Aaj Ka Panchang 10 June: निर्जला एकादशी व्रत, मुहूर्त और शुभ योग जानें
Aaj Ka Panchang 10 June: राहुकाल और शुभमुहूर्त के साथ जानें कैसे लगेगा कार्यस्थल पर मन और उन्नतिकारक कुंजियाँ

दिनांक 10 जून 2022
दिन – शुक्रवार
विक्रम संवत – 2079
शक संवत – 1944
अयन – उत्तरायण
ऋतु – ग्रीष्म
मास – ज्येष्ठ
पक्ष – शुक्ल
तिथि – दशमी सुबह 07:25 तक तत्पश्चात एकादशी
नक्षत्र – चित्रा रात्रि (11 जून प्रातः 03:37 ) तक तत्पश्चात स्वाती
योग – वरीयान रात्रि 11:36 तक तत्पश्चात परिघ
राहुकाल – सुबह 10:58 से दोपहर 12:39 तक
सूर्योदय – 05:53
सूर्यास्त – 07:25
दिशाशूल – पश्चिम दिशा में
ब्रह्म मुहूर्त– प्रातः 04:30 से 05:12 तक
निशिता मुहूर्त – रात्रि 12.18 से 01:00 तक
व्रत पर्व विवरण– माता गायत्री जयंती
विशेष – दशमी को कलंबी शाक त्याज्य है । (ब्रह्मवैवर्त पुराण, ब्रह्म खंडः 27.29-34)
निर्जला एकादशी व्रत कब करें ?
एकादशी 10 जून शुक्रवार प्रातः 07:26 से 11 जून शनिवार प्रातः 05:45 तक है ।
निर्णयसिन्धु के प्रथम परिच्छेद में एकादशी के निर्णय में 18 भेद कहे गये हैं l
कालहेमाद्रि में मार्कण्डेयजी ने कहा है – जब बहुत वाक्य के विरोध से यदि संदेह हो जाय तो एकादशी का उपवास द्वादशी को ग्रहण करें और त्रयोदशी में पारणा करें ।
पद्म पुराण में आता है कि एकादशी व्रत के निर्णय में सब विवादों में द्वादशी को उपवास तथा त्रयोदशी में पारणा करें ।
विशेष – अतः शास्त्र अनुसार निर्जला एकादशी व्रत 11 जून शनिवार को रखें ।
निर्जला एकादशी ( 11 जून 2022 ) आसानी से कैसे करें ?
सुबह सूर्योदय से पहले-पहले भरपेट पानी पी लें ।
अगर घर में देशी गाय का घी है तो सूर्योदय से पहले ही 25 से 50 ग्राम गुनगुने पानी के साथ ले लें । इससे भूख-प्यास की उग्रता कम होगी, व्रत करने में आसानी होगी।
सूर्योदय से पहले नींबू व मिश्री मिलाकर पानी पी लें तो प्यास कम लगेगी।
दोपहर या शाम के समय मुल्तानी मिट्टी शरीर पर लगाकर आधा या एक घण्टे रखकर स्नान करें तो प्यास नही सताएगी । मुल्तानी में अगर पलाश के पाउडर अथवा छाछ, नींबू मिला ले अथवा इसमे से कोई भी एक चीज मिला ले तो प्यास नहीं सताएगी ।
अनावश्यक घर से बाहर न जाए, भागदौड़ न करें जिससे पसीना न बहे । जितना कम पसीना बहेगा उतनी प्यास कम लगेगी, सम्भव हो तो मौन रखें, जप ध्यान करें , सत्संग सुनें, शास्त्र पढ़ें ।
एकादशी व्रत तोड़ने की विधि:-
दूसरे दिन सुबह जल्दी उठकर स्नान करके अपना जप का नियम करके फिर सूर्य को अर्ध्य देकर फिर व्रत तोड़ें ।
7 भुने हुए चने को बीच से तोड़कर कुल 14 टुकड़े हाथ मे लेकर खड़े हो जाये ।
(14 टुकड़ों को ) एक टुकड़ा आगे एक पीछे फेंकते जाएं, कि मेरे समस्त पाप संतापों का नाश हो, अंतःकरण शुद्ध हो ॐ ॐ ॐ ।
कुछ भुने हुए चने खा लें, जिससे जमा हुआ कफ चने के साथ शरीर से बाहर आ जाये ।
उसके बाद गुनगुने पानी मे नीबू की शिकंजी (सेंधा नमक भी अल्प मात्रा में डालें) बनाकर पियें ।
एक डेढ़ घण्टे बाद बहुत पतली मूँग (बगैर मिर्च मसाले के हल्दी -धनिया डालकर) अथवा मूंग का पानी एक चम्मच घी डालकर खाएं ।
पूरे दिन गुनगुना पानी ही पियें तो अच्छा होगा , कोई भी भारी चीज न खाएं, पूरा दिन मूँग ही खाएं तो अतिउत्तम होगा ।
नोट : आप स्वस्थ हैं तो निर्जला रखिये यह सर्वोत्तम होगा, आपको पूरा पुण्य भी मिलेगा, अगर आपका स्वास्थ्य /उम्र निर्जला रखने की अनुमति नही दे रहा है (आप मधुमेह, उच्च रक्तचाप के रोगी हैं) तो सजला रखिये, अगर सजला भी नहीं रख सकते तो केवल दूध पर रहिये, अगर यह भी सम्भव नहीं तो फल और दूध पर रहिये ।
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