Aaj Ka Panchang 15 September: आज करें पीली वस्तुओं का दान, जानें समय और राहुकाल
Aaj Ka Panchang 15 September: राहुकाल और शुभमुहूर्त के साथ जानें कैसे लगेगा कार्यस्थल पर मन और उन्नतिकारक कुंजियाँ

दिनांक – 15 सितम्बर 2022
दिन – गुरुवार
विक्रम संवत् – 2079
शक संवत् – 1944
अयन – दक्षिणायन
ऋतु – शरद
मास – आश्विन (गुजरात एवं महाराष्ट्र में भाद्रपद)
पक्ष – कृष्ण
तिथि – पंचमी सुबह 11:00 तक तत्पश्चात षष्ठी
नक्षत्र – भरणी सुबह 08:05 तक तत्पश्चात कृतिका
योग – हर्षण 16 सितम्बर प्रातः 05:28 तक तत्पश्चात वज्र
राहु काल – दोपहर 02:07 से 03:39 तक
सूर्योदय – 06:26
सूर्यास्त – 06:43
दिशा शूल – दक्षिण दिशा में
ब्राह्ममुहूर्त – प्रातः 04:53 से 05:39 तक
निशिता मुहूर्त – रात्रि 12:11 से 12:58 तक
व्रत पर्व विवरण – पंचमी, षष्ठी का श्राद्ध
विशेष – पंचमी को बेल खाने से कलंक लगता है । षष्ठी को नीम की पत्ती, फल या दातुन मुँह में डालने से नीच योनियों की प्राप्ति होती है
(ब्रह्मवैवर्त पुराण, ब्रह्म खंडः 27.29-34)
श्राद्ध में भोजन कराने का विधान
भोजन के लिए उपस्थित अन्न अत्यंत मधुर, भोजनकर्त्ता की इच्छा के अनुसार तथा अच्छी प्रकार सिद्ध किया हुआ होना चाहिए । पात्रों में भोजन रखकर श्राद्धकर्त्ता को अत्यंत सुंदर एवं मधुरवाणी से कहना चाहिए किः ‘हे महानुभावो ! अब आप लोग अपनी इच्छा के अनुसार भोजन करें ।’ फिर क्रोध तथा उतावलेपन को छोड़कर उन्हें भक्ति पूर्वक भोजन परोसते रहना चाहिए ।*
ब्राह्मणों को भी दत्तचित्त और मौन होकर प्रसन्न मुख से सुखपूर्वक भोजन करना चाहिए ।
“लहसुन, गाजर, प्याज, करम्भ (दही मिला हुआ आटा या अन्य भोज्य पदार्थ) आदि वस्तुएँ जो रस और गन्ध से निन्द्य हैं, श्राद्धकर्म में निषिद्ध हैं ।” (वायु पुराणः 78.12)
ब्राह्मण को चाहिए कि वह भोजन के समय कदापि आँसू न गिराये, क्रोध न करे, झूठ न बोले, पैर से अन्न के न छुए और उसे परोसते हुए न हिलाये ।
आँसू गिराने से श्राद्धान्न भूतों को, क्रोध करने से शत्रुओं को, झूठ बोलने से कुत्तों को, पैर छुआने से राक्षसों को और उछालने से पापियों को प्राप्त होता है । (मनुस्मृतिः 3.229.230)
जब तक अन्न गरम रहता है और ब्राह्मण मौन होकर भोजन करते हैं, भोज्य पदार्थों के गुण नहीं बतलाते तब तक पितर भोजन करते हैं ।
सिर में पगड़ी बाँधकर या दक्षिण की ओर मुँह करके या खड़ाऊँ पहनकर जो भोजन किया जाता है उसे राक्षस खा जाते हैं । (मनुस्मृतिः 3.237.238)
“भोजन करते हुए ब्राह्मणों पर चाण्डाल, सूअर, मुर्गा, कुत्ता, रजस्वला स्त्री और नपुंसक की दृष्टि नहीं पड़नी चाहिए । होम, दान, ब्राह्मण-भोजन, देवकर्म और पितृकर्म को यदि ये देख लें तो वह कर्म निष्फल हो जाता है ।*
सूअर के सूँघने से, मुर्गी के पंख की हवा लगने से, कुत्ते के देखने से और शूद्र के छूने से श्राद्धान्न निष्फल हो जाता है । लँगड़ा, काना, श्राद्धकर्ता का सेवक, हीनांग, अधिकांग इन सबको श्राद्ध-स्थल से हटा दें । (मनुस्मृतिः 3.241.242)
“श्राद्ध से बची हुई भोजनादि वस्तुएँ स्त्री को तथा जो अनुचर न हों ऐसे शूद्र को नहीं देनी चाहिए । जो अज्ञानवश इन्हें दे देता है, उसका दिया हुआ श्राद्ध पितरों को नहीं प्राप्त होता । इसलिए श्राद्धकर्म में जूठे बचे हुए अन्नादि पदार्थ किसी को नहीं देना चाहिए ।” (अनुक्रम) (वायु पुराणः 79.83)*
स्वास्थ्य-कणिकाएँ
पित्तजन्य सिरदर्द में नारियल की सूखी गिरी और मिश्री सूर्योदय से पूर्व खाना फायदेमंद है ।
बच्चों की मिट्टी खाने की आदत हो तो शहद के साथ केला खिलायें ।
१-२म्मच (१०-२० ग्राम) गुलकंद रात को गुनगुने दूध के साथ लेने से कब्ज में लाभ होता है ।
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