Aaj Ka Hindu Panchang: जानिए 10 नवंबर का पंचांग, शुभ मुहूर्त और राहुकाल
Aaj Ka Hindu Panchang: राहुकाल और शुभमुहूर्त के साथ जानें कैसे लगेगा कार्यस्थल पर मन और उन्नतिकारक कुंजियाँ

दिनांक – 10 नवंबर 2021
दिन – बुधवार
विक्रम संवत – 2078
शक संवत -1943
अयन – दक्षिणायन
ऋतु – हेमंत
मास – कार्तिक
पक्ष – शुक्ल
तिथि – षष्ठी सुबह 08:25 तक तत्पश्चात सप्तमी
नक्षत्र – उत्तराषाढा शाम 03:42 तक तत्पश्चात श्रवण
योग – शूल सुबह 09:11 तक तत्पश्चात गण्ड
राहुकाल – दोपहर 12:22 से दोपहर 0147 तक
सूर्योदय – 06:48
सूर्यास्त – 17:57
दिशाशूल – उत्तर दिशा में
व्रत पर्व विवरण – संत जलारामजी जयंती, सप्तमी क्षय तिथि
विशेष – षष्ठी को नीम की पत्ती, फल या दातुन मुँह में डालने से नीच योनियों की प्राप्ति होती है। (ब्रह्मवैवर्त पुराण, ब्रह्म खंडः 27.29-34)
गौ-पूजन से सौभाग्यवृद्धि
11 नवम्बर 2021 गुरुवार को गोपाष्टमी पर्व है ।
कार्तिक शुक्ल अष्टमी को ‘गोपाष्टमी’ कहते हैं | यह गौ-पूजन का विशेष पर्व है | इस दिन प्रात:काल गायों को स्नान कराके गंध-पुष्पादि से उनका पूजन किया जाता है | इस दिन गायों को गोग्रास देकर उनकी परिक्रमा करें और थोड़ी दूर तक उनके साथ जायें तो सब प्रकार की अभीष्ट सिद्धि होती है | सायंकाल जब गायें चरकर वापस आयें, उस समय भी उनका आतिथ्य, अभिवादन और पंचोपचार-पूजन करके उन्हें हरी घास, भोजन आदि खिलाएं और उनकी चरणरज ललाट पर लगायें | इससे सौभाग्य की वृद्धी होती है |
गोपाष्टमी विशेष
गौ माता धरती की सबसे बड़ी वैद्यराज
- भारतीय संस्कृति में गौमाता की सेवा सबसे उत्तम सेवा मानी गयी है, श्री कृष्ण गौ सेवा को सर्व प्रिय मानते हैं ..
- शुद्ध भारतीय नस्ल की गाय की रीढ़ में सूर्यकेतु नाम की एक विशेष नाढ़ी होती है जब इस नाढ़ी पर सूर्य की किरणे पड़ती हैं तो स्वर्ण के सूक्ष्म काणों का निर्माण करती हैं , इसीलिए गाय के दूध, मक्खन और घी में पीलापन रहता है , यही पीलापन अमृत कहलाता है और मानव शरीर में उपस्थित विष को बेअसर करता है l
- गाय को सहलाने वाले के कई असाध्य रोग मिट जाते हैं क्योंकि गाय के रोमकोपों से सतत एक विशेष ऊर्जा निकलती है ..
- गाय की पूछ के झाडने से बच्चों का ऊपरी हवा एवं नज़र से बचाव होता है ..
- गौमूत्र एवं गोझारण के फायदे तो अनंत हैं , इसके सेवन से केंसर व् मधुमय के कीटाणु नष्ट होते हैं ..
- गाय के गोबर से लीपा पोता हुआ घर जहाँ सात्विक होता है वहीँ इससे बनी गौ-चन्दन जलाने से वातावरण पवित्र होता है इसीलिए गाय को पृथ्वी पर सबसे बड़ा वैद्यराज माना गया है ,सत्पुरुषो का कहना है की गाय की सेवा करने से गाय का नहीं बल्कि सेवा करने वालो का भला होता है .
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