Aaj Ka Panchang 8 May: भगवान शिव का दुग्ध, गंगाजल से करें रुद्राभिषेक, जानें आज का पंचांग
Aaj Ka Panchang 8 May: राहुकाल और शुभमुहूर्त के साथ जानें कैसे लगेगा कार्यस्थल पर मन और उन्नतिकारक कुंजियाँ

दिनांक 08 मई 2022
दिन – रविवार
विक्रम संवत – 2079
शक संवत – 1944
अयन – उत्तरायण
ऋतु – ग्रीष्म
मास – वैशाख
पक्ष – शुक्ल
तिथि – सप्तमी शाम 05:01 बजे तक तत्पश्चात अष्टमी
नक्षत्र – पुष्य दोपहर 02:58 तक तत्पश्चात अश्लेषा
योग – गण्ड रात्रि 08:34 तक तत्पश्चात वृद्धि
राहुकाल – शाम 05:32 से 07:10 तक
सूर्योदय – 06:02
सूर्यास्त – 07:10
दिशाशूल – पश्चिम दिशा में
ब्रह्म मुहूर्त– प्रातः 04:35 से 05:19 तक
निशिता मुहूर्त – रात्रि 12.14 से 12:58 तक
व्रत पर्व विवरण – रविवारी सप्तमी, रविपुष्यामृत योग, निम्ब सप्तमी, माँ गंगा जयंती
विशेष– सप्तमी को ताड़ का फल खाने से रोग बढ़ता है तथा शरीर का नाश होता है। (ब्रह्मवैवर्त पुराण, ब्रह्म खंडः 27.29-34)
रविवारी सप्तमी : 8 मई 2022 (सूर्योदय से शाम 5:01 तक)
सारे काम छोड़कर जप, ध्यान, मौन रखना चाहिए |सूर्य ग्रहण के समान इसका(रविवारी सप्तमी का) स्नान, दान, पुन्य अक्षय होता है | इसदिन लाख गुना फल होता है मौन और जप का |
जो आरोग्य चाहते वो आरोग्य वर्धक मन्त्र का जप करे, मन्त्र सिद्धि होगी | – पूज्य बापूजी
रविपुष्यामृत योग : 8 मई (सूर्योदय से दोपहर 2:58 तक)
पुष्टिप्रदायक पुष्य नक्षत्र का रविवार के साथ का संयोग ” रविपुष्यामृत योग ” कहलाता है । ‘ सर्वसिद्धिकरः पुष्यः । ‘ इस शास्त्रवचन के अनुसार पुष्य नक्षत्र सर्वसिद्धिकर है । यह योग मंत्रसिद्धि और औषधि – प्रयोग के लिए विशेष फलदायी है ।। इस योग में किया गया जप-ध्यान, दान-पुण्य महाफलदायी होता है परंतु पुष्य में विवाह व उससे संबंधित सभी मांगलिक कार्य वर्जित हैं। (शिव पुराण)
08 मई 2022 माँ गंगा जयंती
जिस दिन गंगाजी की उत्पत्ति हुई वह दिन ‘गंगा जयंती’ (वैशाख शुक्ल सप्तमी ) नाम से जाना जाता है । इन दिनों में गंगाजी में गोता मारने से विशेष सात्त्विकता, प्रसन्नता और पुण्यलाभ होता है ।
वेद व्यासजी कहते थे कि गंगाजी का एक गोपनीय मंत्र है । और वो गंगाजी का मूल मंत्र एक बार भी जप करो तो तुम निष्पाप होने लगोगे ।
गंगाजी का मंत्र
ॐ नमो गंगायै विश्वरुपिणी नारायणी नमो नमः॥
सर्वरोगहारी निम्ब (नीम) सप्तमी…
(निम्ब सप्तमी : 08 मई 2022)
भविष्य पुराण के ब्राह्म पर्व में मुनि सुमंतुजी राजा शतानीक को निम्ब सप्तमी (वैशाख शुक्ल सप्तमी) की महिमा बताते हुए कहते हैं : ‘‘इस दिन निम्ब-पत्र का सेवन किया जाता है । यह सप्तमी सभी तरह से व्याधियों को हरनेवाली है । इस दिन भगवान सूर्य का ध्यान कर उनकी पूजा करनी चाहिए । सूर्यदेव की प्रसन्नता के लिए नैवेद्य के रूप में गुड़ोदक (गुड़-मिश्रित जल) समर्पित करे फिर निम्न मंत्र द्वारा निम्ब की प्रार्थना करे व भगवान सूर्य को निवेदित करके 10-15 कोमल पत्ते प्राशन (ग्रहण) करे :
त्वं निम्ब कटुकात्मासि आदित्यनिलयस्तथा ।
सर्वरोगहरः शान्तो भव मे प्राशनं सदा ।।
‘हे निम्ब ! तुम भगवान सूर्य के आश्रय स्थान हो । तुम कटु स्वभाववाले हो । तुम्हारे भक्षण करने से मेरे सभी रोग सदा के लिए नष्ट हो जायें और तुम मेरे लिए शांतस्वरूप हो जाओ ।’इस मंत्र से निम्ब का प्राशन करके भगवान सूर्य के समक्ष पृथ्वी पर आसन बिछाकर बैठ के सूर्यमंत्र का जप करे ।
भगवान सूर्य का मूल मंत्र है :
‘ॐ खखोल्काय नमः ।’ सूर्य का गायत्री मंत्र है : ‘ॐ आदित्याय विद्महे विश्वभागाय धीमहि । तन्नः सूर्यः प्रचोदयात् ।’
इसके बाद मौन रहकर बिना नमक का मधुर भोजन करे ।
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