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Aaj ka Panchang 1 April: आज कामदा एकादशी व्रत, जानें शुभ मुहूर्त कब से कब तक

Aaj ka Panchang 1 April: राहुकाल और शुभमुहूर्त के साथ जानें कैसे लगेगा कार्यस्थल पर मन और उन्नतिकारक कुंजियाँ

दिनांक – 01 अप्रैल 2023

दिन – शनिवार

विक्रम संवत् – 2080

शक संवत् – 1945

अयन – उत्तरायण

ऋतु – वसंत

मास – चैत्र

पक्ष – शुक्ल

तिथि – एकादशी 02 अप्रैल प्रातः 04:19 तक तत्पश्चात द्वादशी

नक्षत्र – अश्लेषा 02 अप्रैल प्रातः 04:48 तक तत्पश्चात मघा

योग – धृति रात्रि 02:45 तक तत्पश्चात शूल

राहु काल – सुबह 09:38 से 11:11 तक

सूर्योदय – 06:33

सूर्यास्त – 06:55

दिशा शूल – पूर्व दिशा में

ब्राह्ममुहूर्त – प्रातः 04:59 से 05:46 तक

निशिता मुहूर्त – रात्रि 12:20 से 01:06 तक

व्रत पर्व विवरण – कामदा एकादशी (स्मार्त)

विशेष – एकादशी को शिम्बी (सेम) खाने से पुत्र का नाश होता है । (ब्रह्मवैवर्त पुराण, ब्रह्म खंडः 27.29-34)

 कामदा एकादशी – 02 अप्रैल 2023

एकादशी 31 मार्च रात्रि 01:58 (01 अप्रैल 01:58 A.M.) से 02 अप्रैल प्रातः 04:19 तक है ।

व्रत उपवास 02 अप्रैल 2023 रविवार को रखा जायेगा ।

01 एवं 02 अप्रैल दो दिन चावल खाना और खिलाना निषेध है ।

एकादशी व्रत के लाभ

एकादशी व्रत के पुण्य के समान और कोई पुण्य नहीं है ।

जो पुण्य सूर्यग्रहण में दान से होता है, उससे कई गुना अधिक पुण्य एकादशी के व्रत से होता है ।

जो पुण्य गौ-दान, सुवर्ण-दान, अश्वमेघ यज्ञ से होता है, उससे अधिक पुण्य एकादशी के व्रत से होता है ।

एकादशी करनेवालों के पितर नीच योनि से मुक्त होते हैं और अपने परिवारवालों पर प्रसन्नता बरसाते हैं । इसलिए यह व्रत करने वालों के घर में सुख-शांति बनी रहती है ।

धन-धान्य, पुत्रादि की वृद्धि होती है ।

कीर्ति बढ़ती है, श्रद्धा-भक्ति बढ़ती है, जिससे जीवन रसमय बनता है ।

परमात्मा की प्रसन्नता प्राप्त होती है । पूर्वकाल में राजा नहुष, अंबरीष, राजा गाधी आदि जिन्होंने भी एकादशी का व्रत किया, उन्हें इस पृथ्वी का समस्त ऐश्वर्य प्राप्त हुआ । भगवान शिवजी ने नारद से कहा है : एकादशी का व्रत करने से मनुष्य के सात जन्मों के पाप नष्ट हो जाते हैं, इसमे कोई संदेह नहीं है । एकादशी के दिन किये हुए व्रत, गौ-दान आदि का अनंत गुना पुण्य होता है ।

 शनिवार के दिन विशेष प्रयोग

शनिवार के दिन पीपल के वृक्ष का दोनों हाथों से स्पर्श करते हुए ‘ॐ नमः शिवाय’ मंत्र का 108 बार जप करने से दुःख, कठिनाई एवं ग्रहदोषों का प्रभाव शांत हो जाता है ।

हर शनिवार को पीपल की जड़ में जल चढ़ाने और दीपक जलाने से अनेक प्रकार के कष्टों का निवारण होता है । (पद्म पुराण)

आर्थिक कष्ट निवारण हेतु

एक लोटे में जल, दूध, गुड़ और काले तिल मिलाकर हर शनिवार को पीपल के मूल में चढ़ाने तथा ‘ॐ नमो भगवते वासुदेवाय’ मंत्र जपते हुए पीपल की ७ बार परिक्रमा करने से आर्थिक कष्ट दूर होता है ।

पुण्यदायी तिथियाँ व योग

२ अप्रैल : कामदा एकादशी (इसके व्रत से ब्रह्महत्या आदि पापों तथा पिशाचत्व आदि दोषों का नाश होता है ।)

३ अप्रैल : अनंग त्रयोदशी (इसका व्रत करने से दाम्पत्य प्रेम में वृद्धि होती है तथा पति-पुत्रादि का अखंड सुख प्राप्त होता है ।)

६ अप्रैल : श्री हनुमान जयंती, वैशाख स्नानारम्भ (वैशाख मास में जो भक्तिपूर्वक दान, जप, हवन, स्नान आदि शुभ कर्म किये जाते हैं उनका पुण्य अक्षय तथा सौ करोड़ गुना अधिक होता है ।- पदा पुराण)

११ अप्रैल : पूज्य संत श्री आशारामजी बापू का अवतरण दिवस, विश्व सेवा-सत्संग दिवस ।

१६ अप्रैल : वरूथिनी एकादशी (इसका व्रत सौभाग्य, भोग, मोक्ष प्रदायक है। इससे विद्यादान का तथा १०,००० वर्षों की तपस्या के समान फल मिलता है व इसका माहात्म्य पढ़ने-सुनने से १००० गोदान का फल प्राप्त होता है ।)

२२ अप्रैल : अक्षय तृतीया (पूरा दिन शुभ मुहूर्त), त्रेता युगादि तिथि (स्नान, दान, जप, हवन आदि पुण्यकर्मों का अनंत फल)

२७ अप्रैल : गुरुपुष्यामृत योग (सुबह ७ बजे से २८ अप्रैल सूर्योदय तक)

१ मई : मोहिनी एकादशी (उपवास से अनेक जन्मों के किये हुए मेरु पर्वत जैसे महापाप भी नष्ट होते हैं ।)

३ मई : वैशाख शुक्ल त्रयोदशी (इस दिन से वैशाखी पूर्णिमा (५ मई) तक के प्रातः पुण्यस्नान से सम्पूर्ण वैशाख मास के स्नान का फल व गीता-पाठ से अश्वमेध यज्ञ का फल मिलता है ।)

९ मई : मंगलवारी चतुर्थी (सूर्योदय से शाम ४-०८ तक)Accherishtey
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