दिनांक – 01 अक्टूबर 2021
दिन – शुक्रवार
विक्रम संवत – 2078 (गुजरात – 2077)
शक संवत -1943
अयन – दक्षिणायन
ऋतु – शरद
मास -अश्विन (गुजरात एवं महाराष्ट्र के अनुसार – भाद्रपद)
पक्ष – कृष्ण
तिथि – दशमी रात्रि 11:03 तक तत्पश्चात एकादशी
नक्षत्र – पुष्य 02 अक्टूबर रात्रि 02:58 तक तत्पश्चात अश्लेशा
योग – शिव शाम 06:39 तक तत्पश्चात सिद्ध
राहुकाल – सुबह 10:59 से दोपहर 12:28 तक
सूर्योदय – 06:30
सूर्यास्त – 18:25
दिशाशूल – पश्चिम दिशा में
व्रत पर्व विवरण – दशमी का श्राद्ध
विशेष –
~ हिन्दू पंचांग ~
एकादशी व्रत के लाभ
01 अक्टूबर 2021 शुक्रवार को रात्रि 11:04 से 02 अक्टूबर, शनिवार को रात्रि 11:10 तक एकादशी है ।
विशेष – 02 अक्टूबर, शनिवार को एकादशी का व्रत (उपवास) रखें ।
- एकादशी व्रत के पुण्य के समान और कोई पुण्य नहीं है ।
- जो पुण्य सूर्यग्रहण में दान से होता है, उससे कई गुना अधिक पुण्य एकादशी के व्रत से होता है ।
- जो पुण्य गौ-दान सुवर्ण-दान, अश्वमेघ यज्ञ से होता है, उससे अधिक पुण्य एकादशी के व्रत से होता है ।
- एकादशी करनेवालों के पितर नीच योनि से मुक्त होते हैं और अपने परिवारवालों पर प्रसन्नता बरसाते हैं ।इसलिए यह व्रत करने वालों के घर में सुख-शांति बनी रहती है ।
- धन-धान्य, पुत्रादि की वृद्धि होती है ।
- कीर्ति बढ़ती है, श्रद्धा-भक्ति बढ़ती है, जिससे जीवन रसमय बनता है ।
- परमात्मा की प्रसन्नता प्राप्त होती है ।पूर्वकाल में राजा नहुष, अंबरीष, राजा गाधी आदि जिन्होंने भी एकादशी का व्रत किया, उन्हें इस
- पृथ्वी का समस्त ऐश्वर्य प्राप्त हुआ ।भगवान शिवजी ने नारद से कहा है : एकादशी का व्रत करने से मनुष्य के सात जन्मों के पाप नष्ट हो
- जाते हैं, इसमे कोई संदेह नहीं है । एकादशी के दिन किये हुए व्रत, गौ-दान आदि का अनंत गुना पुण्य होता है ।
एकादशी के दिन करने योग्य
एकादशी को दिया जलाके विष्णु सहस्त्र नाम पढ़ें …….
विष्णु सहस्त्र नाम नहीं हो तो १० माला गुरुमंत्र का जप कर लें l अगर घर में झगडे होते हों, तो झगड़े शांत हों जायें ऐसा संकल्प करके विष्णु सहस्त्र नाम पढ़ें तो घर के झगड़े भी शांत होंगे l
Sureshanandji Haridwar 11.02.2010
एकादशी के दिन ये सावधानी रहे
महीने में १५-१५ दिन में एकादशी आती है एकादशी का व्रत पाप और रोगों को स्वाहा कर देता है लेकिन वृद्ध, बालक और बीमार व्यक्ति एकादशी न रख सके तभी भी उनको चावल का तो त्याग करना चाहिए एकादशी के दिन जो चावल खाता है… तो धार्मिक ग्रन्थ से एक- एक चावल एक- एक कीड़ा खाने का पाप लगता है…ऐसा डोंगरे जी महाराज के भागवत में डोंगरे जी महाराज ने कहा
– पूज्य बापूजी मुंबई 1/1/2012
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