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दिनांक 15 जून 2022
दिन – बुधवार
विक्रम संवत – 2079
शक संवत – 1944
अयन – उत्तरायण
ऋतु – ग्रीष्म
मास – आषाढ़
पक्ष – कृष्ण
तिथि – प्रतिपदा दोपहर 01:31तक तत्पश्चात द्वितीया
नक्षत्र – मूल दोपहर 03:33 तक तत्पश्चात पूर्वाषाढा
योग – शुक्ल रात्रि 01:15 तक तत्पश्चात ब्रह्म
राहु काल – दोपहर 12:40 से 02:22 तक
सूर्योदय – 05:54
सूर्यास्त – 07:26दिशा शूल – उत्तर दिशा में
ब्रह्म मुहूर्त – प्रातः 04:30 से 05:12 तक
निशिता मुहूर्त – रात्रि 12.19 से 01:01 तक
व्रत पर्व विवरण – षडशीति संक्रांति
विशेष – प्रतिपदा को कूष्माण्ड( कुम्हड़ा, पेठा ) न खाये, क्योंकि यह धन का नाश करने वाला है ।
( ब्रह्मवैवर्त पुराण, ब्रह्म खंडः 27.29-38 )
षडशीति संक्रांति : 15 जून 2022 ( पुण्यकाल : दोपहर 12-05 से शाम 06-29 तक )
षडशीति संक्रांति में किये गए जप-ध्यान व पुण्यकर्म का फल 86000 हजार गुना होता है । -पद्म पुराण
विद्यालाभ योग – 16 व 17 जून 2022
( गुजरात व महाराष्ट्र को छोड़कर भारत भर में )
विद्यालाभ हेतु मंत्र : ‘ॐ ऐं ह्रीं श्रीं क्लीं वाग्वादिनि सरस्वति मम जिह्वाग्रे वद वद ॐ ऐं ह्रीं श्रीं क्लीं नमः स्वाहा ।’
यह मंत्र 16 जून 2022 को दोपहर 12ः37 से रात्रि 11ः45 या 17 जून 2022 को प्रातः 3 से सुबह 9ः56 बजे तक 108 बार जप लें और फिर मंत्रजप के बाद उसी दिन रात्रि 11 से 12 बजे के बीच जीभ पर लाल चंदन से ‘ह्रीं’ मंत्र लिख दें ।
घर सुरक्षित रहने के लिए
घर में संक्रांति ( जब सूर्य अगली राशि में प्रवेश करते हैं ) के समय ( रविवार को छोडकर ) देशी गाय का गोमूत्र अथवा गोमूत्र अर्क पानी में मिलाकर छिड़काव करने से घर हर प्रकार से सुरक्षित रहता है
। घर में सभी सदस्यों में प्रेम बना रहता है ।
( हर महीने में एक संक्रांति होती है । आश्रम के कैलेंडर, डायरी आदि में देखें । गोमूत्र अर्क सत्साहित्य सेवाकेन्द्रों पर उपलब्ध है ।)
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