Aaj Ka Panchang 1 May: आज दान का बहुत महत्व व पुण्य है, जानें रविवार का शुभ और अशुभ मुहूर्त

Aaj Ka Panchang 1 May: राहुकाल और शुभमुहूर्त के साथ जानें कैसे लगेगा कार्यस्थल पर मन और उन्नतिकारक कुंजियाँ

दिनांक 01 मई 2022

दिन – रविवार

विक्रम संवत – 2079

शक संवत – 1944

अयन – उत्तरायणऋ

मास – वैशाख

पक्ष – शुक्ल

तिथि – प्रतिपदा रात्रि 03:25 तक तत्पश्चात द्वितीया

नक्षत्र – भरणी रात्रि 10:11 तक तत्पश्चात कृतिका

योग – आयुष्मान अपरान्ह 03:19 तक तत्पश्चात सौभाग्य

राहुकाल – शाम 05:29 से दोपहर 07:07 तक

सूर्योदय – 06:07

सूर्यास्त – 07:07

दिशाशूल – पश्चिम में

ब्रह्म मुहूर्त- प्रातः 04:39 से 05:23 तक

अभिजित मुहूर्त – दोपहर 12:11से 01:03 तक

निशिता मुहूर्त – रात्रि 12.15 से 12:59 तक

व्रत पर्व विवरण – महर्षि पराशर जयंती

विशेष – विशेष – प्रतिपदा को कूष्माण्ड(कुम्हड़ा, पेठा) न खाये, क्योंकि यह धन का नाश करने वाला है। (ब्रह्मवैवर्त पुराण, ब्रह्म खंडः 27.29-34)

अक्षय तृतीया ( 03 मई 2022 )का तात्त्विक संदेश :

‘अक्षयʹ यानी जिसका कभी नाश न हो। शरीर एवं संसार की समस्त वस्तुएँ नाशवान हैं, अविनाशी तो केवल परमात्मा ही है। यह दिन हमें आत्मविवेचन की प्रेरणा देता है। अक्षय आत्मतत्त्व पर दृष्टि रखने का दृष्टिकोण देता है। महापुरुषों व धर्म के प्रति हमारी श्रद्धा और परमात्मप्राप्ति का हमारा संकल्प अटूट व अक्षय हो – यही अक्षय तृतीया का संदेश मान सकते हो।*

स्रोतः ऋषि प्रसाद, अप्रैल 2013, पृष्ठ संख्या 23, अंक 244

ससुराल मे कोई तकलीफ

किसी सुहागन बहन को ससुराल में कोई तकलीफ हो तो शुक्ल पक्ष की तृतीया को उपवास रखें …उपवास माने एक बार बिना नमक का भोजन कर के उपवास रखें..भोजन में दाल चावल सब्जी रोटी नहीं खाए, दूध रोटी खा लें..शुक्ल पक्ष की तृतीया को..अमावस्या से पूनम तक की शुक्ल पक्ष में जो तृतीया आती है उसको ऐसा उपवास रखें …नमक बिना का भोजन(दूध रोटी) , एक बार खाए बस……अगर किसी बहन से वो भी नहीं हो सकता पूरे साल का तो केवल

माघ महीने की शुक्ल पक्ष की तृतीया

वैशाख शुक्ल तृतीया

भाद्रपद मास की शुक्ल तृतीया

जरुर ऐसे ३ तृतीया का उपवास जरुर करें …नमक बिना का भोजन करें ….जरुर लाभ होग. ..ऐसा व्रत वशिष्ठ जी की पत्नी अरुंधती ने किया था…. ऐसा आहार नमक बिना का भोजन…. वशिष्ठ और अरुंधती का वैवाहिक जीवन इतना सुंदर था कि आज भी सप्त ऋषियों में से वशिष्ठ जी का तारा होता है , उनके साथ अरुंधती का तारा होता है…आज भी आकाश में रात को हम उन का दर्शन करते हैं …

शास्त्रों के अनुसार शादी होती तो उनका दर्शन करते हैं ….. जो जानकार पंडित होता है वो बोलता है…शादी के समय वर-वधु को अरुंधती का तारा दिखाया जाता है और प्रार्थना करते हैं कि , “जैसा वशिष्ठ जी और अरुंधती का साथ रहा ऐसा हम दोनों पति पत्नी का साथ रहेगा..” ऐसा नियम है….

चन्द्रमा की पत्नी ने इस व्रत के द्वारा चन्द्रमा की यानी २७ पत्नियों में से प्रधान हुई….चन्द्रमा की पत्नी ने तृतीया के व्रत के द्वारा ही वो स्थान प्राप्त किया था…तो अगर किसी सुहागन बहन को कोई तकलीफ है तो ये व्रत करें* *….उस दिन गाय को चंदन से तिलक करें … कुम-कुम का तिलक ख़ुद को भी करें उत्तर दिशा में मुख करके …. उस दिन गाय को भी रोटी गुड़ खिलाये॥

 

 

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