दिनांक – 24 मार्च 2023
दिन – शुक्रवार
विक्रम संवत् – 2080
शक संवत् – 1945
अयन – उत्तरायण
ऋतु – वसंत
मास – चैत्र
पक्ष – शुक्ल
तिथि – तृतीया शाम 04:59 तक तत्पश्चात चतुर्थी
नक्षत्र – अश्विनी दोपहर 01:22 तक तत्पश्चात भरणी
योग – वैधृति रात्रि 01:43 तक तत्पश्चात विष्कम्भ
राहु काल – सुबह 11:15 से 12:46 तक
सूर्योदय – 06:40
सूर्यास्त – 06:52
दिशा शूल – पश्चिम दिशा में
ब्राह्ममुहूर्त – प्रातः 05:06 से 05:53 तक
निशिता मुहूर्त – रात्रि 12:22 से 01:09 तक
व्रत पर्व विवरण – मत्स्य जयंती, गौरी तृतीया, गणगौर
विशेष -तृतीया को परवल खाना शत्रुओं की वृद्धि करने वाला है । चतुर्थी को मूली खाने से धन का नाश होता है । (ब्रह्मवैवर्त पुराण, ब्रह्म खंडः 27.29-34)
भगवान विष्णु के 10 प्रमुख अवतारों में से उनका मत्स्य रूप भी एक है । मत्स्य यानी मछली जिस प्रकार उन्होंने सृष्टि के कल्याण के लिए अपने बाकी अवतार लिए थे ठीक उसी तरह भगवान का यह रूप भी संसार की सुरक्षा के लिए ही था । चैत्र मास के शुक्ल पक्ष की तृतीया तिथि को मत्स्य जयंती के रूप में मनाया जाता है । यह दिन श्री हरी विष्णु के मत्स्य अवतार को समर्पित है । मत्स्य जयंती के दिन विष्णु जी की विशेष पूजा की जाती है। भक्त पूरी श्रद्धा के साथ पूजा, पाठ व्रत आदि करते हैं ।
चैत्र नवरात्रि (22 से 30 मार्च 2023)
नवरात्रि की तृतीया तिथि यानी तीसरा दिन माता चंद्रघंटा की पूजा कि जाती है । यह शक्ति माता का शिवदूती स्वरूप हैं । इनके मस्तक पर घंटे के आकार का अर्धचंद्र है, इसी कारण इन्हें चंद्रघंटा देवी कहा जाता है । असुरों के साथ युद्ध में देवी चंद्रघंटा ने घंटे की टंकार से असुरों का नाश किया था । नवरात्रि के तृतीय दिन इनका पूजन किया जाता है । इनके पूजन से साधक को मणिपुर चक्र के जाग्रत होने वाली सिद्धियां स्वत: प्राप्त हो जाती हैं तथा सांसारिक कष्टों से मुक्ति मिलती है ।
तृतीया तिथि यानी की तीसरे दिन को माता दुर्गा को दूध का भोग लगाएं । इससे दुखों से मुक्ति मिलती है ।
गणगौर तीज – 24 मार्च 2023
चैत्र मास के शुक्ल पक्ष की तृतीया तिथि को गणगौर तीज का उत्सव मनाया जाता है। इस बार यह पर्व 24 मार्च, शुक्रवार को है । गणगौर उत्सव में मुख्य रूप से माता पार्वती व भगवान शिव का पूजन किया जाता है । भगवान शंकर-माता पार्वती को प्रसन्न करने के लिए इस दिन कुछ उपाय भी कर सकते हैं। ये उपाय इस प्रकार है-
1. देवी भागवत के अनुसार, माता पार्वती का अभिषेक आम अथवा गन्ने के रस से किया जाए तो लक्ष्मी और सरस्वती ऐसे भक्त का घर छोड़कर कभी नहीं जातीं। वहां संपत्ति और विद्या का वास रहता है ।
2. शिवपुराण के अनुसार, लाल व सफेद आंकड़े के फूल से भगवान शिव का पूजन करने से भोग व मोक्ष की प्राप्ति होती है ।
3. माता पार्वती को घी का भोग लगाएं तथा उसका दान करें । इससे रोगी को कष्टों से मुक्ति मिलती है तथा वह निरोगी होता है ।
4. माता पार्वती को शक्कर का भोग लगाकर उसका दान करने से भक्त को दीर्घायु प्राप्त होती है । दूध चढ़ाकर दान करने से सभी प्रकार के दु:खों से मुक्ति मिलती है । मालपुआ चढ़ाकर दान करने से सभी प्रकार की समस्याएं अपने आप ही समाप्त हो जाती है ।
5. भगवान शिव को चमेली के फूल चढ़ाने से वाहन सुख मिलता है । अलसी के फूलों से शिव का पूजन करने से मनुष्य भगवान विष्णु को प्रिय होता है ।
6. भगवान शिव की शमी पत्रों से पूजन करने पर मोक्ष प्राप्त होता है । बेला के फूल से पूजन करने पर शुभ लक्षणों से युक्त पत्नी मिलती है । धतूरे के फूल के पूजन करने पर भगवान शंकर सुयोग्य पुत्र प्रदान करते हैं, जो परिवार का नाम रोशन करता है । लाल डंठल वाला धतूरा पूजन में शुभ माना गया है ।
7. भगवान शिव पर ईख (गन्ना) के रस की धारा चढ़ाई जाए तो सभी आनंदों की प्राप्ति होती है । शिव को गंगाजल चढ़ाने से भोग व मोक्ष दोनों की प्राप्ति होती है ।
8. देवी भागवत के अनुसार वेद पाठ के साथ यदि कर्पूर, अगरु (सुगंधित वनस्पति), केसर, कस्तूरी व कमल के जल से माता पार्वती का अभिषेक करने से सभी प्रकार के पापों का नाश हो जाता है तथा साधक को थोड़े प्रयासों से ही सफलता मिलती है ।
9. जूही के फूल से भगवान शिव का पूजन करने से घर में कभी अन्न की कमी नहीं होती। दूर्वा से पूजन करने पर आयु बढ़ती है । हरसिंगार के फूलों से पूजन करने पर सुख-सम्पत्ति में वृद्धि होती है .
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