धर्म

Aaj Ka Hindu Panchang: जानिए 5 नवंबर का पंचांग, शुभ मुहूर्त और राहुकाल

Aaj Ka Hindu Panchang: राहुकाल और शुभमुहूर्त के साथ जानें कैसे लगेगा कार्यस्थल पर मन और उन्नतिकारक कुंजियाँ

दिनांक – 05 नवंबर 2021

दिन – शुक्रवार

विक्रम संवत – 2078

शक संवत -1943

अयन – दक्षिणायन

ऋतु – हेमंत

मास – कार्तिक

पक्ष – शुक्ल

तिथि – प्रतिपदा रात्रि 11:14 तक तत्पश्चात द्वितीया

नक्षत्र – विशाखा 06 नवंबर रात्रि 02:23 तक तत्पश्चात अनुराधा

योग – आयुष्मान सुबह 07:13 तक तत्पश्चात सौभाग्य

राहुकाल – सुबह 10:57 से दोपहर 12:22 तक

सूर्योदय – 06:44

सूर्यास्त – 17:59

दिशाशूल – पश्चिम दिशा में

व्रत पर्व विवरण – नूतन बर्षारम्भ (गुज.), कार्तिक शुक्ल प्रतिपदा (पूरा दिन शुभ मुहूर्त), गोवर्धन पूजा, अन्नकूट, बलि-पूजा

विशेष – प्रतिपदा को कूष्माण्ड(कुम्हड़ा, पेठा) न खाये, क्योंकि यह धन का नाश करने वाला है।

अन्नकूट दिवस / गोवर्धन-पूजा

कार्तिक शुक्ल प्रतिपदा को अन्नकूट दिवस कह्ते हैं । धर्मसिन्धु आदि शास्त्रों के अनुसार गोवर्धन-पूजा के दिन गायों को सजाकर, उनकी पूजा करके उन्हें भोज्य पदार्थ आदि अर्पित करने का विधान है। इस दिन गौओ को सजाकर उनकी पूजा करके यह मंत्र करना चाहिये,

गौ-पूजन का मंत्र

लक्ष्मीर्या लोकपालानां धेनुरूपेण संस्थिता ।

घृतं वहति यज्ञार्थ मम पापं त्यपोहतु ॥

(धेनु रूप में स्थित जो लोकपालों की साक्षात लक्ष्मी है तथा जो यज्ञ के लिए घी देती है , वह गौ माता मेरे पापों का नाश करें । रात्रि को गरीबों को यथा सम्भव अन्न दान करना चाहिये

कैसे करें नूतन वर्ष का स्वागत – पुण्यमय दर्शन व बलि प्रतिपदा 

बलि प्रतिपदा (वर्ष के प्रथम दिन)

पहले के जमाने में गाँवों में दीपावली के दिनों में वर्ष के प्रथम दिन नीम और अशोक वृक्ष के पत्तों के तोरण (बंदनवार) बाँधते थे, जिससे कि वहाँ से लोग गुजरें तो वर्ष भर प्रसन्न रहें, निरोग रहें । अशोक और नीम के पत्तों में रोगप्रतिकारक शक्ति होती है । उस तोरण के नीचे से गुजरकर जाने से वर्ष भर रोगप्रतिकारक शक्ति बनी रहती है । वर्ष के प्रथम दिन आप भी अपने घरों में तोरण बाँधो तो अच्छा है ।

 नूतन वर्ष पर पुण्यमय दर्शन

दीपावली का दिन वर्ष का आखिरी दिन है और बाद का दिन वर्ष का प्रथम दिन है, विक्रम सम्वत् के आरम्भ का दिन है (गुजराती पंचांग अनुसार) । उस दिन जो प्रसन्न रहता है, वर्ष भर उसका प्रसन्नता से जाता है ।

  1.  ‘महाभारत’ में भगवान व्यास जी कहते हैं-
  2. यो यादृशेन भावेन तिष्ठत्यस्यां युधिष्ठिर।
  3. हर्षदैन्यादिरूपेण तस्य वर्षं प्रयाति वै।।

‘हे युधिष्ठिर ! आज नूतन वर्ष के प्रथम दिन जो मनुष्य हर्ष में रहता है, उसका पूरा वर्ष हर्ष में जाता है और जो शोक में रहता है, उसका पूरा वर्ष शोक में व्यतीत होता है।

नूतन वर्ष के दिन मंगलमय चीजों का दर्शन करना भी शुभ माना गया है, पुण्य-प्रदायक माना गया है।

जैसेः

उत्तम ब्राह्मण, तीर्थ, वैष्णव, देव-प्रतिमा, सूर्यदेव, सती स्त्री, संन्यासी, यति, ब्रह्मचारी, गौ, अग्नि, गुरु, गजराज, सिंह, श्वेत अश्व, शुक, कोकिल, खंजरीट (खंजन), हंस, मोर, नीलकंठ, शंख पक्षी, बछड़े सहित गाय, पीपल वृक्ष, पति-पुत्रवती नारी, तीर्थयात्री, दीपक, सुवर्ण, मणि, मोती, हीरा, माणिक्य, तुलसी, श्वेत पुष्प, फ़ल, श्वेत धान्य, घी, दही, शहद, भरा हुआ घड़ा, लावा, दर्पण, जल, श्वेत पुष्पों की माला, गोरोचन, कपूर, चाँदी, तालाब, फूलों से भरी हुई वाटिका, शुक्ल पक्ष का चन्द्रमा, चंदन, कस्तूरी, कुम- कुम, पताका, अक्षयवट (प्रयाग तथा गया स्थित वटवृक्ष) देववृक्ष (गूगल), देवालय, देवसंबंधी जलाशय, देवता के आश्रित भक्त, देववट, सुगंधित वायु शंख, दुंदुभि, सीपी, मूँगा, स्फटिक मणि, कुश की जड़, गंगाजी मिट्टी, कुश, ताँबा, पुराण की पुस्तक, शुद्ध और बीजमंत्रसहित भगवान विष्णु का यंत्र, चिकनी दूब, रत्न, तपस्वी, सिद्ध मंत्र, समुद्र, कृष्णसार (काला) मृग, यज्ञ, महान उत्सव, गोमूत्र, गोबर, गोदुग्ध, गोधूलि, गौशाला, गोखुर, पकी हुई फसल से भरा खेत, सुंदर (सदाचारी) पद्मिनी, सुंदर वेष, वस्त्र एवं दिव्य आभूषणों से विभूषित सौभाग्यवती स्त्री, क्षेमकरी, गंध, दूर्वा, चावल औऱ अक्षत (अखंड चावल), सिद्धान्न (पकाया हुआ अन्न) और उत्तम अन्न – इन सबके दर्शन से पुण्य लाभ होता है। (ब्रह्मवैवर्त पुराण, श्रीकृष्णजन्म खंड, अध्यायः 76 एवं 78)

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