धर्म

Aaj Ka Panchang 6 September: कोई भी कार्य करने से पहले जानें आज का पंचांग

Aaj Ka Panchang 6 September: राहुकाल और शुभमुहूर्त के साथ जानें कैसे लगेगा कार्यस्थल पर मन और उन्नतिकारक कुंजियाँ

दिनांक – 06 सितम्बर 2022

दिन – मंगलवार

विक्रम संवत् – 2079

शक संवत् – 1944

अयन – दक्षिणायन

ऋतु – शरद

मास – भाद्रपद

पक्ष – शुक्ल

तिथि – दशमी प्रातः 05:54 तक तत्पश्चात एकादशी

नक्षत्र – पूर्वाषाढ़ा शाम 06:09 तक तत्पश्चात उत्तराषाढ़ा

योग – आयुष्मान सुबह 08:16 तक तत्पश्चात सौभाग्य

राहु काल – अपरान्ह 03:45 से 05:19 तक

सूर्योदय – 06:23

सूर्यास्त – 06:52

दिशा शूल – उत्तर दिशा में

ब्राह्ममुहूर्त – प्रातः 04:51 से 05:37 तक

निशिता मुहूर्त – रात्रि 12:15 से 01:01 तक

व्रत पर्व विवरण – पद्मा-परिवर्तिनी एकादशी

विशेष – एकादशी को शिम्बी (सेम) खाने से पुत्र का नाश होता है । (ब्रह्मवैवर्त पुराण, ब्रह्म खंडः 27.29-34)

एकादशी (06, 07 सितंबर 2022 )के दिन चावल खाना वर्जित है ।

पद्मा-परिवर्तिनी एकादशी – 07 सितंबर 2022
एकादशी 06 सितंबर प्रातः 05:54 से 07 सितंबर प्रातः 03:04 तक है । व्रत उपवास 07 सितंबर बुधवार को रखें ।

एकादशी व्रत के पुण्य के समान और कोई पुण्य नहीं है ।

जो पुण्य सूर्यग्रहण में दान से होता है, उससे कई गुना अधिक पुण्य एकादशी के व्रत से होता है ।
जो पुण्य गौ-दान सुवर्ण-दान, अश्वमेघ यज्ञ से होता है, उससे अधिक पुण्य एकादशी के व्रत से होता है ।
एकादशी करनेवालों के पितर नीच योनि से मुक्त होते हैं और अपने परिवारवालों पर प्रसन्नता बरसाते हैं । इसलिए यह व्रत करने वालों के घर में सुख-शांति बनी रहती है ।

धन-धान्य, पुत्रादि की वृद्धि होती है ।

कीर्ति बढ़ती है, श्रद्धा-भक्ति बढ़ती है, जिससे जीवन रसमय बनता है ।

परमात्मा की प्रसन्नता प्राप्त होती है । पूर्वकाल में राजा नहुष, अंबरीष, राजा गाधी आदि जिन्होंने भी एकादशी का व्रत किया, उन्हें इस पृथ्वी का समस्त ऐश्वर्य प्राप्त हुआ । भगवान शिवजी ने नारद से कहा है : एकादशी का व्रत करने से मनुष्य के सात जन्मों के पाप नष्ट हो जाते हैं, इसमे कोई संदेह नहीं है । एकादशी के दिन किये हुए व्रत, गौ-दान आदि का अनंत गुना पुण्य होता है ।

श्रवण नक्षत्र युक्त बुधवारी द्वादशी योग : 07 सितम्बर (शाम 03:59 बजे से रात्रि 12:06 तक)

बुधवारयुक्त श्रवणद्वादशी महिमा

भगवान श्रीकृष्ण ने कहा : “राजन् ! भाद्रपद मास के शुक्ल पक्ष की द्वादशी तिथि यदि श्रवण नक्षत्र से युक्त हो तो इसमें व्रत करने से सभी कामनाएँ पूर्ण हो  जाती है ।

एकमात्र इस श्रवणद्वादशी का व्रत कर लेने से १२ द्वादशी व्रतों का फल मिलता है ।

यदि यह श्रवण नक्षत्र युक्त द्वादशी बुधवार के दिन होती है तो उसमें संयमपूर्वक व्रती रहने से महान फल प्राप्त होते हैं – उसमें किये हुए जप, सत्संग, ध्यान, हरिकीर्तन, व्रत, उपवास, स्नान, दान, मौन, सेवा आदि सभी सत्कर्म अक्षय फल देते हैं । अतः इस दिन बिना विचारे ये सत्कर्म अवश्य करने चाहिए । इस व्रत से गंगा स्नान का लाभ होता है ।
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