगवान श्री कृष्ण को भी चंद्र दर्शन का मिथ्या कलंक लगने के प्रमाण हमारे शास्त्रों में विस्तार से वर्णित है।
भाद्रशुक्लचतुथ्र्यायो ज्ञानतोऽज्ञानतोऽपिवा।
अभिशापीभवेच्चन्द्रदर्शनाद्भृशदु:खभाग्॥
अर्थातः जो जानबूझ कर अथवा अनजाने में ही भाद्रपद शुक्ल चतुर्थी को चंद्रमा का दर्शन करेगा, वह अभिशप्त होगा। उसे बहुत दुःख उठाना पडेगा।
गणेश पुराण के अनुसार भाद्रपद शुक्ल चतुर्थी के दिन चंद्रमा देख लेने पर कलंक अवश्य लगता है। ऐसा गणेश जी का वचन है।
भाद्रपद शुक्ल चतुर्थी के दिन चंद्र दर्शन न करें यदि भूल से चंद्र दर्शन हो जाये तो उसके निवारण के निमित्त श्रीमद्भागवत के १०वें स्कंध, ५६-५७वें अध्याय में उल्लेखित स्यमंतक मणि की चोरी कि कथा का श्रवण करना लाभकारक है। जिससेे चंद्रमा के दर्शन से होने वाले मिथ्या कलंक का ज्यादा खतरा नहीं होगा।
चंद्र-दर्शन दोष निवारण हेतु मंत्र
यदि अनिच्छा से चंद्र-दर्शन हो जाये तो व्यक्ति को निम्न मंत्र से पवित्र किया हुआ जल ग्रहण करना चाहिये। मंत्र का 21, 54 या 108 बार जप करें । ऐसा करने से वह तत्काल शुद्ध हो निष्कलंक बना रहता है। मंत्र निम्न है।
सिंहः प्रसेनमवधीत् , सिंहो जाम्बवता हतः।
सुकुमारक मा रोदीस्तव, ह्येष स्यमन्तकः ॥
अर्थात: सुंदर सलोने कुमार! इस मणि के लिये सिंह ने प्रसेन को मारा है और जाम्बवान ने उस सिंह का संहार किया है, अतः तुम रोओ मत। अब इस स्यमंतक मणि पर तुम्हारा ही अधिकार है।(ब्रह्मवैवर्त पुराण, अध्यायः 78)
चौथ के चन्द्रदर्शन से कलंक लगता है | इस मंत्र-प्रयोग अथवा स्यमन्तक मणि कथा के वचन या श्रवण से उसका प्रभाव कम हो जाता है|
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