धर्म

Aaj ka Panchang 8 June: आषाढ़ कृष्ण पंचमी, जानें मुहूर्त और शुभ योग का समय

Aaj ka Panchang 8 June: राहुकाल और शुभमुहूर्त के साथ जानें कैसे लगेगा कार्यस्थल पर मन और उन्नतिकारक कुंजियाँ

दिनांक – 08 जून 2023

दिन – गुरुवार

विक्रम संवत् – 2080

शक संवत् – 1945

अयन – उत्तरायण

ऋतु – ग्रीष्म

मास – आषाढ़ (गुजरात, महाराष्ट्र में ज्येष्ठ)

पक्ष – कृष्

तिथि – पंचमी शाम 06:58 तक तत्पश्चात षष्ठी

नक्षत्र – श्रवण रात्रि 09:02 तक तत्पश्चात धनिष्ठा

योग – इन्द्र शाम 06:59 तक तत्पश्चात वैधृति

राहु काल – दोपहर 02:20 से 04:01 तक

सूर्योदय – 05:53

सूर्यास्त – 07:24

दिशा शूल – दक्षिण दिशा में

ब्राह्ममुहूर्त – प्रातः 04:29 से 05:11 तक

निशिता मुहूर्त – रात्रि 12:18 से 01:01 तक

व्रत पर्व विवरण

विशेष – पंचमी को बेल खाने से कलंक लगता है । (ब्रह्मवैवर्त पुराण, ब्रह्म खंडः 27.29-34)

सगर्भावस्था के दौरान आचरण

दिन में नींद व देर रात तक जागरण न करें । दोपहर में विश्रांति लें, गहरी नींद वर्जित है ।

सीधे व घुटने मोडकर न सोये अपितु करवट बदल-बदलकर सोये ।

सख्त व् टेढ़े स्थान पर बैठना, पैर फैलाकर और झुककर ज्यादा समय बैठना वर्जित है ।

गर्भिणी अपानवायु, मल, मूत्र, डकार, छींक, प्यास, भूख, निद्रा, खाँसी, आयासजन्य श्वास, जम्हाई, अश्रु इन स्वाभाविक वेंगो को न रोके तथा यत्नपूर्वक वेंगों को उत्पन्न न करें ।

इस काल में समागम सर्वथा वर्जित है ।

सुबह की शुद्ध हवा में टहलना लाभप्रद है ।

आयुर्वेदानुसार ९ मास तक प्रवास वर्जित है

चुस्त व गहरे रंग के कपड़े न पहनें ।

अप्रिय बात न सुनें व वाद-विवाद में न पड़े । जोर से न बोले और गुस्सा न करे । मन में उद्वेग उत्पन्न करनेवाले वीभत्स दृश्य, टीवी सीरियल न देखे व ऐसे साहित्य, नॉवेल आदि भी पढ़े-सुने नहीं । तीव्र ध्वनि एवं रेडिओ भी न सुनें ।

दुर्गन्धयुक्त स्थान पर न रहें तथा इमली के वृक्ष के नजदीक न जाएं ।

शरीर के समस्त अंगों को सौम्य कसरत मिले इस प्रकार के घर के कामका करते रहना गर्भिणी के लिए अति उत्तम होता है ।

सगर्भावस्था में प्राणवायु की आवश्यकता अधिक होती है अत: दीर्घ श्वसन (दीर्घ श्वास) व हलके प्राणायम का अभ्यास करें । पवित्र, कल्याणकारी, आरोग्यदायक भगवन्नाम-जप करें ।

मन को शांत व शरीर को तनावरहित रखने के लिए प्रतिदिन थोडा समय शवासन (शव की नाई पड़े रहना) का अभ्यास अवश्य करें ।*

शांति होम एवं मंगल कर्म करे । देवता, ब्राम्हण, वृद्ध एवं गुरुजनों को प्रणाम करें ।

भय, शोक, चिंता, क्रोध को त्यागकर नित्य आनंदित व प्रसन्न रहे ।

ऊपर दी गयी सावधानियों का गर्भ व मन से गहरा संबंध होता है । अत: गर्भिणी दिये गये निर्देशों के अनुसार अपनी दिनचर्या निर्धारित करें ।

ऋषिप्रसाद – अगस्त २०१४ से

गुरुवार विशेष

हर गुरुवार को तुलसी के पौधे में शुद्ध कच्चा दूध गाय का थोड़ा-सा ही डाले तो, उस घर में लक्ष्मी स्थायी होती है और गुरूवार को व्रत उपवास करके गुरु की पूजा करने वाले के दिल में गुरु की भक्ति स्थायी हो जाती है ।

गुरुवार के दिन देवगुरु बृहस्पति के प्रतीक आम के पेड़ की निम्न प्रकार से पूजा करें :

एक लोटा जल लेकर उसमें चने की दाल, गुड़, कुमकुम, हल्दी व चावल डालकर निम्नलिखित मंत्र बोलते हुए आम के पेड़ की जड़ में चढ़ाएं ।*

ॐ ऐं क्लीं बृहस्पतये नमः ।

*फिर उपरोक्त मंत्र बोलते हुए आम के वृक्ष की पांच परिक्रमा करें और गुरुभक्ति, गुरुप्रीति बढ़े ऐसी प्रार्थना करें । थोड़ा सा गुड़ या बेसन की मिठाई चींटियों को डाल दें ।

( लोक कल्याण सेतु , अंक – ११६ )

गुरुवार को बाल कटवाने से लक्ष्मी और मान की हानि होती है ।

गुरुवार के दिन तेल मालिश हानि करती है । यदि निषिद्ध दिनों में मालिश करनी ही है तो ऋषियों ने उसकी भी व्यवस्था दी है । तेल में दूर्वा डाल के मालिश करें तो वह दोष चला जायेगा ।Accherishtey
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