धर्म
Aaj Ka Panchang 5 June: सोमवार का पंचांग, शुभ मुहूर्त और राहुकाल का समय
Aaj ka Panchang 5 June: राहुकाल और शुभमुहूर्त के साथ जानें कैसे लगेगा कार्यस्थल पर मन और उन्नतिकारक कुंजियाँ

दिनांक – 05 जून 2023*
दिन – सोमवार*
विक् संवत् – 2080*
शक संवत् – 1945*
अयन – उत्तरायण*
ऋतु – ग्रीष्म*
मास – आषाढ़ (गुजरात, महाराष्ट्र में ज्येष्ठ)*
पक्ष – कृष्ण*
तिथि – प्रतिपदा सुबह 06:38 तक तत्पश्चात द्वितीया (06 जून प्रातः 03:48 तक)*
नक्षत्र – मूल रात्रि 01:23 तक तत्पश्चात पूर्वाषाढ़ा*
योग – साध्य सुबह 08:49 तक तत्पश्चात शुभ (06 जून प्रातः 05:25)*
राहु काल – सुबह 07:35 से 09:16 तक*
सूर्योदय – 05:54*
सूर्यास्त – 07:22*
दिशा शूल – पूर्व दिशा में*
ब्राह्ममुहूर्त – प्रातः 04:29 से 05:11 तक*
निशिता मुहूर्त – रात्रि 12:17 से 12:59 तक*
व्रत पर्व विवरण – गुरु हरगोविंद सिंहजी जयंती, विश्व पर्यावरण दिवस*
विशेष – द्वितीया को बृहती (छोटा बैंगन या कटेहरी) खाना निषिद्ध है । (ब्रह्मवैवर्त पुराण, ब्रह्म खंडः 27.29-34)*
विश्व पर्यावरण दिवस 05 जून 2023
हमारे पूजनीय वृक्ष – आँवला
आँवला खाने से आयु बढ़ती है । इसका रस पीने से धर्म का संचय होता है और रस को शरीर पर लगाकर स्नान करने से दरिद्रता दूर होकर ऐश्वर्य की प्राप्ति होती है ।*
जो दोनों पक्षों की एकादशियों को आँवले के रस का प्रयोग कर स्नान करते हैं, उनके पाप नष्ट हो जाते हैं ।*
मृत व्यक्ति की हड्डियाँ आँवले के रस से धोकर किसी भी नदी में प्रवाहित करने से उसकी सदगति होती है ।*
*(स्कंद पुराण, वैष्णव खंड, का.मा. 12.75)*
प्रत्येक रविवार, विशेषतः सप्तमी को आँवले का फल त्याग देना चाहिए । शुक्रवार, प्रतिपदा, षष्ठी, नवमी, अमावस्या और सक्रान्ति को आँवले का सेवन नहीं करना चाहिए ।*
आँवला-सेवन के बाद 2 घंटे तक दूध नहीं पीना चाहिए ।
बेल (बिल्व)
स्कंद पुराण के अनुसार रविवार और द्वादशी के दिन बिल्ववृक्ष का पूजन करना चाहिए । इससे ब्रह्महत्या आदि महापाप भी नष्ट हो जाते हैं ।
जिस स्थान में बिल्ववृक्षों का घना वन है, वह स्थान काशी के समान पवित्र है ।*
बिल्वपत्र छः मास तक बासी नहीं माना जाता ।*
चतुर्थी, अष्टमी, नवमी, द्वादशी, चतुर्दशी, अमावस्या, पूर्णिमा, संक्रान्ति और सोमवार को तथा दोपहर के बाद बिल्वपत्र न तोड़ें ।*
40 दिन तक बिल्ववृक्ष के सात पत्ते प्रतिदिन खाकर थोड़ा पानी पीने से स्वप्न दोष की बीमारी से छुटकारा मिलता है ।*
घर के आँगन में बिल्ववृक्ष लगाने से घर पापनाशक और यशस्वी होता है । बेल का वृक्ष उत्तर-पश्चिम में हो तो यश बढ़ता है, उत्तर-दक्षिण में हो तो सुख शांति बढ़ती है और बीच में हो तो मधुर जीवन बनता है ।*
तुलसी
गले में तुलसी की माला धारण करने से जीवनशक्ति बढ़ती है, बहुत से रोगों से मुक्ति मिलती है । तुलसी की माला पर भगवन्नाम-जप करना कल्याणकारी है ।
मृत्यु के समय मृतक के मुख में तुलसी के पत्तों का जल डालने से वह सम्पूर्ण पापों से मुक्त होकर भगवान विष्णु के लोक में जाता है ।*
*(ब्रह्मवैवर्त पुराण, प्रकृति खंडः 21.42)*
तुलसी के पत्ते सूर्योदय के पश्चात ही तोड़ें। दूध में तुलसी के पत्ते नहीं डालने चाहिए तथा दूध के साथ खाने भी नहीं चाहिए ।*
घर की किसी भी दिशा में तुलसी का पौधा लगाना शुभ व आरोग्यरक्षक है ।*
पीपल
जो मनुष्य पीपल के वृक्ष को देखकर प्रणाम करता है, उसकी आयु बढ़ती है तथा जो इसके नीचे बैठकर धर्म-कर्म करता है, उसका कार्य पूर्ण हो जाता है । जो मूर्ख मनुष्य पीपल के वृक्ष को काटता है, उसे इससे होने वाले पाप से छूटने का कोई उपाय नहीं है । (पद्म पुराण, खंड 7, अ.12)
घर में पीपल का वृक्ष होना उचित नहीं है परंतु खुली जगह में पश्चिम दिशा में पीपल संपत्तिकारक है ।