Aaj Ka Panchang 27 January 2023: जानें शुक्रवार का पंचांग, शुभ-अशुभ मुहूर्त व राहुकाल

Aaj Ka Panchang 27 January 2023 शुक्रवार को कई खास योग बन रहे हैं। आज के दिन रेवती नक्षत्र के साथ सर्वार्थसिद्ध योग जैसे कई शुभ योग बन रहे हैं।

आज का हिन्दू पंचांग 

दिनांक – 27 जनवरी 2023
दिन – शुक्रवार
विक्रम संवत् – 2079
शक संवत् – 1944
अयन – उत्तरायण
ऋतु – शिशिर
मास – माघ
पक्ष – शुक्ल
तिथि – षष्ठी सुबह 09:10 तक तत्पश्चात सप्तमी
नक्षत्र – रेवती शाम 06:37 तक तत्पश्चात अश्विनी
योग – सिद्ध दोपहर 01:22 तक तत्पश्चात साध्य
राहु काल – सुबह 11:30 से 12:52 तक
सूर्योदय – 07:21
सूर्यास्त – 06:24
दिशा शूल – पश्चिम दिशा में
ब्राह्ममुहूर्त – प्रातः 05:37 से 06:29 तक
निशिता मुहूर्त – रात्रि 12:26 से 01:18 तक
व्रत पर्व विवरण – शीतला षष्ठी (बंगाल)
विशेष – षष्ठी को नीम की पत्ती, फल या दातुन मुँह में डालने से नीच योनियों की प्राप्ति होती है । सप्तमी को ताड़ का फल खाया जाय तो वह रोग बढ़ानेवाला तथा शरीर का नाशक होता है ।
(ब्रह्मवैवर्त पुराण, ब्रह्म खंडः 27.29-34)

 अचला सप्तमी – 28 जनवरी 2023 

माघ शुक्ल सप्तमी महिमा
माघ शुक्ल सप्तमी को अचला सप्तमी, रथ सप्तमी, आरोग्य सप्तमी, भानु सप्तमी, अर्क सप्तमी आदि अनेक नामों से सम्बोधित किया गया है और इसे सूर्य की उपासना के लिए बहुत ही सुन्दर दिन कहा गया है । पुत्र प्राप्ति, पुत्र रक्षा तथा पुत्र अभ्युदय के लिए इस दिन संतान सप्तमी का व्रत भी किया जाता है ।

भगवान सूर्य जिस तिथि को पहले-पहल रथ पर आरूढ़ हुए, वह ब्राह्मणों द्वारा माघ मास की सप्तमी बताई गयी है, जिसे रथसप्तमी कहते हैं । उस तिथि को दिया हुआ दान और किया हुआ यज्ञ सब अक्षय माना जाता है । वह सब प्रकार की दरिद्रता को दूर करने वाला और भगवान सूर्य की प्रसन्नता का प्राप्त कराने वाला है । – स्कन्द पुराण

भविष्य पुराण के अनुसार सप्तमी तिथि को भगवान् सूर्य का आविर्भाव हुआ था । ये अंड के साथ उत्पन्न हुए और अंड में रहते हुए ही उन्होंने वृद्धि प्राप्त कि । बहुत दिनोंतक अंड में रहने के कारण ये ‘मार्तण्ड’ के नामसे प्रसिद्ध हुए ।

भगवान श्रकृष्ण कहते है– राजन ! शुक्ल पक्षकी सप्तमी तिथि को यदि आदित्यवार (रविवार) हो तो उसे विजय सप्तमी कहते है । वह सभी पापोका विनाश करने वाली है । उस दिन किया हुआ स्नान ,दान्, जप, होम तथा उपवास आदि कर्म अनन्त फलदायक होता है । जो उस दिन फल् पुष्प आदि लेकर भगवान सूर्यकी प्रदक्षिणा करता है । वह सर्व गुण सम्पन्न उत्तम पुत्र को प्राप्त करता है ।
भविष्य पुराण

नारद पुराण में माघ शुक्ल सप्तमी को “अचला व्रत” बताया गया है । यह “त्रिलोचन जयन्ती” है । इसी को रथसप्तमी कहते हैं । यही “भास्कर सप्तमी” भी कहलाती है, जो करोड़ों सूर्य-ग्रहणों के समान है । इसमें अरूणोदय के समय स्नान किया जाता है । आक और बेर के सात-सात पत्ते सिर पर रखकर स्नान करना चाहिए । इससे सात जन्मों के पापों का नाश होता है । इसी सप्तमी को ‘’पुत्रदायक ” व्रत भी बताया गया है । स्वयं भगवान सूर्य ने कहा है – ‘जो माघ शुक्ल सप्तमी को विधिपूर्वक मेरी पूजा करेगा, उसपर अधिक संतुष्ट होकर मैं अपने अंश से उन्सका पुत्र होऊंगा’ । इसलिये उस दिन इन्द्रियसंयमपूर्वक दिन-रात उपवास करे और दूसरे दिन होम करके ब्राह्मणों को दही, भात, दूध और खीर आदि भोजन करावें ।

अग्नि पुराण में अग्निदेव कहते हैं – माघ मासके शुक्लपक्ष की सप्तमी तिथिको (अष्टदल अथवा द्वादशदल) कमल का निर्माण करके उसमें भगवान् सूर्यका पूजन करना चाहिये । इससे मनुष्य शोकरहित हो जाता है ।

चंद्रिका में लिखा है “सूर्यग्रहणतुल्या हि शुक्ला माघस्य सप्तमी। अरुणोदगयवेलायां तस्यां स्नानं महाफलम्॥”
अर्थात माघ शुक्ल सप्तमी सूर्यग्रहण के तुल्य होती है सूर्योदय के समय इसमें स्नान का महाफल होता है ।

नारद पुराण के अनुसार
“अरुणोदयवालायां शुक्ला माघस्य सप्तमी ॥ प्रयागे यदि लभ्येत सहस्रार्कग्रहैः समा॥
अयने कोटिपुण्यं स्याल्लक्षं तु विषुवे फलम् ॥११२॥”

चंद्रिका में भी विष्णु ने लिखा है “अरुणोदयवेलायां शुक्ला माघस्य सप्तमी ॥ प्रयागे यदि लभ्येत कोटिसूर्यग्रहैः समा”
अर्थात माघ शुक्ल सप्तमी यदि अरुणोदय के समय प्रयाग में प्राप्त हो जाए तो कोटि सूर्य ग्रहणों के तुल्य होती है ।

मदनरत्न में भविष्योत्तर पुराण का कथन है की “माघे मासि सिते पक्षे सप्तमी कोटिभास्करा। दद्यात् स्नानार्घदानाभ्यामायुरारोग्यसम्पदः॥”
अर्थात माघ मास की शुक्लपक्ष सप्तमी कोटि सूर्यों के बराबर है उसमें सूर्य स्नान दान अर्घ्य से आयु आरोग्य सम्पदा करते हैं ।

मेधावी व निरोगी संतान हेतु अनुभूत प्रयोग

गर्भवती महिला रोज श्रद्धापूर्वक गाय का पूजन कर उसकी कम-से-कम एक परिक्रमा करे, उसे अपने हाथ से रोटी तथा गुड़ खिलाये और सुबह-शाम गोदुग्ध का पान करे तो निश्चित ही आनेवाली संतान फुर्तीली, सशक्त, मेधावी एवं निरोगी होगी और प्रसव भी सहज ढंग से होगा ।

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