धर्म
Aaj Ka Panchang, 30 May: आज आखिरी बड़ा मंगल, जानें आज के शुभ मुहूर्त
Aaj ka Panchang 30 May: राहुकाल और शुभमुहूर्त के साथ जानें कैसे लगेगा कार्यस्थल पर मन और उन्नतिकारक कुंजियाँ

दिनांक – 30 मई 2023
दिन – मंगलवार
विक्रम संवत् – 2080
शक संवत् – 1945
अयन – उत्तरायण
ऋतु – ग्रीष्म
मास – ज्येष्ठ
पक्ष – शुक्ल
तिथि – दशमी दोपर 01:07 तक तत्पश्चात एकादशी
नक्षत्र – हस्त पूर्ण रात्रि तक
योग – सिद्धि रात्रि 08:55 तक तत्पश्चात व्यतिपात
राहु काल – शाम 03:49 से 05:40 तक
सूर्योदय – 05:54
सूर्यास्त – 07:20
दिशा शूल – उत्तर दिशा में
ब्राह्ममुहूर्त – प्रातः 04:30 से 05:12 तक
निशिता मुहूर्त – रात्रि 12:16 से 12:58 तक
व्रत पर्व विवरण – गंगा दशहरा समाप्त, व्यतिपात योग (रात्रि 08:55 से 31 मई रात्रि 08:15 तक)
विशेष – दशमी को कलंबी शाक त्याज्य है । एकादशी को शिम्बी (सेम) खाने से पुत्र का नाश होता है । (ब्रह्मवैवर्त पुराण, ब्रह्म खंडः 27.29-34)
*एकादशी तिथि में चावल खाना वर्जित है ।
गंगा दशहरा (समाप्त) – 30 मई 2023
गंगा स्नान का फल
“जो मनुष्य आँवले के फल और तुलसीदल से मिश्रित जल से स्नान करता है, उसे गंगा स्नान का फल मिलता है ।” (पद्म पुराण , उत्तर खंड)*
– लोक कल्याण सेतु – दिसंबर 2012
गंगा स्नान का मंत्र
गंगा स्नान के लिए रोज हरिद्वार तो जा नहीं सकते, घर में ही गंगा स्नान का पुण्य पाने के लिए एक छोटा सा मन्त्र है..*
*ॐ ह्रीं गंगायै ॐ ह्रीं स्वाहा*
ये मन्त्र बोलते हुए स्नान करें तो गंगा स्नान का लाभ होता है । गंगा दशहरा के दिन इसका लाभ जरुर लें…*
व्यतिपात योग
समय अवधि : 30 मई रात्रि 08:55 से 31 मई रात्रि 08:15 तक*
व्यतिपात योग में किया हुआ जप, तप, मौन, दान व ध्यान का फल १ लाख गुना होता है । – वराह पुराण*
निर्जला एकादशी – 31 मई 2023
एकादशी 30 मई दोपहर 01:07 से 31 मई दोपहर 01:45 तक ।
व्रत उपवास 31 मई बुधवार को रखा जायेगा ।
एकादशी व्रत के लाभ
एकादशी व्रत के पुण्य के समान और कोई पुण्य नहीं है ।*
जो पुण्य सूर्यग्रहण में दान से होता है, उससे कई गुना अधिक पुण्य एकादशी के व्रत से होता है ।*
जो पुण्य गौ-दान, सुवर्ण-दान, अश्वमेघ यज्ञ से होता है, उससे अधिक पुण्य एकादशी के व्रत से होता है ।*
एकादशी करनेवालों के पितर नीच योनि से मुक्त होते हैं और अपने परिवारवालों पर प्रसन्नता बरसाते हैं । इसलिए यह व्रत करने वालों के घर में सुख-शांति बनी रहती है ।
धन-धान्य, पुत्रादि की वृद्धि होती है ।
कीर्ति बढ़ती है, श्रद्धा-भक्ति बढ़ती है, जिससे जीवन रसमय बनता है ।
परमात्मा की प्रसन्नता प्राप्त होती है । पूर्वकाल में राजा नहुष, अंबरीष, राजा गाधी आदि जिन्होंने भी एकादशी का व्रत किया, उन्हें इस पृथ्वी का समस्त ऐश्वर्य प्राप्त हुआ । भगवान शिवजी ने नारद से कहा है : एकादशी का व्रत करने से मनुष्य के सात जन्मों के पाप नष्ट हो जाते हैं, इसमे कोई संदेह नहीं है । एकादशी के दिन किये हुए व्रत, गौ-दान आदि का अनंत गुना पुण्य होता है ।