Aaj Ka Panchang 30 January 2023: सोमवार को करें शिव पूजा, जान लें शुभ मुहूर्त
Aaj Ka Panchang 30 जनवरी 2023: आज माघ माह के शुक्ल पक्ष की नवमी तिथि है। सोमवार को भगवान शिव की पूजा करने से मनोकामनाएं पूर्ण होती हैं। आज माघ गुप्त नवरात्रि का अंतिम दिन है।

आज का हिन्दू पंचांग
दिनांक – 30 जनवरी 2023
दिन – सोमवार
विक्रम संवत् – 2079
शक संवत् – 1944
अयन – उत्तरायण
ऋतु – शिशिर
मास – माघ
पक्ष – शुक्ल
तिथि – नवमी सुबह 10:11 तक तत्पश्चात दशमी
नक्षत्र – कृत्तिका रात्रि 10:15 तक तत्पश्चात रोहिणी
योग – शुक्ल सुबह 10:49 तक तत्पश्चात ब्रह्म
राहु काल – सुबह 08:44 से 10:07 तक
सूर्योदय – 07:20
सूर्यास्त – 06:26
दिशा शूल – पूर्व दिशा में
ब्राह्ममुहूर्त – प्रातः 05:37 से 06:29 तक
निशिता मुहूर्त – रात्रि 12:27 से 01:19 तक
व्रत पर्व विवरण – महात्मा गांधी पुण्यतिथि
विशेष – नवमी को लौकी और दशमी को कलम्बी शाक खाना त्याज्य है ।
(ब्रह्मवैवर्त पुराण, ब्रह्म खंडः 27.29-34)
कार्यों में सफलता-प्राप्ति हेतु
जो व्यक्ति बार-बार प्रयत्नों के बावजूद सफलता प्राप्त न कर पा रहा हो अथवा सफलता-प्राप्ति के प्रति पूर्णतया निराश हो चुका हो, उसे प्रत्येक सोमवार को पीपल वृक्ष के नीचे सायंकाल के समय एक दीपक जला के उस वृक्ष की ५ परिक्रमा करनी चाहिए । इस प्रयोग को कुछ ही दिनों तक सम्पन्न करनेवाले को उसके कार्यों में धीरे-धीरे सफलता प्राप्त होने लगती है ।
जठराग्निवर्धक गोतक्र ( मट्ठा )
जिस प्रकार स्वर्ग में देवों को सुख देनेवाला अमृत है, उसी प्रकार पृथ्वी पर मनुष्यों को सुख देनेवाला तक्र हैं ।’ ( भावप्रकाश )
दही में चौथाई भाग पानी मिलाकर मथने से तक्र तैयार होता है । इसे मट्ठा भी कहते हैं । ताजा मट्ठा सात्त्विक आहार की दृष्टि से श्रेष्ठ द्रव्य है ।
यह जठराग्नि प्रदीप्त कर पाचन – तंत्र कार्यक्षम बनाता है । अत: भोजन के साथ तथा पश्चात मट्ठा पीने से आहार का ठीक से पाचन हो जाता है ।
जिन्हें भूख न लगती हो, ठीक से पाचन न होता हो, खट्टी डकारें आती हों और पेट फूलते – अफरा चढ़ने से छाती में घबराहट होती हो, उनके लिए मट्ठा अमृत के समान है ।
मट्ठे के सेवन से ह्रदय को बल मिलता है, रक्त शुद्ध होता है और विशेषत: ग्रहणी की क्रिया अधिक व्यवस्थित होती है ।
कई लोगों को दूध रुचता या पचता नहीं है । उनके लिए मट्ठा अत्यंत गुणकारी है ।
मक्खन निकाला हुआ तक्र पथ्य अर्थात रोगियों के लिए हितकर तथा पचने में हलका होता है ।
मक्खन नहीं निकला हुआ तक्र भारी, पुष्टिकारक एवं कफजनक होता है ।
वातदोष की अधिकता में सोंठ व सेंधा नमक मिला के, कफ की अधिकता में सोंठ, काली मिर्च व पीपर मिलाकर तथा पित्तजन्य विकारों में मिश्री मिला के तक्र का सेवन करना लाभदायी है ।
शीतकाल में तथा भूख की कमी, वातरोग, अरुचि एवं नाड़ियों के अवरोध में तक्र अमृत के समान गुणकारी होता है ।
यह संग्रहणी, बवासीर, चिकने दस्त, अतिसार (दस्त), उलटी, रक्ताल्पता, मोटापा, मूत्र का अवरोध, भगंदर, प्रमेह, प्लीहावृद्धि, कृमिरोग तथा प्यास को नष्ट करनेवाला होता है ।
दही को मथकर मक्खन निकाल लिया जाय और अधिक मात्रा में पानी मिला के उसे पुन: मथा जाय तो छाछ बनती है । यह शीतल , हलकी, पित्तनाशक, प्यास, वात को नष्ट करनेवाली और कफ बढ़ानेवाली होती है ।
मट्ठे के औषधीय प्रयोग
१] मट्ठे में जीरा, सौंफ का चुनर व सेंधा नमक मिलाकर पीने से खट्टी डकारें बंद होती हैं ।
२] गाय का ताजा, फीका मट्ठा पीने से रक्त शुद्ध होता है और रस, बल तथा पुष्टि बढ़ती है । शरीर – वर्ण निखरता है, चित्त प्रसन्न होता है, वात-संबंधी अनेक रोगों का नाश होता है ।
३] ताजे मट्ठे में चुटकीभर सोंठ, सेंधा नमक व काली मिर्च मिलाकर पीने से आँव, मरोड़ तथा दस्त दूर हो के भोजन में रूचि बढ़ती है ।
४] मट्ठे में अजवायन और काला नमक मिलाकर पीने से कब्ज मिटता है ।
उपरोक्त सभी गुण गाय के ताजे व मधुर मट्ठे में ही होते हैं । ताजे दही को मथकर उसी समय मट्ठे का सेवन करें । ऐसा मट्ठा दही से कई गुना अधिक गुणकारी होता है । देर तक रखा हुआ खट्टा व बासी मट्ठा हितकर नही है ।
५] केवल ताजे दही को मथकर हींग, जीरा तथा सेंधा नमक डाल के पीने से अतिसार, बवासीर और पेडू का शूल मिटता है ।
ताजे दही का अर्थ है, रात को जमाया हुआ दही जिसका उपयोग सुबह किया जाय एवं सुबह जमाया हुआ दही जिसका सेवन मध्यान्हकाल में अथवा सूर्यास्त के पहले किया जाय । सायंकाल के बाद दही अथवा छाछ का सेवन नहीं करना चाहिए ।
सावधानी – १] दही एंव मट्ठा ताँबे, काँसे, पीतल एवं एल्युमिनियम के बर्तन में न रखें । दही बनाने के लिए मिट्टी अथवा चाँदी के बर्तन विशेष उपयुक्त हैं, स्टील के बर्तन भी चल सकते हैं ।
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